Thursday 27 November 2014

अखिलेश को मुलायम का 15 दिन का अल्टीमेटम

  यह पिता-पुत्र का किस्सा हमें तो समझ नहीं आता। आए दिन पिता मुलायम सिंह यादव बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उनकी सरकार, मंत्रियों को धमकाते रहते हैं। बेशक मुख्यमंत्री तो अखिलेश हैं पर पाटी पमुख की हैसियत से नसीहतें देते रहते हैं मुलायम सिंह और सुधार नहीं करते। उत्तर पदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को रामपुर में अपने पिता मुलायम सिंह यादव के 75वें जन्मदिन के मौके पर भले ही नरेंद्र मोदी को चेताया हो मगर उनकी सरकार के कामकाज से सूबे में कोई भी तबका खुश नहीं है और यह बात खुद मुलायम सिंह भी जानते हैं। रामपुर में 75वां जन्मदिन मनाकर लौटे मुलायम सिंह ने रविवार को एक-एक कर सबकी खबर ली। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हों या फिर अफसर, किसी को नहीं बख्शा। बार-बार की चेतावनियों के बावजूद मंत्रियों की कार्यशैली में बदलाव न होने  से नाराज मुलायम ने उन्हें 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए साफ कहा कि ऐसा रहा तो उन्हें हटाने का विकल्प खुला है। शासन पर कमजोर पकड़ का हवाला देते हुए सीएम की पशासनिक दक्षता पर उंगली उठाई। मौका था सीएम आवास पर लखनऊ-आगरा एक्सपेस-वे और दो पुलों के शिलान्यास का। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव आलोक रंजन के साथ शीर्ष नौकरशाही की मौजूदगी में मुलायम जब बोलने आए तो हर किसी को बगलें झांकने को मजबूर कर दिया। यह विशेष मौका था तो शिलान्यास को आ गए। मगर अब यहां इसके उद्घाटन से लेकर निर्माण की तारीख बतानी होगी। तभी पमुख सचिव सूचना व सीईओ यूपीडी नवनीत सहगल ने निर्माण कंपनियों की ओर इशारा किया। इसके बाद एफकॉन इन्फास्ट्रक्चर के पतिनिधि माइक पर आए और उन्होंने दो साल में काम पूरा करने का वादा किया। मुलायम इतने से भी संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा कि इसे दो महीने पहले ही पूरा कराइए। मुलायम का मूड देखकर मंत्रियों और अफसरों को जैसे सांप सूंघ गया। निशाने पर मीडिया भी था। खास तौर पर आजम खां पर सवाल उठाने की वजह से मुलायम ने मीडिया को नासमझ बताया। मुलायम पर 2017 के विधानसभा की चिंता सिर चढ़कर बोलती नजर आई जिस सूबे में एक नहीं चार-चार मुख्यमंत्री हों, एक सुपर मुख्यमंत्री हो, वहां का हाल क्या है? हत्या, डकैती, लूटपाट, अपहरण, बलात्कार और अवैध वसूली जैसे अपराधों की खबरों से सूबे के अखबार हर दिन रंगे होते हैं। इस पर अखिलेश तुर्रा देते हैं कि मीडिया को उनकी सरकार का अच्छा कामकाज क्यों नहीं दिखता। अच्छा होता कि वे अपने पिता की नसीहतों को ही सही मान लेते जो कई मौकों पर उनकी कार्यपणाली की आलोचना तो कर ही चुके हैं। सपा के लोगों पर भ्रष्टाचार और गुंडागदी में लिप्त रहने की अपनी पीड़ा भी जता चुके हैं। पिछले हफ्ते तो मुलायम ने यहां तक कह दिया कि लैपटॉप योजना ने लोकसभा चुनाव में सपा को हरवा दिया। जैसा मैंने कहा कि यह पिता-पुत्र के नाटक  को समझना मुश्किल है, कम से कम हम तो समझ नहीं सके। 

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