Sunday 5 April 2015

एलजी और एके के बीच नई जंग

आम आदमी पार्टी की सरकार के गठन को 49 दिन पूरे हुए हैं और अरविंद केजरीवाल ने अब दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपनी पार्टी के अंदर तो उठापटक चल ही रही है पर साथ-साथ केंद्र सरकार और उपराज्यपाल से दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी दूरी बनानी शुरू कर दी है। दिल्ली सरकार और एलजी नजीब जंग के  बीच तनातनी लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है। सूबे के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच अधिकारों को लेकर छिड़ी सियासी जंग लगातार तीखी होती जा रही है। भारी बहुमत से सरकार में पहुंचे केजरीवाल चाहते हैं कि पैरोल के मामलों को छोड़कर राजनिवास जाने वाली केंद्र सरकार की हर फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय से होकर जाए। उन्होंने इस मामले में राजनिवास को पत्र भी भेजा है। यह और बात है कि केजरीवाल की इस मांग को न तो गृह मंत्रालय मानने को तैयार है और न ही आला अधिकारी। दिल्ली सरकार द्वारा पिछले महीने प्रधान सचिव (वित्त) एसएन सहाय को कार्यकारी मुख्य सचिव नियुक्त किया था, लेकिन राजनिवास से इस नियुक्ति पर सहमति नहीं मांगी गई थी, इसलिए उपराज्यपाल नजीब जंग ने बिना उनकी सहमति से नियुक्ति करने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए स्पष्टीकरण मांगा था। उपराज्यपाल के इस सख्त रवैये से दिल्ली सरकार सकते में आ गई और स्पष्टीकरण का जवाब दिया गया। जहां तक सारी फाइलों का मुख्यमंत्री के पास पहले भेजने की मांग है तो सूत्रों ने बताया कि यदि मुख्यमंत्री कोई फाइल देखना चाहते हों तो इसमें भला राजनिवास को क्या आपत्ति हो सकती है। वह चाहें तो फाइल देख सकते हैं। आपको याद दिला दें कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली में सरकार की वास्तविक शक्तियां उपराज्यपाल में निहित हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2002 में जारी एक आदेश में इसे स्पष्ट भी किया गया है। यही वजह है कि दिल्ली पुलिस व जमीन और कानून-व्यवस्था से जुड़ी फाइलें मुख्यमंत्री के पास नहीं जाकर सीधे उपराज्यपाल के पास जाती हैं। मुख्यमंत्री को इस पर एतराज है और उन्होंने बाकायदा नजीब जंग को पत्र लिखकर एतराज दर्ज कराया है। उपराज्यपाल से पंगा लेना केजरीवाल की समझदारी नहीं कही जा सकती। नजीब जंग का कड़ा रवैया केजरीवाल सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है क्योंकि दिल्ली सरकार को अभी बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल करना है और कई स्तर पर  बड़ी नियुक्तियां भी करनी हैं। फेरबदल व नियुक्तियों का सिलसिला अभी शुरू ही हुआ है। राजनिवास से बिना सहमति लेकर निर्णय करना कई बड़ी नियुक्तियों के रास्ते में बाधा बन सकती है। यही कारण है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई कि राजनिवास मुख्यमंत्री के सामान्य कार्यों में हस्तक्षेप कर रहा है। इस प्रकार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने भी सीधे तौर पर अपनी नाराजगी जता दी है। यह दिल्ली सरकार और राजनिवास के  बीच संबंध सामान्य होने के संकेत नहीं हैं। इसकी अगली कड़ी में मुख्यमंत्री ने भूमि व पुलिस प्रशासन संबंधी फाइलें भी मांगी हैं। दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में भूमि नहीं होने से स्कूल, कॉलेज व अस्पताल की सैकड़ों परियोजनाओं पर असर पड़ेगा। राजनिवास और दिल्ली सरकार के बीच दूरी और बढ़ने के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं।

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