Tuesday, 28 April 2015

पार्टी की छवि बदलने राहुल बाबा केदार की शरण में

लगभग दो महीने अज्ञातवास में रहने के बाद अपनी इमेज बदलने, छवि बदलने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 11 किलोमीटर की अत्यंत कठिन पैदल यात्रा करके बाबा केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे। राहुल ने गौरीपुंड से केदारनाथ के लिए पैदल यात्रा की तो उनके चेहरे पर जबरदस्त उत्साह नजर आया। तीन साल पहले मैं भी केदारनाथ गया था। मुझे मालूम है कि यह यात्रा कितनी कठिन है। मैं राहुल गांधी को बाबा केदार की शरण में आने के लिए बधाई देता हूं। कारण जो भी रहा हो पर इस यात्रा का हम स्वागत करते हैं। राहुल ने गौरीपुंड से केदारनाथ के लिए जब पैदल यात्रा शुरू की तो उनके चेहरे पर जबरदस्त उत्साह नजर आया। उनकी तेज चाल देखकर ऐसा लगा मानों इन पहाड़ी दुर्गम रास्तों पर वह रोज चलने के आदी हैं। 2013 की आपदा से अब केदार यात्रा संभव हुई है। पहले के मुकाबले इस बार यात्रा भी कुछ आसान हुई है। यात्रियों को इस बार 22 किलोमीटर की बजाय 16 किलोमीटर ही पैदल चलना पड़ेगा। शुक्रवार सुबह 11 किलोमीटर की पैदल दूरी कर राहुल कपाट खुलने के मौके पर केदारनाथ पहुंचे। कांग्रेस उपाध्यक्ष गुरुवार को दोपहर विशेष विमान से जौलीग्राट हवाई अड्डे देहरादून पहुंचे। वहां उनका स्वागत मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया। राहुल ने 11 किलोमीटर का पैदल सफर सवा चार घंटे में तय कर लिया। इससे यह भी साबित होता है कि वह कितने फिट हैं। उनकी सुरक्षा में लगे एसपीजी जवानों को भी उनके बराबर चलने में पसीने छूट गए। राहुल ने बातचीत में बताया कि इतना स्टैमिना तो है मुझ में। आखिर रोज पांच-छह किलोमीटर दौड़ता हूं। जीन्स और टी-शर्ट पहने राहुल ने पैदल मार्ग पर काम कर रहे श्रमिकों का उत्साह बढ़ाया तो स्थानीय छोटे-छोटे दुकानदारों से भी बातचीत की। उन्होंने व्यापारियों से उनके व्यवसाय व सरकार द्वारा दी गई यात्रा की सुविधाओं पर फीडबैक भी लिया। राहुल व मुख्यमंत्री ने छोटे खच्चर वालों व स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की। लिनचोली की खड़ी चढ़ाई पर तेजी से कदम बढ़ा रहे राहुल जोश से लबरेज दिखे। राहुल की केदारनाथ यात्रा को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कांग्रेस हलकों में यह चर्चा खास तेज है कि अल्पसंख्यक वर्ग पर ज्यादा मेहरबान होने की छवि को बदलने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष बाबा केदार के दरवाजे पर पहुंचे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में अब कांग्रेस बहुसंख्यक विरोधी छवि सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रही है। लोकसभा चुनाव की हार के बाद से ही यह विचार सामने आए हैं कि पार्टी अल्पसंख्यक की पैरोकार बन गई है। जबकि बहुसंख्यक विरोधी छवि से पार्टी को नुकसान हो रहा है। एके एंटोनी समेत तमाम वरिष्ठ नेता पार्टी की आंतरिक बैठकों में यह सवाल खड़ा कर चुके हैं।  जून 2013 में आपदा के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रयासों से चार धाम यात्रा फिर आरंभ हुई है। हम श्री हरीश रावत को बधाई देना चाहते हैं। कारण चाहे कुछ भी रहे हों हम राहुल गांधी के बाबा केदार की शरण में आने का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि भोलेनाथ उनका सही मार्गदर्शन करते रहेंगे। जय बाबा केदार की। हर-हर महादेव।

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