Sunday 30 November 2014

क्या भाजपा अपने मिशन-44 में कामयाब हो सकती है?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अपने मिशन-44 को पूरा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी नेशनल प्रेजीडेंट अमित शाह के साथ काम कर चुके करीब 50 नेताओं को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है। जब अमित शाह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई थी तब वह पार्टी महासचिव थे। नेताओं की इस फौज की औसत उम्र 30-40 साल के बीच है और सभी का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से है। चूंकि यह नेता पहले ही अमित शाह की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के लिए काम कर चुके हैं, इसलिए पार्टी अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में इनके अनुभव का लाभ उठाना चाहती है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा इस बार कई वर्षों के बाद रोचक होने जा रहा है। कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोकेटिक पार्टी (पीडीपी) के बाद लोकसभा चुनाव में राज्य की छह में से तीन सीटें जीतने के कारण भाजपा को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है। अलगाववादियों के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी इस बार पोस्टर-बैनर इत्यादि नजर आ रहे हैं। 87 सीटों वाले राज्य में भाजपा मिशन-44 के साथ उतरी है। पार्टी की  बढ़ती सक्रियता से पड़ोसी देश पाकिस्तान भी आशंकित है। वहां की मीडिया में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव छाया हुआ है। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने जम्मू, लद्दाख और उधमपुर सीटें जीती थीं। इन क्षेत्रों के अंतर्गत 41 विधानसभा सीटें आती हैं। अकेले जम्मू क्षेत्र में आने वाली 37 सीटों में से 25 विधानसभा क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को बढ़त मिली थी। पार्टी मोदी की लहर के भरोसे उस बढ़त को बरकरार रखते हुए इन पर जीत हासिल करने की फिराक में है। घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के मसले को उठाते हुए वहां की चार-पांच सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना उसका लक्ष्य है। अलगाववादियों और हुर्रियत नेताओं द्वारा चुनाव बहिष्कार पर अमल करने की दशा में कश्मीरी पंडितों के वोट कुछ चुनावी क्षेत्रों में पार्टी को बढ़त दिलाएंगे। अगर सट्टा बाजार पर भरोसा किया जाए तो जम्मू-कश्मीर में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने की संभावना दिख रही है। मुंबई और दिल्ली के सट्टेबाजों ने इस साल मई में हुए लोकसभा चुनावों के बारे में सटीक भविष्यवाणी की थी। इतना ही नहीं, अक्तूबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बारे में भी उनका अनुमान सही साबित हुआ था। अब सट्टेबाजों ने जम्मू-कश्मीर चुनावों के बारे में भविष्यवाणी की है और इसके मुताबिक भाजपा पहली बार मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी में कुछ सीटें जीत सकती है। भाजपा अगर जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है और किसी तरह से अपना मुख्यमंत्री बनाने में सफल होती है तो यह पार्टी के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। भाजपा अभी तक जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों में हावी रही है। इस बार घाटी में भी उसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। सट्टेबाजों का कहना है कि पहली बार घाटी के युवा भाजपा की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आमदनी का सबसे बड़ा साधन टूरिज्म है। प्रधानमंत्री और भाजपा के कार्यकर्ता राज्य को टूरिस्ट हब बनाने की थीम पर फोकस कर रहे हैं। इससे यहां के लोगों का भरोसा मजबूत हुआ है। अगर मोदी और ज्यादा रैलियां करते हैं तो इसका भाजपा को ज्यादा लाभ मिलेगा। 2009 के विधानसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस को 28 सीटें मिली थीं और वह कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रही। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं। मतगणना 23 दिसम्बर को होगी। पहले चरण में भारी मतदान से भाजपा का उत्साह और विश्वास बढ़ा है। देखें, जम्मू-कश्मीर में क्या भाजपा अगली सरकार बना सकती है?

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