Thursday, 2 April 2015

जम्मू-कश्मीर में पुराने जख्म भरे नहीं, नई मुसीबतें आ गईं

धरती पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में इन दिनों फिर चारों ओर तबाही का आलम है। कश्मीर के हर क्षेत्र में दिख रहा जलभराव दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है। तमाम बाजार बंद हैं और लोग अपने घरों की ऊपरी मंजिल में बैठ चारों ओर जमा पानी को देख गमगीन हैं। कहीं यह पिछले सितंबर की तबाही की शुरुआत तो नहीं? बारिश लगातार हो रही है और थमने का नाम नहीं ले रही। मौसम विभाग ने तीन अपैल तक मौसम खराब होने का अनुमान जताकर लोगों की धड़कने और बढ़ा दी हैं। लोग परिवार समेत सुरक्षित स्थानें की ओर निकल पड़े हैं। डल झील का जल स्तर भी ऊंचा हो चुका है। इसके बावजूद लेक के किनारे शिकारे वाले पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं। कश्मीर घाटी में ताजा बाढ़ की  स्थिति उत्तरी कश्मीर में फिलहाल तो नहीं है लेकिन इससे नागरिकों के मन में सितंबर 2014 की भीषण बाढ़ की यादें ताजा हो गई हैं। पिछली बाढ़ में जिस हद तक तबाही हुई थी और कश्मीर घाटी का हर नागरिक किसी न किसी तरह पभावित हुआ था उसके असर को अब भी महसूस किया जा रहा है, इसलिए श्रीनगर में जब झेलम नदी बाढ़ के खतरे के निशान के नीचे थी, तभी लोगें ने सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरू कर दिया था। लगातार बारिश से सोमवार सुबह झेलम नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया और नदी के करीब रहने वाले लोगों को वहां से हटाने का काम शुरू कर दिया गया। कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का असर पहले ही शुरू हो गया था कई रास्ते बाढ़ की वजह से बंद हो गए हैं और कुछ लोगों के मरने की खबर है। अच्छी बात यह है कि सितंबर की घटना से सबक लेकर पशासन इस बार काफी सतर्क है और तेजी से राहत और बचाव का काम हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में और बाढ़ से बचाव और राहत की कमान केंद्र सरकार ने संभाल ली है। सूबे के हालात पर पधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी नजर है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से बात कर हालात का जायजा लिया। गृहमंत्री ने मुफ्ती को आश्वस्त किया है कि राहत सामग्रियां कम से कम समय में विमानों के जरिए सूबे के पभावित इलाकों में पहुंचाई जाएंगी। श्रीनगर में फंसे पर्यटक जल्द से जल्द परिवार समेत वापस लौटने की जुगत में है। कई होटलों की एडवांस बुकिंग कैंसल हो चुकी है। तमाम मकान साढ़े तीन फुट पानी में हैं। पानी निकासी के लिए पंप सेट लगाए गए हैं लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं। बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। जम्मू का क्षेत्र भी बुरी तरह पभावित हुआ है। हाल ही में सत्ता संभालने वाली मुफ्ती मोहम्मद सईद और भाजपा की गठबंधन सरकार के लिए यह चुनौती बन कर आई है कि वह कितनी जल्द ज्यादा से ज्यादा पभावित लोगों को राहत पहुंचा सकते हैं? सुरक्षित निकाल सकते हैं। उस सेना पर जिस पर पथराव करते कश्मीरी अब उसी के सहारे हैं। सेना पूरी तरह बचाव व राहत कार्यें में जुटी है। जम्मू-कश्मीर में पुराने जख्म भरे नहीं कि नईमुसीबतें सिर पर आ गई हैं।

No comments:

Post a Comment