युद्धग्रस्त यमन में अब
भी गोले बरस रहे हैं और सैकड़ों जानें चली गई हैं और खूनखराबा जारी है। ऐसे माहौल में
अपने नागरिकों को बचाने में जहां अमेरिका जैसे कई विकसित देश पीछे छूट गए, वहीं भारत ने अभूतपूर्व अभियान छेड़कर न सिर्प अपने नागरिकों
को बल्कि विदेशियों को भी बचाकर सारी दुनिया में नाम कमाया है। शुक्रवार को यह अभियान
औपचारिक रूप से खत्म हो गया। इस पूरे ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन राहत दिया गया। इस दौरान
कुल 5600 लोगों को बाहर निकाला गया। इस अभियान के जरिये
4600 भारतीयों के अलावा 41 देशों के
960 लोगों को यमन से सुरक्षित बाहर निकाला गया। बाहर निकाले जाने वालों
में एक छह दिन की बच्ची को एक डाक्टर की निगरानी में इनक्यूबेटर में एयर इंडिया की
उड़ान से शुक्रवार को यहां लाया गया। कुछ परेशानियों से जूझ रही पार्वती को कोच्चि
अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचाने के बाद उसकी मां के साथ ही अमृता इंस्टीट्यूट
ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया। यह ऑपरेशन 2011 में उस
महाअभियान की याद दिलाता है जब गृहयुद्ध के शिकार लीबिया से हजारों भारतीय वापस लाए
गए थे। पूरे अभियान के दौरान यमन के पड़ोसी देश जिबूती में कमान संभालने वाले विदेश
राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह की देखरेख में यह अभियान सम्पन्न हुआ। जनरल ने कहा कि यमन
में हर ओर लड़ाई छिड़ी हुई है। सना के पास भी हवाई हमले हो रहे हैं। हमसे कहा गया था
कि हम लौट जाएं पर किसी तरह हमने परमिशन ली और चुनौतियों के बीच काम करके दिखाया। गौरतलब
है कि एक अप्रैल से नौ अप्रैल तक भारतीय वायुसेना के विमानों ने तकरीबन 18 उड़ानों के जरिये ऑपरेशन राहत चलाया। इसके अलावा भारतीय नौसेना के पोतों ने
यमन के अदन, हुदायदाह तथा अल मुमाल्ला बंदरगाह से
1670 से अधिक लोगों को बाहर निकाला। भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सुमित्रा
ने नौ अप्रैल को अल हुदायदाह बंदरगाह से 349 लोगों को बाहर निकाला
जिनमें 46 भारतीय जबकि 303 विदेशी नागरिक
थे। विदेशी मीडिया ने ऑपरेशन राहत और इसके अगुवा विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह
की जमकर तारीफ की है। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत ने बेहतरीन ढंग से बचाव कार्य
की अगुवाई की और यमन में फंसे भारतीयों के अलावा 32 देशों के
नागरिकों को भी बचाया। ऑपरेशन राहत ने दुनिया को भारतीय सेनाओं का शौर्य व कौशल दिखा
दिया। साथ ही इसने भारत की कूटनीतिक शक्ति को भी रेखांकित किया है। यमन से सुरक्षित
निकाले गए भारतीयों में अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग थे। 2002 के गुजरात दंगों की तो आज भी यह छद्म सेक्युलरिस्ट बात करते थकते नहीं पर यह
कोई नहीं कहेगा कि यमने से किस बहादुरी और समझदारी से मोदी सरकार ने फंसे अल्पसंख्यक
समुदाय से ताल्लुक रखने वाले देशवासियों को बचाया। इसकी चर्चा हमारा मीडिया भी नहीं
करता। ऑपरेशन राहत की सफलता पर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के साथ-साथ भारतीय नौसेना व वायुसेना को बधाई देना चाहते हैं। भारत ने एक बार फिर
सारी दुनिया में अपना डंका बजा दिया।
-अनिल नरेन्द्र
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