Wednesday, 26 November 2014

नॉर्थ-ईस्ट के छात्रों के खिलाफ लगातार बढ़ती वारदातें

दिल्ली में 24 घंटे के अंदर अलग-अलग इलाकों में नॉर्थ-ईस्ट के तीन छात्रों की मौत ने चौंका दिया है। नॉर्थ-ईस्ट के छात्रों व अन्य लोगों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। पता नहीं क्या वजह है इनको निशाने पर लाने की? नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के निवासियों पर राजधानी में अपराध बढ़ रहे हैं। इस साल जनवरी से 21 नवम्बर तक इन पर जुर्म की 666 कम्पलेंट पुलिस को मिलीं। इनमें से 232 मामलों में एफआईआर दर्ज हुईं जबकि पिछले साल 74 एफआईआर दर्ज हुई थीं। सबसे ज्यादा केस दक्षिण दिल्ली में दर्ज हुए। वसंत विहार पुलिस स्टेशन में सबसे ज्यादा केस दर्ज हुए। हर महीने नॉर्थ-ईस्ट के 23 लोग किसी न किसी वारदात के शिकार होते हैं। गौरतलब है कि गत बुधवार रात कोटला मुबारकपुर क्षेत्र स्थित कृष्णा गली में रहने वाले 32 वर्षीय मणिपुरी छात्र काशुंग निग्रांम केंगू की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी। गुरुवार दोपहर खिड़की एक्सटेंशन जे ब्लॉक स्थित एक घर से व्हीरिल रानी नाम के युवक का पुलिस ने शव  बरामद किया। वहीं गुरुवार रात नेबसराय इलाके में संदिग्ध हालत में सीढ़ियों से गिरने के कारण सोनलियन (21) की मौत हो गई। लगातार शव मिलने से जहां दिल्ली पुलिस में खलबली मची हुई है वहीं सुप्रीम कोर्ट भी सख्त नाराज है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक हर महीने 23 से अधिक नॉर्थ-ईस्ट के लोग किसी न किसी वारदात के शिकार होते हैं। खासकर वहां की महिलाएं आए दिन छेड़खानी की शिकार होती हैं। जघन्य अपराधों की बात करें तो 31 अक्तूबर तक नॉर्थ-ईस्ट के चार लोगों की हत्या हो चुकी है जबकि 18 महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आ चुके हैं। छेड़खानी के 35, लूटपाट के 13 और अपहरण के 12 मामले अब तक सामने आ चुके हैं। नॉर्थ-ईस्ट के लोगों पर बढ़ती आपराधिक घटनाओं के कारण सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने सबक सीखते हुए उन लोगों की सुरक्षा के लिए स्पेशल हेल्प लाइनें शुरू की थीं। दिल्ली पुलिस के पुलिस आयुक्त भीम सेन बस्सी ने मार्च के महीने में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों की सुरक्षा के लिए 1093 नम्बर से हेल्पलाइन शुरू की थी। उन्होंने यह भी आदेश दिए हैं कि दिल्ली के हर जिले में डीसीपी रैंक के अधिकारी अपने इलाके में रहने वाले नॉर्थ-ईस्ट के लोगों की सुरक्षा पर स्वयं नजर रखेंगे। खासकर नॉर्थ कैम्पस, मुनिरका, द्वारका व दक्षिण दिल्ली में रहने वाले नॉर्थ-ईस्ट के लोगों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने का वादा किया था। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में लगातार नॉर्थ-ईस्ट के लोग वारदात के शिकार हो रहे हैं। लेकिन पुलिस इन मामलों को सुलझाने में पीछे रही है। हत्या के सिर्प तीन फीसदी, दुष्कर्म के 17 फीसदी, छेड़खानी के 23 फीसदी, लूटपाट और अपहरण के सिर्प तीन फीसदी ही मामलों को सुलझाया गया है। हमें समझ नहीं आ रहा है कि नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? वजह जो भी हो हम मांग करते हैं कि दिल्ली पुलिस इन वारदातों पर अविलंब अंकुश लगाए। आखिर वह भी तो भारत के बाशिंदे हैं और उन्हें पूर्ण सुरक्षा देने को पुलिस वचनबद्ध है।

-अनिल नरेन्द्र

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