Friday 13 July 2012

आखिर लिएंडर पेस से सबको इतनी नफरत क्यों है?

मैं अक्सर सोचता था कि आखिर टेनिस चैंपियन लिएंडर पेस के साथ उसके कई साथी क्यों नहीं खेलना चाहते? क्या वजह है कि महेश भूपति, सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना तीनों ने पेस के साथ खेलने से मना कर दिया है? इतना फासला कैसे आ गया? लिएंडर पेस और महेश भूपति टेनिस प्रेमियों के लिए ली-हेम थे। एक साथ खेलना, एक साथ खाना, साथ-साथ रहना, सबसे गहरे दोस्त बने सबसे कट्टर दुश्मन। 12 साल बाद इस जोड़ी में दरार आई। दोनों के करीबी बताते हैं कि इसकी वजह है पैसा, पोजीशन, व्यक्तित्व, महिलाएं और खेल की राजनीति। बताया जाता है कि पेस और भूपति का सारा मैनेजमेंट लिएंडर के पिता वेस पेस देखते थे। महेश का मानना था कि वे लिएंडर को ज्यादा पैसा, बेहतर स्पांसरशिप, विज्ञापन, कांट्रेक्ट और पब्लिसिटी दिला रहे थे। तब महेश ने अपनी स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कम्पनी ग्लोबल स्पोर्ट बनाई। अब यह कम्पनी मेहश के अलावा रोहन बोपन्ना, सानिया मिर्जा, विष्णु वर्द्धन का भी काम देखती है। 1994 में लिएंडर और भूपति की पार्टनरशिप शुरू हुई। 1999 में यह चरम पर थी। इस साल यह जोड़ी चारों ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंची, दो जीते भी। पेस सीनियर थे, तो श्रेय भी उन्हें ही ज्यादा मिल रहा था। इससे दोनों के बीच टकराव बढ़ने लगा। 2010 में कैरियर ग्रैंड स्लैम पूरा करने के लिए आस्ट्रेलियाई ओपन में दोनों फिर साथ आए, लेकिन फाइनल में हार गए। दोनों की पर्सनेलिटी में भी फर्प है। जहां लिएंडर गुस्सैल हैं वहीं महेश शांत हैं। खेल के मैदान में हालांकि दोनों ही जोशीले हैं। लिएंडर मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं जबकि महेश मीडिया के लिए सुलभ हैं। इसलिए मीडिया में लिएंडर का पक्ष कम ही आता है। भूपति कहते हैं कि पेस बहुत स्वार्थी और तानाशाह हैं। उनकी बात उनसे शुरू होती है और उन्हीं पर खत्म हो जाती है। बोपन्ना और भूपति का आरोप है कि टेनिस एसोसिएशन को साथ लेकर पेस मनमानी करते हैं। जिसे चाहें डेविस कप टीम में लेते हैं। भूपति का तो यह भी कहना है कि पेस उन्हें भारतीय टीम से बाहर करने पर आमादा थे। उन्हीं के दबाव में उनकी जगह यू की भाम्बरी को टीम में जगह मिली। भूपति को बोपन्ना, सानिया जैसे खिलाड़ियों का समर्थन है। रोहन बोपन्ना ने आरोप लगाया कि इस साल मार्च में उज्बेकिस्तान में हुए डेविस कप के डबल्स मैच में मिली हार के बाद लिएंडर ने मुझसे गाली-गलौच की। लिएंडर और भूपति में अहम का टकराव इस कदर बढ़ गया है कि इन्हें देश की प्रतिष्ठा की भी अब फिक्र नहीं है। लंदन ओलंपिक्स में दोनों साथ-साथ खेलने से मना कर रहे हैं। लिएंडर के साथ तो सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना भी तैयार नहीं। इस अहम के टकराव में नुकमसान भारत का होगा। अगर यह मामला सुलटा नहीं तो लंदन ओलंपिक में निश्चित मिलने वाला एक पदक हाथ से फिसल सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि केवल ओलंपिक के लिए ही सही यह दोनों चैंपियन देश की इज्जत की खातिर डबल्स खेल लें और देश को एक मैडल दिलवा दें, बेशक इसके बाद अपने रास्ते अलग कर लें।

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