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अक्तूबर का ऐसा दिन होता है जिस दिन भारत की एकता-अखंडता में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले दो नेताओं को याद किया जाता है। सरदार
वल्लभ भाई पटेल की जयंती होती है व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि भी
होती है। इतिहास के पन्नों में खोए लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद जगाकर और
उन्हें राष्ट्रीय एकता के प्रतीक चिन्ह में बदलकर देश खुद अपना सम्मान बढ़ा रहा है।
आजादी के वक्त विभाजन का दंश झेल रहे भारत के पास सरदार जैसा लौह इरादों वाला नायक न रहा होता
तो पता नहीं यह देश कितने टुकड़ों में बंट जाता। पांच सौ से ज्यादा रियासतों का भारत
में विलय कोई आसान काम नहीं था। कोई शासक अपना रुतबा और शान-शौकत
खोना नहीं चाहता था। भारत से जाने पर मजबूर अंग्रेज कोई मदद नहीं कर रहे थे,
क्योंकि वह देश को विखंडित ही देखना चाहते थे पर सरदार पटेल ने दृढ़
इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए अंग्रेजों की उम्मीद को तोड़कर इन रियासतों का भारत
में विलय करवा दिया। अगर सरदार पटेल न होते तो पता नहीं भारत का नक्शा कैसा होता। देश
की नई पीढ़ी को यकीनन सरदार पटेल जैसे फौलादी और अनुकरणीय व्यक्तित्व की जानकारी होनी
चाहिए और मोदी सरकार द्वारा सरदार पटेल की 139वीं जयंती को राष्ट्रीय
एकता दिवस के रूप में मनाने का स्वागत करना चाहिए पर वहीं भारत की दूसरी महान नेता
श्रीमती इंदिरा गांधी को भी भुलाया नहीं जा सकता, जैसा मोदी सरकार
ने किया। इंदिरा जी का योगदान भी कम नहीं। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की इस बात के लिए
आलोचना की है कि वह पूर्व
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शहादत को भुला रही है। कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि
नरेन्द्र मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि को जिस तरह से मनाया है वह बहुत
खराब और छोटी सोच की निशानी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह छुद्र
दिमाग है, यह पक्षपातपूर्ण है और उन लोगों के प्रति असम्मान है
जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी, खासकर इंदिरा जी का,
जिन्होंने देश की एकता के लिए जीवन का बलिदान दिया। कांग्रेस के नेतृत्व
वाली पिछली सरकारें व्यापक मीडिया प्रचार और योजनाओं के साथ इंदिरा जी की पुण्यतिथि
को मनाया करती थीं। आनंद शर्मा ने कहा कि यह विडंबना है कि मोदी ने एकता दौड़ को झंडी
दिखाई लेकिन हमारे समय की महान नेताओं में से एक के सर्वोच्च बलिदान का उल्लेख तक नहीं
किया। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इंदिरा गांधी की शहादत का सम्मान करना हर
सरकार की जिम्मेदारी है और अगर कोई सरकार यह नहीं करती है तो वह अपने कर्तव्य से विमुख
होती है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
की पुण्यतिथि पर उनके स्मारक शक्ति स्थल पर आयोजित समारोह में हिस्सा नहीं लिया जहां
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी एवं कांग्रेस
के प्रमुख नेताओं ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
ने भी इंदिरा जी की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके स्मारक जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
हमारा भी मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इंदिरा जी के स्मारक शक्ति स्थल
पर आयोजित समारोह में भाग लेना चाहिए था। आप देश के प्रधानमंत्री हैं और इंदिरा जी
भी देश की प्रधानमंत्री थीं। आपको निजी हितों के लिए इंदिरा जी जैसी महान नेता की उपेक्षा
करना शोभा नहीं देता।
-अनिल नरेन्द्र
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