Saturday 22 November 2014

एक जेई से 100 करोड़ का मालिक कैसे बना रामपाल

भारतीय संविधान में अपने नागरिकों को किसी भी धर्म और आस्था को मानने की आजादी है मगर इसका मतलब यह नहीं है कि आस्था के नाम पर इस संविधान की धज्जियां उड़ाई जाएं। खुद को संत बताने वाले रामपाल और उनके समर्थकों ने हरियाणा के हिसार में बरवाला स्थित सतलोक आश्रम में जिस तरह का उत्पात मचाया वैसा नजारा भारतीय इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया। साढ़े 33 घंटे के आपरेशन के बाद हरियाणा पुलिस जब सतलोक आश्रम में घुसी तो तलाशी के दौरान पुलिस को कंडोम, महिला शौचालयों में खुफिया कैमरे, नशीली दवाएं, बेहोशी की हालत में पहुंचाने वाली गैस, अश्लील साहित्य समेत भारी तादाद में आपत्तिजनक सामग्री मिली। बुधवार को आश्रम से बाहर आने वाली महिलाओं ने भी चौंकाने वाले अनेक खुलासे किए। उनके अनुसार रामपाल के निजी कमांडो उन्हें बंधक बनाकर दुष्कर्म तक करते थे और ऐसी जगह रखते थे कि किसी तक उनकी आवाज नहीं पहुंच सकती थी। आश्रम से बाहर आई एक महिला ने बताया कि वह अपने पति और बच्चे के साथ यहां आई हुई थी और पिछले सात दिनों से वह आश्रम में ही है। उसने कहा कि कुछ दिनों से उसके साथ दुष्कर्म किया जा रहा था। पांच दिनों से पति के साथ उसका सम्पर्प नहीं हो पा रहा है। हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी करने वाला रामपाल 100 करोड़ का मालिक कैसे बन गया? रामपाल के पास करीब 100 करोड़ की सम्पत्ति है। 16 एकड़ में फैले बरवाला स्थित आश्रम की कीमत करीब 20 करोड़ बताई जाती है। आश्रम के अंदर लग्जरी की सारी सुविधाएं हैं। हर कमरे में एसी है। इसके पास लगभग 70 लग्जरी कारें हैं जिसमें मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू, यूएसवी, आरसीवी शामिल है। इसके अलावा 20 ट्रैक्टर, दो ट्रक और करीब पांच बसें भी हैं। उसके  पास बरवाला में एक और आश्रम है जो करीब छह एकड़ में बन रहा है। बरवाला में ही रामपाल ने 50 एकड़ जमीन और खरीदी है। इसकी कीमत 28 करोड़ है। रोहतक जिले में झज्जर रोड पर गांव करौंधा में चार एकड़ का आश्रम है जिसकी कीमत पांच करोड़ है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली में भी रामपाल की करोड़ों की जमीन बताई जा रही है। सतलोक आश्रम रामपाल के 25 लाख अनुयायी होने का दावा करता है। रामपाल सूट-बूट में सत्संग करता है। रामपाल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने अनुयायियों का योजनाबद्ध तरीके से इस्तेमाल किया। आश्रम में घुसने के लिए केवल एक ही मुख्य द्वार है, इसलिए रामपाल के आश्रम के मुख्य गेट के बाहर बुजुर्ग, युवा, महिलाओं व बच्चों को बहुत व्यवस्थित तरीके से ड्यूटी पर लगाया गया ताकि पुलिसकर्मी किसी भी तरह अंदर प्रवेश न कर सकें। आश्रम के गेट पर करीब 2000 महिलाएं, पुरुष और बच्चों को तैनात किया गया था। इसके बाद 4-5000 अनुयायी और निजी कमांडो आश्रम की 50 फुट लंबी दीवार के पीछे तैनात थे जो 8-10 घंटे में बदलते रहते थे। रामपाल के अनुयायी रिटायर्ड फौजी और पुलिसकर्मी अंदर  बैठ कर पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए थे और योजना को अंजाम देने में जुटे थे। आश्रम के फ्रंट गेट पर सबसे पहले बच्चों को बिठाया गया। यह बच्चे महिलाओं के बीच में घुले-मिले होने के कारण स्पष्ट नहीं हो पा रहे थे। उनके पीछे