Friday 21 November 2014

तैयार रहें, महाराष्ट्र में 4-6 महीने में हो सकते हैं चुनाव

नागपुर में आठ दिसम्बर से शुरू होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में देवेंद्र फड़नवीस सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल जो दलगत स्थिति है उसमें भाजपा के 121 विधायक हैं जबकि साधारण बहुमत के लिए उन्हें 144 विधायकों का समर्थन चाहिए। करीब 12 अन्य विधायकों को भी जोड़ लें तो भी यह आंकड़ा 144 का नहीं बनता। शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42, एनसीपी के 41 और अन्य आठ हैं। इतने दिन बीतने के बाद भी भाजपा-शिवसेना का समझौता नहीं हो सका। सौदेबाजी चल रही है। नागपुर में होने वाले विधानसभा सत्र में फड़नवीस सरकार के खिलाफ विपक्ष सख्त तेवर अपनाएगा, क्योंकि सरकार ने भले ही ध्वनिमत से सदन में बहुमत साबित कर दिया हो, मगर विरोधी दल उसे अभी भी अल्पमत की सरकार मानते हैं। हालांकि सरकार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का बाहर से बिना शर्त समर्थन हासिल है लेकिन भाजपा राकांपा पर भरोसा नहीं कर सकती। खासकर जब इसके मुखिया शरद पवार इस तरह का बयान दें ः तैयार रहें, महाराष्ट्र में 4-6 महीने में फिर से हो सकते हैं चुनाव? देवेंद्र फड़नवीस सरकार को समर्थन के मसले पर एनसीपी के सुर बदलने लगे हैं। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को अपने कार्यकर्ताओं को मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा। पवार रायगढ़ के अलीबाग में पार्टी के दो दिनी सम्मेलन में बोल रहे थे। महाराष्ट्र में स्थिर सरकार देना एनसीपी की जिम्मेदारी नहीं है। मौजूदा हालात राज्य में राजनीतिक स्थिरता का संकेत नहीं देते। एनसीपी ने विधानसभा चुनाव के तुरन्त बाद भाजपा की आने वाली सरकार को समर्थन का ऐलान किया था। देवेंद्र फड़नवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी शरद पवार ने कहा था कि सरकार पूरे पांच साल करेगी। एनसीपी ने विश्वासमत के दौरान विधानसभा से गैर हाजिर रह कर या सीधे पक्ष में वोट देकर सरकार को बचाने की तैयारी भी कर ली थी। शायद इस तरह वह भाजपा पर नैतिक दबाव बनाना चाहती थी, जिसे उसने चुनाव के दौरान नेचुरली करप्ट पार्टी कहा था। लेकिन फड़नवीस सरकार ने ध्वनिमत से विश्वासमत पारित करा लिया और एनसीपी सदस्य चुपचाप अपनी बैंचों पर बैठे रह गए। शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार को शायद यह नागवार गुजरा। शरद पवार के मध्यावधि चुनाव की संभावना पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने तुरन्त जवाब दिया ः मुझे नहीं लगता कि राज्य में मध्यावधि चुनाव होंगे। कोई पार्टी ऐसा नहीं चाहती। वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमने सरकार में शामिल होने के संबंध में कोई फैसला नहीं किया है। भविष्य में हालात को देखते हुए फैसला करेंगे। शिवसेना के हाथ में सरकार के भविष्य की चॉबी है। जब तक वह विपक्ष के साथ नहीं जाती तब तक सरकार गिर नहीं सकती। इसीलिए वह चाहती है कि एनसीपी फड़नवीस सरकार से समर्थन वापस ले और वह भाजपा को आइना दिखाए। अपनी शर्तों पर सरकार में शामिल और उसे बचाने का श्रेय भी लेना चाहती है।

-अनिल नरेन्द्र

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