Wednesday 26 November 2014

बोफोर्स घोटाले के 28 साल बाद तोपों की खरीद होगी

यह खुशी की बात है कि मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा और हमारी सेनाओं के लिए जरूरी हथियार खरीदने को हरी झंडी दे दी है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में तो कमीशनखोरी के कारण सेना के लिए अत्यंत जरूरी हथियार खरीदना ही बंद कर दिया था। नतीजा यह था कि हमारे सुरक्षा बल पुराने हथियारों पर ही निर्भर थे जबकि पड़ोसी पाकिस्तान और चीन अत्याधुनिक हथियारों से अपनी सेनाओं को लेस कर रहे थे। मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार आवश्यक सैन्य सामग्री के अभाव के कारण हमारी थल सेना लंबा युद्ध करने में असमर्थ हो गई थी। 20 दिन की लड़ाई लड़ सकती थी और यह बात पाकिस्तान और चीन दोनों को मालूम भी थी। प्रधानमंत्री ने एक निहायत ईमानदार और कुशल प्रशासक मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्रालय सौंप कर बहुत अच्छा किया और मनोहर पर्रिकर ने पदभार संभालते ही भारी तोपें खरीदने का निर्णय किया है। बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के भूत से बाहर निकलते हुए रक्षा मंत्रालय ने 28 साल बाद 15 हजार 750 करोड़ रुपए की लागत से तोपें खरीदने का निर्णय किया है। रक्षामंत्री बनने के बाद रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में शनिवार को रक्षा खरीद परिषद की पहली बैठक हुई। इस बैठक में सेना की तोपों की कमी को देखते हुए 814 तोपें खरीदने का निर्णय किया गया। भारतीय सेना ने 1986 के बाद से अब तक एक भी तोप नहीं खरीदी है। विभिन्न केंद्र सरकारें तोप सौदे में दलाली से बचने के लिए इस बारे में फैसलों को बार-बार टालती रहीं हैं। लगभग दो घंटे चली बैठक में तोपों की कमी को पूरा करने के लिए 155 एमएम 52 कैलिबर की 814 तोपें खरीदने का निर्णय किया गया। तोप सौदे घरेलू उत्पादन बढ़ाने की योजना के तहत होंगे। इसके तहत पहले 100 तोपें खरीदी जाएंगी और उसके बाद तकनीक हासिल कर इनका देश में ही निर्माण होगा। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी `मेक इन इंडिया' योजना को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया पर भी बैठक में चर्चा हुई। पर्रिकर ने कहा कि अधिक से अधिक रक्षा उत्पाद देश में ही बनें इसके उपाय और तरीके खोजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि माहौल को निवेश अनुकूल बनाया जाए। इससे निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगा। रक्षामंत्री ने कहा कि वह तेजी व पारदर्शी तरीके से निर्णय लेने की प्रक्रिया को जारी रखेंगे। श्री पर्रिकर ने कहा कि हम किसी पर हमला नहीं करना चाहते लेकिन ऐसे दुश्मनों से रक्षा करने के लिए पर्याप्त ताकतवर होना हमारे लिए जरूरी है। जो बुरे इरादों से भारत को देखते हैं। मोदी सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्रों में तेजी से लिए जा रहे फैसलों से हमारी सुरक्षा सेनाओं पर अच्छा असर पड़ेगा और उनका गिरता मनोबल बढ़ेगा। यूपीए सरकार के कार्यकाल में हमारे तमाम सुरक्षा बल सरकार की ढुलमुल और अस्पष्ट नीति की वजह से परेशान थे, उनका मनोबल गिर गया था। वह सब बदल रहा है।

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