Saturday, 28 July 2012

किंग जॉर्ज को सलामी देती नई समाजवादी पार्टी

Editorial Publish on 29 July 2012
-अनिल नरेन्द्र 

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के आठ जिलों के नाम बहाल करने के फैसलों की आमतौर पर सराहना हो रही है। उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार ने राज्य के आठ जिलों के नाम बदल दिए हैं। ये जिले मायावती के मुख्य मंत्रित्वकाल में सृजित किए गए थे। साथ में लखनऊ स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज मेडिकल विश्वविद्यालय अब फिर से किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा। मंत्रिपरिषद ने जनपद प्रबुद्ध नगर का नाम शामली, भीम नगर का नाम सम्भल तथा पंचशील नगर का नाम बदलकर हापुड़ करने का निर्णय किया है। इसी प्रकार जनपद महामाया नगर का नाम हथरस, जनपद ज्योतिबाफुले नगर का नाम अमरोहा, जनपद कांशीराम नगर का नाम कासगंज, जनपद छात्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम अमेठी तथा जनपद रमाबाई नगर का नाम परिवर्तित कर कानपुर देहात रखने का फैसला किया है। गौरतलब है कि इन जनपदों के निवासियों एवं जन प्रतिनिधियों की ओर से इस आशय की मांग की जाती रही है कि इन जनपदों के नाम से कोई शहर नहीं है, जिससे इन जनपदों की स्थिति की जनकारी नहीं हो पाती। इसके अलावा प्रदेश व प्रदेश के बाहर के लोगों को अपनी पहचान बताने, गंतव्य स्थान बताने तथा शासकीय अभिलेख बनवाने में अनेकों समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था। इसलिए अखिलेश सरकार ने आठ जनपदों के नाम परिवर्तित  करने का निर्णय लिया। रहा सवाल छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ का नाम फिर से किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय करने के फैसले पर जरूर थोड़ा विवाद हो रहा है। 70 के दशक में लोहिया का नारा उछालते हुए उत्तर प्रदेश की इस राजधानी लखनऊ में अंग्रेजी का इतना तीखा विरोध होता था कि अंग्रेजी में लिखे सारे होर्डिंग पर कालिख पोत दी जाती थी। उस दौर में समाजवादी आंदोलन के कारण हाई स्कूल में अंग्रेजी विषय को ऐच्छिक कर दिया गया था। मगर पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवाद का चाल-चरित्र और चेहरा तीनों बदले तो दूसरे दल भी सकते में आ गए। समाजवादी पार्टी के नए चेहरे अखिलेश यादव ने टैबलेट और लैपटॉप का नया नारा दिया और पुराना रिकार्ड तोड़ बहुमत के साथ सत्ता में आए। सरकार के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में भी चिन्ता बढ़ी है। क्योंकि यह ऐसा कोई काम नहीं था जिसे यह सरकार प्राथमिकता पर करे। खासकर बिजली से लेकर किसानों की अन्य समस्याओं को देखते हुए। रोचक तथ्य यह है कि लखनऊ के मशहूर चिड़िया घर का नाम आज भी प्रिन्स ऑफ वेल्स ज्यूलोजिकल गार्डन के नाम से जाना जाता है। न तो कभी मायावती के राज में यह बदला और न ही मुलायम के राज में। हालांकि एक तबके का मानना है कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का नाम बहाल करना था तो बेहतर होता कि नया नाम आचार्य नरेन्द्र देव, एसएम जोशी, राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण, मधु लिमये, सुरेन्द्र मोहन जैसे किसी भी नेता के नाम पर रखते बजाय किंग जॉर्ज के। हालांकि यह भी कहा जा सकता है कि किंग जॉर्ज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति पा चुका है, इस दृष्टि से वही पुराना नाम सही था। पिछले चुनाव में एक तबका सपा के समर्थन में ऐसा आया जो अंतर्राष्ट्रीय चश्मे से समाज को देखता है, उसका मानना है कि अखिलेश के इस फैसले से मेडिकल क्षेत्र में फिर से राज्य की प्रतिष्ठा बहाल होगी।



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