Friday, 7 November 2014

क्या वाघा बार्डर विस्फोट का निशाना पाक नहीं भारत था?

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में वाघा बार्डर के पास एक रेस्तरां के बाहर रविवार शाम 5.50 बजे एक शक्तिशाली बम फटा। इस शक्तिशाली आत्मघाती विस्फोट में कम से कम 55 लोगों की मौत हो गई जबकि 200 से अधिक घायल हो गए। वाघा बार्डर पर रिट्रीट सेरेमनी के तुरन्त बाद हुए इस धमाके ने भारतीय सुरक्षा बलों की भी नींद उड़ा दी है। बीएसएफ का मानना है कि सेरेमनी के दौरान अगर यह धमाका होता तो वहां मौजूद 15 हजार से ज्यादा भारतीय दर्शकों में भी भगदड़ मच सकती थी। रविवार होने की वजह से रिट्रीट सेरेमनी देखने आए लोगों की संख्या आम दिनों से बहुत ज्यादा थी। बीएसएफ के लिए राहत की बात यह थी कि शाम करीब 5.50 बजे हुए विस्फोट के समय इस तरफ के अधिकतर दर्शक निकल चुके थे। यही वजह है कि भारतीय इलाके में कोई बड़ा हादसा होने से टल गया। पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक मुश्ताक खुखेरा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बार्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे लेकिन आत्मघाती विस्फोट को रोकना मुश्किल था। उन्होंने कहा कि मुहर्रम को देखते हुए ऐसी सूचना थी कि कुछ प्रतिबंधित संगठन शिया मुसलमानों, धार्मिक लोगों, सार्वजनिक कार्यक्रमों और महत्वपूर्ण इमारतों को निशाना बना सकते हैं। जहां धमाका हुआ वहां से परेड लगभग 600 मीटर के फासले पर था। आत्मघाती बार्डर चार सिक्यूरिटी चैक पोस्ट पार करने में सफल रहा और वह रिट्रीट सेरेमनी में भीड़ आने का इंतजार कर रहा था। उसका उद्देश्य रिट्रीट सेरेमनी के बिल्कुल करीब पहुंचने का था पर वह अंतिम चैक पोस्ट पर फंस गया। उसे परेड के गेट पर रोका गया और उसने वहीं पर खुद को विस्फोटकों के साथ उड़ा लिया। अलकायदा से जुड़े आतंकी संगठन जुदुल्ला ने इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है। संगठन के प्रवक्ता अहमद मरवात ने पाकिस्तानी मीडिया को फोन पर बताया कि यह हमले पाक सेना द्वारा वजीरिस्तान में आपरेशन जर्ब--अजब के खिलाफ जवाबी कार्रवाई है। यह हमला सिर्प पाकिस्तान का अंदरूनी मामला नहीं है, इससे भारत के हित भी जुड़े हैं, क्योंकि सड़क मार्ग होने के कारण दोनों देशों के लोगों की आवाजाही का यह सबसे सस्ता और सुगम रास्ता है। यह तो जांच से ही पता चलेगा कि इस हमले के पीछे क्या जुदुल्ला संगठन ही है या कोई और? उनका असल मकसद क्या था? भारतीय खुफिया एजेंसी के एक उच्च पदस्थ अधिकारी का कहना है कि आतंकियों के निशाने पर पाकिस्तान नहीं, भारत था। वे भारत को निशाना बनाना चाहते थे और बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम के दौरान ही विस्फोट करना चाहते थे लेकिन कुछ गलत अनुमानों के चलते उन्होंने पाकिस्तान में ही विस्फोट कर दिया। पाकिस्तानी पुलिस ने बताया कि उन्होंने सीमा के पास हथियारों और विस्फोटकों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया है। सूत्रों के मुताबिक पास से ही एक और सुसाइड जैकेट मिला है जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हमलावरों की संख्या एक से ज्यादा थी। 20 से ज्यादा संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान निरंतर आतंकवाद से जूझ रहा है और इसी के चलते वहां के सुरक्षा बलों ने उत्तरी वजीरिस्तान में आतंकी गुटों के खिलाफ आपरेशन जर्ब--अजब चला रहा है। मगर दूसरी ओर सरकारी स्तर पर पाकिस्तानी तालिबान से लुक-छिपकर बातचीत करने के संकेत भी मिलते हैं। यदि यह हमला जैसा कि आशंका जताई जा रही है पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए किया गया था तब तो वहां के पूरे सुरक्षा तंत्र के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए। मगर आतंकवाद पर पाकिस्तान दोहरा रुख अपनाता आया है, जिसका नुकसान खुद पाकिस्तान को हो रहा है। यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान से लगी अफगान सीमाएं आतंकियों की सबसे बड़ी पनाहगाह है जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। पाकिस्तान वैसे ही एक फेल स्टेट बन गया है जो अराजकता की गिरफ्त में आ चुका है। सरकार का सेना, आईएसआई, तालिबान और जेहादी संगठनों पर नियंत्रण नहीं है। आतंकी संगठनों की आत्मघाती दस्तों के जरिये आसान लक्ष्यों को निशाना बनाने की रणनीति बहुत खतरनाक है। इसलिए भी हमें अपने देश के खुफिया तंत्र को बहुत मजबूत बनाने की सख्त जरूरत है। आतंक के इस खेल में देश की चुनौतियां खतरनाक रूप लेती जा रही हैंöवाघा विस्फोट इसकी बानगी भर है।

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