महिलाएं और युवतियों को तैनात किया गया। ऐसी महिलाओं को तैनात किया गया जिनके छोटे-छोटे बच्चे हों। उनके पीछे बुजुर्ग महिलाएं, पुरुष थे। इन सबके पीछे युवाओं की एक टोली बैठी थी जो आश्रम की दीवार से सटे हुए थे। यहीं पर पेट्रोल बम, डीजल, तेजाब के पाउच आदि रखे हुए थे। जैसे ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू की इन लोगों ने पुलिस पर  पेट्रोल बम आदि फेंकने शुरू कर दिए। पांचवें चरण में आश्रम की छत पर चार से पांच हजार युवाओं को तैनात किया गया था। इनमें बाबा के निजी कमांडो भी थे। यह राइफल, बंदूक, रिवाल्वर, पेट्रोल बम इत्यादि से हमला करने के लिए तैनात थे। मेरा मानना है कि इतनी तैयारी के साथ रामपाल ने अपने आश्रम में बंदोबस्त किया था कि पुलिस अगर जोर-जबरदस्ती करती तो सैकड़ों में लोग मर सकते थे। पुलिस प्रशासन ने बहुत संयम से काम किया और इसका सबूत यह है कि सौ से ऊपर पुलिसकर्मी इस 33 घंटे के संघर्ष में घायल हो गए। जो चार लोग मरे भी वह आश्रम के अंदर ही मरे। रामपाल सोनीपत जिले के फनाना में आठ सितम्बर 1951 को भगत नंदराम के घर जन्मे। इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया, सिंचाई विभाग में जेई की नौकरी की। नौकरी के दौरान दबंगई के कारण उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया गया। रामपाल जब कबीरपंथ के रामदेवानंद महाराज के सम्पर्प में आए तो उनके जीवन की दिशा बदल गई। उन्होंने 1999 में करौंधा में सतलोक आश्रम की स्थापना की। 2006 में स्वामी दयानंद सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश पर विवादास्पद टिप्पणी कर संत रामपाल सुर्खियों में आए। आर्य समाजियों में और रामपाल समर्थकों में हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके बाद एसडीएम ने 13 जुलाई 2006 में उनके आश्रम को कब्जे में लेकर रामपाल सहित 24 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया। डेढ़ साल जेल में रहे रामपाल और जमानत पर छूटे। 13 जुलाई 2013 को एक बार फिर रामपाल और आर्य समाज समर्थकों में झड़प हुई जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। इसके बाद एक बार फिर पुलिस ने आश्रम पर कब्जा कर लिया। रामपाल तथा सतलोक आश्रम के अधिकारियों के खिलाफ पुलिस ने राजद्रोह एवं अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। इनके अलावा धारा (121) युद्ध छेड़ने या प्रयास करने, धारा 121(सरकार के खिलाफ अपराध की साजिश), धारा 122 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार जमा करने। जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। रामपाल जैसे तथाकथित संतों का न तो धर्म, आध्यात्मिकता और नैतिकता से कोई संबंध है और उन्होंने अपने आश्रमों को कुकर्म का अड्डा बना दिया है पर सोचने की बात यह भी है कि एक जेई से संत रामपाल बनने की यात्रा में उसे कितना राजनीतिक संरक्षण भी मिला है। बिना राजनीतिक संरक्षण के यह कलंकी अपराधी इतनी दूर तक नहीं पहुंच पाते। अब जब बाबा गिरफ्त में आ चुका है पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा पंजाब के सारे डेरों की रिपोर्ट तलब की है। अगर जांच सही तरीके से हुई तो और बाबाओं की भी पोल खुलेगी और उनके गोरख-धंधे सामने आ सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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