Friday 14 November 2014

ऑनलाइन शापिंग बिक्री 400… बढ़ी, दुकानों का कारोबार 45… घटा

सजे हुए परम्परागत बाजारों को ऑनलाइन शापिंग ने कड़ी टक्कर देनी शुरू कर दी है। परम्परागत दुकानों की तरह ही ऑनलाइन खुदरा व्यापारियों के पास हर सामान उपलब्ध है। किताबों से शुरू हुआ यह सिलसिला फर्नीचर, कपड़ों, बीज, किराने के सामान से लेकर फल, सौंदर्य प्रसाधन तक पहुंच गया  है। यह लिस्ट हर दिन बढ़ती जा रही है। एक ऑनलाइन शापिंग साइट का दावा है कि उसके साथ 50 हजार निर्माता जुड़े हुए हैं। इस खरीदारी की दुनिया में घुसना आसान है क्योंकि आप अपने बैडरूम से लेकर दफ्तर या गाड़ी से कहीं से भी आर्डर दे सकते हैं और सामान खुद व खुद आपके घर पहुंच जाएगा, जाने का भी झंझट नहीं। अगर किसी वजह से आपको खरीदा आइटम पसंद नहीं तो वह रिफंड भी हो सकता है, रिप्लेस भी। हाल के फैस्टिंग सीजन में रिटेल ऑनलाइन कंपनियों ने पिछले वर्ष से करीब चार गुना अधिक कारोबार किया है। जबकि परम्परागत दुकान और रिटेल स्टोर के कारोबार में गिरावट आई है। ट्रेडर्स का कारोबार 45 फीसदी कम रहा। ट्रेडर्स एसोसिएशन ने ई-कामर्स कंपनियों के लिए नियम और नियामक संस्था गठित करने की मांग की है। रिटेलर्स कंपनियां ऑनलाइन शापिंग का विकल्प ग्राहकों को देकर अपना कारोबारी स्तर लगभग बरकरार रखने में सफल रही हैं। सिर्प इलैक्ट्रॉनिक आइटम की बिक्री में ही गिरावट दर्ज की गई है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टेडर्स के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि ऑनलाइन शापिंग कंपनियों के कारण फेस्टिवल सीजन में हमारा 45 फीसदी कारोबार कम हुआ है। हमारे लिए विभिन्न प्रकारों के 24 नियम-कानून हैं जबकि इन कंपनियों के लिए कोई नियम नहीं है। हमने वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण को तीन शिकायती पत्र लिखे हैं, उनसे मिले भी हैं। यह कंपनियां कैसे भारी डिस्काउंट देकर और घाटा सहकर भी कारोबार कर रही हैं। यह कंपनियां भारी डिस्काउंट इसलिए दे रही हैं क्योंकि यह सीधा कंपनियों से थोक माल खरीदती हैं, इनको किसी इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं। देश के छह करोड़ ट्रेडर्स, 31 लाख करोड़ रुपए प्रति वर्ष का कारोबार और 30 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी दांव पर आ गई है। समस्या हल नहीं हुई तो हम कंपीटीशन कमीशन और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। एसोचैम के सैकेटरी जनरल डीएस रावत ने बताया कि नवदुर्गा से दीवाली तक के फेस्टिवल सीजन के दौरान ई-कामर्स ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब 400 फीसदी तक ग्रोथ दर्ज की है। कंपनियों ने करीब 15 हजार करोड़ रुपए की  बिक्री की है। विभिन्न रिसर्च के अनुसार वर्तमान में देश में चार बिलियन डॉलर (24,400 करोड़) की यह इंडस्ट्री अगले पांच वर्ष बाद 90 बिलियन डॉलर हो जाएगी। रिटेलर्स की खुशकिस्मती यह है कि ई-कामर्स यानि ऑनलाइन शापिंग फिलहाल बड़े शहरों तक सीमित है। छोटे शहरों और कस्बों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है पर आने वाले सालों में यह भी पूरी हो जाएगी।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment