Wednesday 5 November 2014

राबर्ट वाड्रा को गुस्सा क्यों आया?

जमीन सौदे से जुड़े सवाल पूछने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा ने एक संवाददाता के साथ जिस तरह बदसलूकी की वह अशोभनीय थी जिसका समर्थन नहीं किया जा सकता। मीडिया से बदसलूकी करने और अपना आपा खोने से राबर्ट वाड्रा बुरे फंसते नजर आ रहे हैं। मामला कुछ यूं था। एक अंग्रेजी अखबार का दावा है कि सीएजी रिपोर्ट में वाड्रा पर 44 करोड़ रुपए के गड़बड़झाले का आरोप है। अखबार के मुताबिक सीएजी की रिपोर्ट में तत्कालीन हरियाणा सरकार ने उन्हें कानून तोड़ने का मौका दिया जिससे वाड्रा ने करीब 44 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। जब एक टीवी रिपोर्टर ने इस बारे में वाड्रा से सवाल किया तो राबर्ट वाड्रा का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। वाड्रा ने ऑन कैमरा पूछा `आर यू सीरियस, आर यू सीरियस...? इसके बाद उन्होंने हाथ मारकर एएनआई के रिपोर्टर का माइक एक ओर फेंक दिया और आगे निकल गए।' उन्होंने सवाल पूछने वाले पत्रकार से अपशब्दों का भी प्रयोग किया। वाड्रा के बचाव में उतरी कांग्रेस का तर्प है कि उकसावे वाले सवाल बार-बार नहीं पूछे जाने चाहिए पर वह वाड्रा द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के बचाव का कवच नहीं हो सकता। अप्रिय लगते सवाल को अगर चाहते तो राबर्ट शिष्टता से भी टाल सकते थे। इसके बजाय उन्होंने न सिर्प रिपोर्टर का माइक झटका बल्कि अपने सुरक्षाकर्मियों को इससे जुड़ी फुटेज मिटा देने का निर्देश भी दिया। मानों यह अक्खड़पन ही कम न हो, मामला तूल पकड़ने के बाद वाड्रा के दफ्तर की ओर से जो सफाइयां दी गईं वह भी बहुत दमदार नहीं हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वाड्रा की प्राइवेसी का सम्मान किया जाना चाहिए। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि मीडिया छोटी-सी घटना को मुद्दा क्यों बना रहा है। रविवार सुबह सोनिया गांधी ने वाड्रा के घर जाकर उनसे मुलाकात की। उधर डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने वाड्रा के व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि उनकी विशेष सुरक्षा को हटा दिया जाना चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा ने कहा कि ऐसा व्यवहार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा के ही किरीट सोमैया ने कहा कि श्री वाड्रा का व्यवहार उनकी हताशा दर्शाता है। राबर्ट वाड्रा को जमीन सौदे में 44 करोड़ रुपए के अप्रत्याशित लाभ संबंधी इस रिपोर्ट पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान हुए जमीन सौदे पर तैयार की गई अपनी रिपोर्ट के पहले मसौदे में अब कैग ने भी माना है कि राज्य में जमीन के कारोबार में वाड्रा ने कानून से खिलवाड़ करते हुए 44 करोड़ रुपए कमाए हैं। कैग के मुताबिक वाड्रा की कंपनी और हरियाणा सरकार के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए वाड्रा को लाभ पहुंचाया गया, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचा है। इन परिस्थितियों और तथ्यों से जुड़े सवालों को वाड्रा आखिर कब तक टालते रहेंगे और कांग्रेस कब तक उनका बचाव करती रहेगी। उम्मीद तो की जाती थी कि पहली बार इस मामले के सामने आने पर कांग्रेस और वाड्रा खुद आगे बढ़कर सच्चाई क्या है इसको बताते। इसके बजाय मामले के रहस्योद्घाटन से ही सबने चुप्पी साध ली। कैग के खुलासे से बहुत मिलता-जुलता अशोक खेमका का भी खुलासा था। अशोक खेमका ने राबर्ट वाड्रा द्वारा कानून का उल्लंघन कर आर्थिक लाभ लेने का खुलासा किया था और इसके लिए उन्हें उलटा  सजा दी गई। कांग्रेस सरकार ने खेमका का तबादला करके यही संदेश दिया था कि वह मामले की सच्चाई को सामने नहीं आने देना चाहती। श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार की हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में हार का सबसे बड़ा कारण राबर्ट वाड्रा की लैंड डील भी थी। हुड्डा खुद तो  लोकप्रिय थे पर सरकारी दामाद के कारनामों और हुड्डा की मजबूरी का खामियाजा भुगतना पड़ा। बेशक इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहिए पर कैग के खुलासे के बाद इस मामले की जांच बहुत जरूरी हो गई है ताकि पूरी सच्चाई सामने आ जाए। जहां तक कांग्रेस के रवैये का सवाल है तो अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही पार्टी इस तरह के मामलों का बचाव कर अपना और नुकसान ही करेगी। जैसा मैंने कहा कि राबर्ट वाड्रा का मीडिया से इस तरह का सलूक स्वीकार्य नहीं है। उन्हें तुरन्त माफी मांगनी चाहिए। सवाल वाड्रा का ही नहीं कांग्रेस के भविष्य का भी है।

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