Saturday 11 April 2015

...ताकि दहेज रोधी कानून प्रताड़ना रुके, दुरुपयोग रुके

यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार दहेज निरोधक कानून में कुछ जरूरी संशोधन करने पर विचार कर रही है। यह समय की मांग भी है। जब दहेज निरोधक कानून बना था तो इसके पीछे भाव यह था कि दहेजलोभियों को सख्त कानून बनाकर पत्नियों को जो मारने का सिलसिला चल पड़ा था उसे रोकना। दहेज से जुड़ी हत्याएं तो रुकी नहीं पर इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होना शुरू हो गया। फर्जी शिकायतों के चलते दहेज उत्पीड़न रोधी कानून के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार इसमें बदलाव करने जा रही है। इससे दहेज प्रताड़ना रोधी कानून का दुरुपयोग बंद हो सकेगा और बेवजह कोई जेल नहीं भेजा जाएगा। आप अगर तिहाड़ जेल जाएं तो आप पाएंगे कि दहेज उत्पीड़न रोधी कानून के तहत दर्जनों पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग बंद हैं, साथ ही मुकदमे के दौरान पति-पत्नी में समझौते के जरिये समाधान का विकल्प मुहैया कराया जाएगा। वैसे तो इस कानून में परिवर्तन की पहल तभी शुरू हो जानी चाहिए थी जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट रूप से यह कहा था कि यह कानून गुस्सैल महिलाओं के हाथों में एक हथियार की तरह है। इसके अतिरिक्त यह भी किसी से छिपा नहीं रह गया था कि इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए धारा 498ए में संशोधन का प्रारूप नोट तैयार किया गया है। विधि आयोग व जस्टिस मलिमथ कमेटी के सुझाव के अनुसार कोर्ट की सहमति से ऐसे मामलों में समझौता हो सकेगा। संशोधन विधेयक का प्रारूप तैयार कर मंत्रिमंडल को भेजेगा। इस अपराध को समझौता योग्य बना दिया जाए तो पति व उसके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोपों के मामलों में भारी कमी आ सकती है। फिलहाल दहेज प्रताड़ना रोधी कानून गैर जमानती है और इसमें समझौते की इजाजत नहीं है। आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी होती है। विवादित पक्षों के बीच पुनर्मिलन की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। दोषी को तीन वर्ष तक की  जेल का प्रावधान है। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार दहेज प्रताड़ना का केस झूठा पाए जाने पर 15 हजार रुपए जुर्माना लगेगा। अभी यह एक हजार रुपए है। जुर्माना अदा कर देने के बाद किसी आरोपी को जेल जाने से छूट मिल जाएगी। कोर्ट की अनुमति से समझौता होने पर पत्नी या ससुराल पक्ष इसका समर्थन करने पर मजबूर होगा। इस कानून में जहां संशोधन जरूरी है वहीं यह भी ध्यान रखना होगा कि दहेज अभी भी एक बड़ी सामाजिक बुराई बना हुआ है और लोगों के बीच ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि दहेज मांगने अथवा उसके नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न करने वालों के प्रति किसी तरह की नरमी बरती जाएगी। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि इस कानून का आसानी के साथ दुरुपयोग हो जाता है उसके निषेध के लिए भी प्रभावी उपाय किए जाएं। ढेरों ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें महिलाओं ने पति और ससुराल वालों को तंग करने के लिए दहेज निरोधक कानून का सहारा लिया है। दहेज कानून अपने मौजूदा स्वरूप में एक दमनकारी कानून बन गया है जिसमें न्याय तो कम अन्याय ज्यादा हो रहा है। इसमें संशोधन अति आवश्यक है।

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