Friday 17 April 2015

पीएम तो जोड़ने का काम कर रहे हैं और यह नेता तोड़ने का

शिवसेना सांसद और पार्टी मुखपत्र सामना के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने मांग की है कि मुस्लिम समाज से वोट का अधिकार छीन  लिया जाए। उनकी राय में मुस्लिम समाज को एक वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जो इस समुदाय के हितों के लिहाज से ठीक नहीं है। इसलिए उनके मुताबिक तुष्टिकरण की इस राजनीति को खत्म करना है तो इस समुदाय को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया जाना चाहिए। बेशक यह ठीक है कि अल्पसंख्यकों को एक वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता है और इस तुष्टीकरण की नीति पर लगाम लगनी चाहिए पर किसी समुदाय का मतदान अधिकार छीनने की बात कहना सरासर गलत है। संजय राउत को पूरा हक है कि वह अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की चाहे जितनी तीखी आलोचना करें पर वोट का अधिकार छीनने की बात कर उन्होंने बड़ी मुसीबत मोल ले ली है। यह बात अपनी जगह सही है कि जिन ओवैसी बंधुओं से शिवसेना की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की पृष्ठभूमि में राउत का यह बयान आया है, सांप्रदायिक राजनीति करना उनकी पहचान रही है। राउत की इस बात से कुछ हद तक सहमत हुआ जा सकता है कि वोट बैंक की राजनीति किसी भी समूह के लिए हितकर नहीं होती। लेकिन देश में शायद ही कोई समूह होता हो जिसे बड़े या छोटे पैमाने पर वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हो। अगर कुछ पार्टियां मुस्लिम समाज को अपना वोट बैंक मानती हैं तो कुछ अन्य पार्टियां गर्व से हिन्दू वोट बैंक बनाने का प्रयास करती हैं और चुनाव के मौके पर इस बैंक का सारा खजाना अपने नाम पर लेने का कोई मौका नहीं छोड़तीं। पिछले कुछ दिनों से भाजपा और हिन्दुत्व के कथित ठेकेदारों की ओर से विवादित बयानों की होड़-सी लग गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की तरक्की के लिए कौमों को जोड़ने के प्रयास में लगे हुए हैं वहीं भाजपा सांसद सच्चिदानंद हरि साक्षी सरीखे के नेता अनाप-शनाप बयान देकर पीएम की मुसीबतें बढ़ा रहे हैं। विवादित बयानों को लेकर अकसर सुर्खियों में रहने वाले साक्षी महाराज ने रविवार को कहा कि हम चार बच्चे पैदा करने की बात करते हैं तो हंगामा खड़ा हो जाता है। लेकिन चार बीवी और 40 बच्चे पैदा करने वालों से आग क्यों नहीं लगती? जनसंख्या वृद्धि देश को खाने के लिए मुंह बाए खड़ी है। इसलिए अब देश में परिवार नियोजन को लेकर भी एक विधान लागू करना चाहिए और उसका जो पालन न करे उसे मताधिकार के अधिकार से वंचित कर देना चाहिए, यह कहना कि सारे मुसलमान चार शादियां करते हैं और उनके दर्जनों बच्चे होते हैं सही नहीं है। अधिकतर मुस्लिम एक ही शादी करते हैं और अपनी औलादों की अच्छी परवरिश की खातिर एक-दो बच्चे ही पैदा करते हैं। हां देहाती इलाके में अनपढ़ आज भी बड़े परिवार बनाते हैं उनको सीमित करने की जरूरत है पर जोर-जबरदस्ती से नहीं, शिक्षित करके, उन्हें छोटे परिवारों के लाभ समझा कर करना चाहिए। तीखी आलोचना के बाद शिवसेना संजय राउत के बयान से पल्ला झाड़ती दिख रही है तो खुद राउत भी सफाई देने की मुद्रा में नजर आ रहे हैं। हालांकि ऐसे लोगों की कमी नहीं जो शिकायत करते हैं कि मीडिया और बुद्धिजीवी एक खास वर्ग को जरा भी चुभने वाले बयान आने पर हंगामा मचाते हैं लेकिन बहुसंख्यक विरोधी या राष्ट्र विरोधी बयान आने पर उनके मुंह पर ताला लग जाता है। इसका एक ताजा प्रमाण है कि कांग्रेस के एक नेता ने इंडियन मुजाहिद्दीन को आतंकी गिरोह मानने से इंकार कर दिया। लेकिन इस बयान पर न तो कांग्रेस, न मीडिया और न ही बुद्धिजीवी वर्ग में कोई हलचल दिखाई दी। लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यह है कि हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का हक है पर उन्हें यह समझना होगा कि जिस वोटिंग राइट पर बेतुके बयान दे रहे हैं, वह देश के नागरिकों का मूलभूत संवैधानिक अधिकार है जिसका कोई उल्लंघन नहीं कर सकता।

-अनिल नरेन्द्र

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