Friday 6 July 2012

फारस की खाड़ी में फिर बढ़ा तनाव

एक बार फिर ईरान और अमेरिका में तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होरमुज जलडमरु मध्य को खुला रखने और परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान के साथ गतिरोध बढ़ने की सूरत में इस्लामिक देश के भीतर तक वॉर करने के लिए फारस की खाड़ी में और अधिक युद्धपोतों तथा लड़ाकू विमानों को रवाना कर दिया है। वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि खाड़ी में सेना की मौजूदगी को और मजबूती प्रदान करने के लिए नई तैनाती का मकसद इजरायल को यह आश्वासन देना है कि अमेरिका ईरान की परमाणु महत्वकांक्षाओं के पर कतरने के प्रति गम्भीर है। अमेरिका द्वारा खाड़ी में नई फौजों को भेजने की रिपोर्ट की इस घोषणा में बाद चर्चा है कि उसने इजरायल पर हमला करने के सक्षम नई रेंज की बैलास्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। ईरान की समाचार समिति इरना ने कहा कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने मध्य ईरान के काबीर मरुस्थल में दो हजार किलोमीटर तक मार करने में सक्षम शाहाब तीन मिसाइलों का परीक्षण किया है। इरना ने यह भी कहा कि मध्य दूरी तक मारक क्षमता वाली शाहाब तीन के साथ ही ईरान ने 300 से 500 किलोमीटर तक मार करने वाली शाहाब एक और शाहाब दो मिसाइलों का भी परीक्षण किया है। अमेरिकी किसी भी कीमत पर सामरिक जल मार्ग को खुला रखने के लिए प्रतिबद्ध है ऐसा अमेरिकी अधिकारियों का कहना है। रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ईरान के लिए सन्देश है कि `इसके बारे में सोचना भी मत।' हमारे पोतों और वाणिज्यिक पोतों को परेशान करने के लिए अपनी नौकाएं भेजने के बारे में सोचना भी नहीं है। हम इन्हें डुबा देंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि बसंत ऋतु के बाद से लड़ाकू एफ-22 और एक शराने एफ-15सी युद्ध विमानों को फारस की खाड़ी में दो अलग-अलग अड्डों पर भेजा गया था और इसका मकसद क्षेत्र में पहले से मौजूद लड़ाकू विमानों के बेड़े को मजबूती प्रदान करना था। अन्दर तक मार करने वाले इस रन पर विमानों से अमेरिका के क्षेत्र में तटीय मिसाइल बैटरियों के खिलाफ सैन्य क्षमता मजबूत होगी। ईरान दरअसल अमेरिकी धमकियों से दबने वाला नहीं। अमेरिका और इजरायल को सबसे बड़ी चिन्ता ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर है। पिछले दिनों ईरान को ब्रिक्स देशों से भी समर्थन मिलने से उसका विश्वास बढ़ा है। ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीकाöइन पांच देशों के संगठन ब्रिक्स ने मध्य एशिया संकट पर अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय समझौते के दायरे में ईरान के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के अधिकार को मंजूर करता है। ब्रिक्स के मुताबिक ईरान में जारी चिन्ताजनक हालात को संघर्ष का रूप लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके विनाशकारी परिणाम किसी के हित में नहीं होंगे। उसका मानना है कि इस समस्या का समाधान राजनयिक, राजनीतिक तरीके से और संबंधित पक्षों को साफ कहा है कि समस्या का हल मिल बैठ कर निकालें।

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