Sunday 8 July 2012

क्या निजी हाथों में पानी की व्यवस्था देना सही हल है?

दिल्ली में अब पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। जनता सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो गई है। उपर वाले ने भी मानसून नहीं भेजा, इससे मामला और उलझता जा रहा है। पीने के पानी की आपूर्ति दिल्ली जल बोर्ड के लिए काफी समय से मुश्किल बनी हुई है। इसे सुधारने के भी कई प्रयास हुए मगर परेशानियां कम नहीं हुईं। आखिरकार दिल्ली सरकार ने पानी की आपूर्ति निजी हाथों में सौंपने का मन बना लिया है। हालांकि फिलहाल इसे कुछ इलाकों में प्रायोगिक तौर पर शुरू करने की रूपरेखा तैयार की जा रही है, मगर जल्द ही पूरी दिल्ली में इस पर अमल होने लगेगा। दिल्ली सरकार का दावा है कि इससे पानी की बर्बादी रोकने, आपूर्ति में आने वाली परेशानियों को सुधारने और हर घर को जरूरत के हिसाब से पानी उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। यहां यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि दिल्ली सरकार का बिजली वितरण निजी हाथों में देने का फैसला कभी भी विवादों से दूर नहीं हुआ। बिजली की चौतरफा हाहाकार, बिलों में बेतहाशा वृद्धि, मीटरों के अनाप-शनाप तरह से चलने की शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती हैं और इनकी कोई सुनवाई नहीं। दरअसल पानी की आपूर्ति में सबसे बड़ी कमी प्रबंधन की है। यहां आपूर्ति किए जाने वाले पानी का बड़ा हिस्सा पड़ोसी राज्यों से लेना पड़ता है। ऐसे में जब वे पानी रोक देते हैं, दिल्ली में जल संकट गहरा जाता है। इसलिए जगह-जगह बरसात का पानी जमा करने की योजना बनाई गई थी। मगर अभी तक आकार नहीं ले पाई है। पुरानी पाइप लाइनों के अक्सर फट जाने से न सिर्प रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है बल्कि लोगों को मिलने वाले पानी में सीवर लाइनों की गंदगी मिलती रहती है। दिल्ली में खराब पानी की क्वालिटी की वजह से घरों में पानी शुद्ध करने की मशीनें लगाने पर लोग मजबूर हो गए हैं। कई बार चरणबद्ध तरीके से नई पाइप लाइन बिछाने का दम भरा गया, मगर वह काम भी सिरे नहीं चढ़ पाया। पानी की चोरी और उसे बेवजह बहाने वालों पर नकेल कसने के लिए कुछ कठोर नियम-कायदे बनाए गए, मगर उनका पालन सुनिश्चित कराने पर जोर नहीं दिया गया। पीने के पानी की आपूर्ति निजी हाथों में सौंपने का प्रयोग नया नहीं है। दिल्ली सरकार प्रायोगिक तौर पर कुछ इलाकों में आजमा चुकी है। विचित्र है कि दिल्ली के जिन इलाकों में इस वक्त निजी कम्पनी जल आपूर्ति कर रही है, वहीं सबसे अधिक किल्लत देखी जा रही है। समस्या का समाधान तब तक नहीं होगा जब तक पुराने पाइपों को बदला नहीं जाता, सही मीटर लगाए जाएं, लीकेज व चोरी को रोका जाए। निजी हाथों में पानी देने से इस बात की कोई गारंटी नहीं कि पानी की आपूर्ति होगी। हां, इससे उपभोक्ताओं के पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि होगी, यह तय है। मौजूदा व्यवस्था को सही करना प्राथमिकता होनी चाहिए।

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