Friday 20 July 2012

भारत-पाक क्रिकेट मैचों का विवादास्पद फैसला

केंद्र सरकार ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को पाकिस्तान के साथ तीन एक दिवसीय व दो टी-20 मैच आयोजित करने की हरी झंडी दे दी है। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध बहाल करने का फैसला सोमवार को बीसीसीआई की कार्यकारी समिति ने लिया। बोर्ड ने एक बयान में बताया कि पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को दिसम्बर 2012 से जनवरी 2013 के बीच तीन एक दिवसीय व दो टी-20 मैचों की सीरीज खेलने के लिए आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया है। कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में एक दिवसीय जबकि बेंगलुरु और अहमदाबाद में टी-20 के मुकाबले होंगे। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य राजीव शुक्ला के मुताबिक पी. चिदम्बरम ने गृह मंत्रालय की तरफ से इस सीरीज पर किसी तरह की आपत्ति न होने की बात कही है। हालांकि मंत्रालय ने इस निर्णय के प्रति कोई खास उत्साह नहीं दिखाया है। इतना ही नहीं, विदेश मंत्रालय से भी हरी झंडी मिलने की जानकारी है। केंद्र सरकार व बीसीसीआई का यह फैसला चकित और साथ ही सवाल खड़ा करने वाला जरूर है। देश की जनता के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि आखिर इस बीच ऐसा क्या सकारात्मक हुआ है जिससे भारत सरकार ने पाकिस्तान की क्रिकेट टीम को देश में खेलने की अनुमति प्रदान कर दी? अभी-अभी तो नए सिरे से यह सामने आया है कि मुंबई हमले में पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों की भागीदारी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि कसाब, डेविड हेडली और अबू जिंदाल के खुलासों के बाद भी पाक सरकार ने 26/11 के गुनहगारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस फैसले का सुनील गावस्कर ने भी खुलकर विरोध किया है। गावस्कर ने कहा कि मुंबई का होने के नाते मुझे लगता है कि जब मुंबई हमले की जांच में पाकिस्तान से सहयोग नहीं मिल रहा है तो आयोजन में जल्दबाजी क्यों की गई? भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन की टिप्पणी दिलचस्प थी। वे कहते हैं कि पाकिस्तानी क्रिकेट टीम विश्व कप मैच के लिए पहले भी भारत आ चुकी है। अब मुंबई हमले के गुनहगार आतंकियों की टीम को भी भारत बुलाया जाना चाहिए। सपा नेता अबू आजमी का कहना था कि मुंबई हमले के जिम्मेदार देश के साथ हम कैसे खेल संबंध रख सकते हैं। मैंने इसी कॉलम में आईपीएल मैचों के दौरान सुझाव दिया था कि जब पाकिस्तानी अम्पायर आ सकते हैं, अजहर महमूद लंदन के जरिए आ सकते हैं तो पाकिस्तानी खिलाड़ियों के आईपीएल खेलने पर पाबंदी क्यों? आईपीएल में पाक खिलाड़ियों का खेलना समझ आता है, क्योंकि वह भारत सरकार का टूर्नामेंट नहीं है पर भारत-पाक श्रृंखला वह भी भारत सरकार के आमंत्रण पर खेली जाए तो वह और बात बन जाती है। आज भारत सहित सभी सभ्य दुनिया का पाकिस्तानी आतंक पर अंकुश लगाने का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे समय पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद पर नकारात्मक रुख दिखाने के बावजूद उन्हें अपने देश में बुलाना क्या उचित होगा? हमें नहीं मालूम कि इस फैसले के पीछे केंद्र सरकार की क्या सोच है पर संदेश यही जाता है कि पाकिस्तान के प्रति उसकी नीति पहले की तरह ढुलमुल बनी हुई है। बेशक भारत सरकार की नीति ढुलमुल हो पर पाकिस्तान का रवैया आतंक के प्रति वही पुराना है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं आया। इससे अधिक निराशाजनक और कुछ नहीं हो सकता कि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम को भारत आकर खेलने की अनुमति देने के 24 घंटे के अन्दर वहीं की एक अदालत ने मुंबई हमले की जांच के लिए गठित एक आयोग की रिपोर्ट को अवैध बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। इससे यह पुराना सवाल नए सिरे से उठना स्वाभाविक है कि क्या पाकिस्तान मुंबई हमले की साजिश रचने वालों को दंडित करने के लिए तनिक भी इच्छुक है? यह सवाल इसलिए और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि मुंबई हमले की साजिश रचने के सात आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू होने का नाम ही नहीं ले रही है।

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