Published on 1 August, 2012
अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तान में बचे हुए हिन्दुओं को धर्म परिवर्तन मजबूरन करने की अकसर खबरें आती रहती हैं। गत दिनों हिन्दू लड़कियों से जबरन इस्लाम कबूल करवाने की खबर ने सारी दुनिया को चौंका दिया था पर अब तो एक पाकिस्तानी टीवी चैनल ने सारी हदें पार कर दी हैं। पाकिस्तान के एक विवादित टीवी एंकर ने एक हिन्दू लड़के से इस्लाम कबूल करने का लाइव कवरेज किया है। इस घटना से जहां देश के उदारवादियों में खलबली मच गई है वहीं अल्पसंख्यक समुदाय में चिन्ता की लहर दौड़ गई है। इस हिन्दू किशोर की पहचान सुनील के तौर पर हुई है। पाकिस्तान के एक लीडिंग टीवी चैनल `एआरवाई डिजीटल' चैनल पर माया खान की मेजबानी में रमजान पर सीधे प्रसारण में एक विशेष शो में सुनील को मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अकमल ने इस्लाम कबूल करवाया। मंगलवार को प्रसारित शो के दौरान बच्चों और वयस्कों के एक समूह में बैठे सुनील ने कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी के गैर सरकारी संगठन के लिए काम करते हुए उसने इस्लाम कबूल करने का फैसला किया। मौलाना अकमल के एक सवाल के जवाब में उसने कहा, `दो वर्ष पहले मैंने रमजान में रोजा रखा था। इस्लाम कबूल करने के लिए मुझ पर कोई दबाव नहीं है, मैं अपनी इच्छा से इस्लाम कबूल करना चाहता हूं।' टीवी चैनल ने इसका लाइव प्रसारण किया। इस किस्से पर पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने लिखा है कि इससे साफ संकेत मिलता है कि पाकिस्तान में इस्लाम धर्म की तुलना में अन्य धर्मों को बराबरी का दर्जा नहीं मिलता है। एंकर माया खान ने शो के दौरान सुनील का नया नाम मोहम्मद अब्दुल्ला रखे जाने की घोषणा की। देश के मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने कहा कि टीवी शो में भाग लेने के कारण उन्होंने अपने भाई को एनजीओ से हटा दिया है। इस लाइव प्रसारण पर पाक मीडिया ने भी इस शो की आलोचना की है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने सम्पादकीय में लिखा है कि देश की इलैक्ट्रानिक मीडिया किसी भी चीज को चटपटा बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। लेकिन यह तो हद हो गई कि अब वह धर्म के नाम पर खिलवाड़ करने लगी है। किसी की भावनाओं का मजाक बनाने लगी है। इस घटना के प्रसारण से यह साफ हो गया है कि अब मीडिया ने अपने व्यावसायिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नैतिक मूल्यों, वैचारिक खुलापन और सामान्य ज्ञान को परे रख दिया है। एक अन्य अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के सम्पादकीय पेज के सम्पादक उमर कुरैशी का कहना है कि माया खान का शो टीवी रेटिंग बनाने की रणनीति का हिस्सा है। इस तरह के शो कभी भी एक मुसलमान के धर्म परिवर्तन का प्रसारण नहीं करते हैं, यह अल्पसंख्यकों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार है। हिन्दू सुनील का धर्म परिवर्तन के किस्से से पहले कई और ऐसे ही किस्से हो चुके हैं। फरवरी 2012 में 19 वर्षीय रिंकल कुमारी का अपहरण किया गया फिर जबरन धर्म परिवर्तन किया गया और फिर एक पाकिस्तानी मुस्लिम से जबरन शादी की गई। इसके कुछ ही दिन बाद एक ईसाई महिला से भी यही व्यवहार किया गया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की कोई सुरक्षा नहीं। हालांकि कहने को वहां एक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार है पर मजाल है वह वहां के मुल्लाओं के सामने अपनी जुबान खोलें?
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