बिल्डरों
की अक्सर शिकायतें सामने आती रहती हैं पर इनमें से कुछ की बेइमानी सामने आने के बाद
भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। इस क्षेत्र में इतने फ्राड हो रहे हैं कि पैसे देने
वाले दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं।
बिल्डिंग शुरू नहीं होती और उसे बेच दिया जाता है। बेचने के वक्त वादा कुछ किया जाता
है और जब फ्लैट देने की बारी आती है तो उसमें धांधली मचा दी जाती है। ऐसा ही एक केस
प्रतिष्ठित विपनेश्वर डेवलपर्स का है। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने विपनेश्वर डेवलपर्स
के निदेशक सुनील दहिया को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार
विपनेश्वर ने गुड़गांव और मानेसर के दो प्रोजैक्टों में 700 लोगों
से करोड़ों रुपए निवेश करवाए थे। अब तक इन दोनों प्रोजैक्टों में रुपए निवेश करने वाले
350 लोगों ने 160 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत
की है। पुलिस ने आरोपी को दर्ज तीन मामलों के आधार पर गिरफ्तार किया है। आर्थिक अपराध
शाखा के पुलिस आयुक्त मंगेश कश्यप के अनुसार धोखाधड़ी की शिकायतों में बताया गया है
कि निदेशक सुनील दहिया, संजय दहिया और दरयाव दहिया ने मानेसर
और गुड़गांव के अपने दोनों प्रोजैक्ट के बारे में खूब विज्ञापन दिए। विज्ञापन पढ़कर
और एफएम रेडियो पर सुनकर बड़ी संख्या में लोगों ने दोनों प्रोजैक्टों में निवेश किया।
बाद में सच्चाई सामने आने पर सैकड़ों निवेशकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
30 अक्तूबर को आर्थिक अपराध शाखा को गुप्त सूचना मिली कि आरोपी सुनील
दहिया किसी काम से दिल्ली के सुंदर नगर इलाके में आने वाला है। इसी सूचना के आधार पर
पुलिस की टीम ने घेराबंदी करके सुनील दहिया को बीएमडब्ल्यू कार सहित सुंदर नगर से दबोच
लिया। विपनेश्वर डेवलपर्स ने गुड़गांव और मानेसर के प्रोजैक्ट बेचे उनके पास इन प्रोजैक्ट
को बनाने की अनुमति तक नहीं थी। बताया जा रहा है कि आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए
बीते कुछ दिनों से दिल्ली के विभिन्न पांच सितारा होटलों में ठिकाने बनाए हुए थे। गिरफ्तारी के तुरन्त बाद
ही सुनील दहिया ने तबीयत खराब होने की शिकायत की। पुलिस ने मेडिकल जांच कराई जिसमें
वह पूरी तरह फिट पाया गया और कई बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज हैं। दहिया की गिरफ्तारी
के बाद उम्मीद है कि अन्य ऐसे डिफाल्टर बिल्डरों पर भी जल्द कार्रवाई होगी। सुशांत
लोक थाना ने विपनेश्वर डेवलपर्स के खिलाफ निवेशकों के करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का
केस 20 मई 2014 को दर्ज किया था। लेकिन
आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस कार्रवाई से नाराज निवेशकों ने दो बार कमिश्नर
से मिलकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की थी। निवेशकों को इस गिरफ्तारी के बाद अपने
लाखों रुपए मिलने की उम्मीद दिख रही है। पुलिस के अनुसार मानेसर प्रोजैक्ट में लगभग
300 से अधिक लोगों का पैसा लगा हुआ है। एक-एक व्यक्ति
ने इस प्रोजैक्ट में एक से लेकर 10 करोड़ रुपए तक का निवेश किया
हुआ है। सुनील दहिया के पास से एक बीएमडब्ल्यू, आठ मोबाइल फोन,
एक आई पैड, लैपटॉप, केडिट
और डेबिट कार्ड बरामद हुए।
-अनिल नरेन्द्र
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