Saturday, 25 April 2015

गजेंद्र सिंह के फंदे में फंसती आम आदमी पार्टी

राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह की आत्महत्या का मुद्दा बृहस्पतिवार को सड़क से लेकर संसद तक गरम रहा। ऐसा लगता है कि यह मामला आम आदमी पार्टी के गले की फांस बन गया है। केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने किसान गजेंद्र सिंह आत्महत्या केस में जो एफआईआर दर्ज की है उसमें आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर आत्महत्या के लिए गजेंद्र सिंह को उकसाने का आरोप लगाया है। संसद मार्ग थाने में दर्ज एफआईआर में मौके पर मौजूद रहे इंस्पेक्टर एसएस यादव के हवाले से लिखा गया है कि आप के नेता भाषण दे रहे थे और लोग ताली बजा रहे थे। एक आदमी पेड़ पर हाथ में झाड़ू लिए चढ़ा हुआ था। मैंने ताली बजा रहे कार्यकर्ताओं से उसे न उकसाने को कहा, न तो स्टेज पर बैठे आप के नेताओं और न ही कार्यकर्ताओं ने सहयोग किया। पुलिस उन लोगों को उस आदमी को सुरक्षित उतारने में सहयोग देने, जगह खाली करने और इमरजेंसी वाहन को वहां तक आने देने को कहती रही। वह लोग सहयोग न करके कहते रहे कि पुलिस आम आदमी पार्टी के खिलाफ है। पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने (धारा 306), सरकारी काम में बाधा डालने (धारा 186) और एक इरादे से काम करने (धारा 34) के मामले दर्ज किए हैं। किसान गजेंद्र सिंह के परिजनों ने मौके से मिले सुसाइड नोट पर सवाल उठाए हैं। गजेंद्र के चाचा गोपाल सिंह और उनकी बहन ने गुरुवार को कहा कि इसमें गजेंद्र की लिखावट नहीं लग रही है। गोपाल ने भी आम आदमी पार्टी के नेताओं पर गजेंद्र को आत्महत्या से नहीं रोकने का आरोप लगाया है। लोकसभा में चर्चा के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली पुलिस का रुख दोहराया और रैली में आए लोगों पर ताली बजाकर गजेंद्र को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया। राजनाथ सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया कि गजेंद्र को बचाने के लिए पुलिस ने कुछ नहीं किया। गजेंद्र के भाई विजेंद्र ने कहा कि गजेंद्र मनीष सिसोदिया से मिलने जा रहे थे। गजेंद्र की मनीष सिसोदिया से फोन पर बात हुई थी। यह नहीं बताया कि सिसौदिया ने फोन करके बुलाया था या नहीं? उधर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि गृहमंत्री झूठ बोल रहे हैं और गुमराह करने वाला बयान दे रहे हैं। यह पुलिस का इस्तेमाल करके आप को निशाना बनाने की केंद्र की साजिश है। कुमार विश्वास ने भी ऐसी ही बातें कहीं। गजेंद्र के परिजनों ने इसके लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि एक किसान फांसी लगा रहा था और केजरीवाल भाषण देने में व्यस्त थे। अगर उनका अपना बेटा उनके सामने फांसी लगाता क्या तब भी वह भाषण देते रहते? हमें लगता है कि गजेंद्र आत्महत्या करने के इरादे से नहीं आया था। वह दिल्ली में शादी में साफा बांधने की बात भी हो रही है। गजेंद्र किसान के साथ-साथ एक व्यवसायी भी था। उसका साफा बांधने का धंधा था और उनकी अपनी एक वेबसाइट भी थी। साफा बांधने के हुनर के लिए उन्हें राष्ट्रीय सम्मान भी मिला था। गजेंद्र 32 तरह से साफे बांधने में माहिर थे। 125 वर्पशाप लगा चुके थे। एक मिनट में सात पगड़ी बांधने का रिकार्ड भी उनके नाम था। गजेंद्र के बचपन के दोस्त शक्ति सिंह ने बताया कि वह 25 साल से पगड़ी बांधते आ रहे थे। जैसलमेर के मरू मेले में गजेंद्र ने रौबदार मूंछें और पहनावे के लिए मरूश्री पुरस्कार भी जीता था। वह जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह के सुरक्षा अधिकारी भी रहे हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए भी साफा बांध चुके थे। फिल्म यह फासले, वीर और गुलाल के कलाकारों की पगड़ियां भी बांधी थीं। उनके पिता के पास 17 बीघा जमीन है। बेशक ओले-बारिश की वजह से 50 फीसदी फसल बर्बाद हो गई पर वह आत्महत्या करने वालों में से नहीं थे। अखबारों में जो फोटो छपी हैं और टीवी में जो मौके वारदात के चित्र दिखाए गए हैं उनसे साफ है कि वह आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता थे, जो झाड़ू (आप का चुनाव चिन्ह) लेकर पेड़ पर चढ़े थे। कहानी कुछ और थी। नीचे उतरते समय हो सकता है कि उनका हाथ फिसल गया और वह टहनी को पकड़ नहीं पाए, परिणामस्वरूप वह स्वयं के बनाए फंदे से लटक गए और बाद में नीचे आ गिरे। चूंकि मामले की बारीकी से जांच हो रही है। उम्मीद की जाती है कि कहानी क्या थी इसका पता चल जाए।

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