Tuesday 3 July 2012

चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्टों के राज में भ्रष्टाचार, दमन और साजिशें

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 3 July 2012
अनिल नरेन्द्र
चीनी सरकार अपने देश के अन्दर क्या हो रहा है, इसकी हवा बाहर निकलने ही नहीं देती। दुनिया को यह पता ही नहीं चलता कि चीन के अन्दर असल हालत क्या हैं? कभी-कभार ऐसी खबरें बाहर निकल आती हैं जिनसे इस मुल्क के अन्दर के हालात की जानकारी मिलती है। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का राज है। पार्टी में सत्ता का नशा इस हद तक छा गया है कि वह सत्ता का दुरुपयोग करने, राजनीतिक साजिश और अपराधों का अड्डा बन गया है। इन दिनों चीन में राक्षसों, नायकों दोनों की शरणस्थली अमेरिकी दूतावास बन गया है। इस साल दो लोगों द्वारा वहां शरण लेने से दुनिया में हलचल मच गई। इसके साथ यह बात सामने आई कि 21वीं सदी की भावी महाशक्ति की सत्ता ऐसे कुलीन वर्ग के हाथों में है जो भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद में लिप्त है। छह फरवरी 2012 को उत्तर पश्चिम चीन के चोंगडू शहर में अमेरिकी दूतावास (वाणिज्य) में एक अप्रत्याशित मेहमान ने दस्तक दी। ये थे नजदीकी शहर चोंगक्विंग के कुख्यात पुलिस प्रमुख वांग ली जुन। अपराधों का भंडाफोड़ करने वाले तेज-तर्रार वांग कथित तौर पर चीन के बड़े नेताओं की बातचीत चोरी-छिपे सुनते थे। लम्बे समय तक वांग के संरक्षण चीन के सर्वाधिक करिश्माई राजनेता बो जिलाई थे जिन्हें सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का उभरता सितारा माना जाता था। लेकिन वांग और बो के रिश्तों में दरार पड़ गई। वांग ने अमेरिकी राजनयिकों को बो के रहस्यमय कारनामों के बारे में स्तब्ध करने वाली जानकारी दी। इनमें ब्रिटिश बिजनेस मेन कंसल्टेंट नील हेवुड की हत्या में बो की ग्लैमर्स पत्नी यू काई लाई की मिलीभगत का आरोप सबसे विस्फोटक था। हेवुड नवम्बर में चोंगक्विंग में मृत पाए गए थे। इस हत्या का कारण था कि इस अंग्रेज ने शायद बो परिवार की अनाप-शनाप तरीके से कमाई गई दौलत को विदेश में खपाने के लिए अधिक हिस्सा मांग लिया था। 27 अप्रैल को बीजिंग में दृष्टिहीन वकील चेन गुआगचेंग भागकर अमेरिकी दूतावास आ गए। टाइम मैगजीन ने 2006 में 100 सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों में गुआंगचेंग को शामिल किया था। वे 2010 में घर में नजरबन्द थे। चेन ने शानडांग प्रांत में महिलाओं पर दबाव डालकर गर्भपात कराने के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था। वांग और चेन के शरण लेने के प्रयासों को चीन अमेरिका द्वारा उसके अंदरूनी मामलों में दखल मानता है और दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ा तनाव आ गया है। नए कम्युनिस्ट शासकों के सामने पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा सत्ता के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार, कानून के शासन का अभाव और सरकार के प्रोपेगंडा को स्वीकार न करने वाली जनता का असंतोष बढ़ता जा रहा है। पिछली बार चीन में ऐसा असंतोष 1989 में देखा गया था, फिर भी थ्येन आनमन चौक जैसी त्रासदी की आशंका किसी को नहीं है। लेकिन इस बार चीन में होने वाली घटनाओं का असर विश्व पर पड़ेगा। अमेरिका पर सबसे अधिक कर्ज चीन का है। वह दुनिया में सेने और मोबाइल का सबसे बड़ा खरीदार है। वर्ष 2001 में उद्यमियों को पार्टी में प्रवेश दिए जाने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी के कुलीनों के नए वर्ग का उदय हुआ है। सरकारी प्रतिष्ठानों में उच्च पदों पर आसीन इन लोगों के विदेशों में लाखों डॉलर मूल्य के आलीशान मकान हैं। सम्पत्ति पर निगाह रखने वाली शंघाई की एजेंसी दुरान रिपोर्ट के अनुसार चीनी संसद में सर्वाधिक अमीर 70 सांसदों के पास 90 अरब डॉलर की सम्पत्ति है। बीजिंग के एक मेटेटर गुओ युकुआन कहते हैं कि हर तरह के चीनी अधिकारी भ्रष्ट हैं। पिछले साल चीन के सेंट्रल बैंक की रिपोर्ट में अन्दाजा लगाया गया था, 1990 के दशक के मध्य से 2008 के पहले छह महीनों तक सरकार से संबद्ध 18 हजार व्यक्ति करीब 127 अरब डॉलर लेकर विदेश भाग गए थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दमन करके सभी प्रकार की कुरीतियों को दबाने में लगी है। चीन की जो चमक-धमक बाहर नजर आती है वह दरअसल निर्दोषों के खून से लथपथ है। जो दिखता है वह असल नहीं।

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