Sunday, 12 April 2015

टीम केजरीवाल और टीम योगेंद्र यादव में आर-पार की लड़ाई

बंटवारे की कगार पर खड़ी आम आदमी पार्टी के नेताओं को इंतजार फिलहाल 14 अप्रैल की बैठक का है। आप के दोनों गुटों की अगली रणनीति बैठक और मिले जनसमर्थन से तय होगी। सूत्र बताते हैं कि योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण एंड कंपनी की कोशिश है कि बैठक में पार्टी से जुड़े पुराने लोगों की अधिकतम भागीदारी हो जबकि टीम केजरीवाल की योजना है कि योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण समेत उनके सहयोगियों को बैठक से पहले बाहर कर दिया जाए। गौरतलब है कि यादव और भूषण ने 14 अप्रैल को आप की राष्ट्रीय परिषद की एक बैठक बुलाई है। फोन करके कार्य परिषद के सदस्यों से भावुक अपील की जा रही है। इस बैठक से साफ हो जाएगा कि पार्टी में कौन किसके साथ है। इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है, वह कंफ्यूज चल रहे हैं। आप को दिए दान का सिलसिला अलग से शुरू हो गया है। लंदन के पुंदन शर्मा की तरफ से वैगनआर कार को वापस करने की मांग की गई है। यह वही कार है जिसमें सवार होकर केजरीवाल ने चुनाव प्रचार किया था और 49 दिन की अपनी सरकार के दौरान इसी नीले रंग की वैगनआर कार से दफ्तर आते-जाते थे। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान आप समर्थक पुंदन शर्मा ने केजरीवाल से प्रभावित होकर उन्हें नीले रंग की वैगनआर कार दान दी थी। केजरीवाल ने इसी कार से चुनाव प्रचार किया था। आम आदमी पार्टी में कई दिनों से चल रहे घमासान से नाराज होकर पुंदन शर्मा ने अपनी गाड़ी वापस देने की मांग की है। उधर यूपी के लखनऊ से आप कार्यकर्ता सुनील कुमार लाल ने पार्टी के `लोगो' पर दावा किया है। केजरीवाल को भेजी गई चिट्ठी में सुनील ने कहा है कि पार्टी उस लोगो का इस्तेमाल करना बंद कर दे जिसे डिजाइन उन्होंने किया था। उनका लोगो पार्टी के लैटर हैड, झंडे, बैनर से हटा दिया जाए। विरोधी पक्ष ने अरविंद केजरीवाल को हिटलर बताते हुए दिल्लीभर में पोस्टर चिपका दिए हैं। भगत सिंह क्रांति सेना के नाम से जगह-जगह चिपकाए गए पोस्टर में केजरीवाल की तुलना हिटलर से की गई है। पोस्टरों में लिखा है कि आम आदमी पार्टी में रहना है तो अरविंद-अरविंद कहना होगा। इसके अलावा पोस्टरों में आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले गए योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार समेत सभी नेताओं के प्रति सहानुभूति भी जताई गई है। गत मंगलवार को आम आदमी पार्टी की वेबसाइट पर अजीब नाम से चन्दा आया। चन्दा देने वालों के `नामों' की जगह पर आप और केजरीवाल को अपमानित करने वाले शब्द लिखे थे। ऐसे नामों से मिली चन्दा राशि भी एक से तीन रुपए के बीच थी। हिटलर का प्रशंसक केजरीवाल, नाम से एक रुपया, देशद्रोही केजरीवाल से एक रुपया, बेइमान केजरीवाल एक रुपया और दिल्ली भाजपा को तीन सीट नाम से पार्टी खाते में तीन रुपए जमा कराए गए हैं। यह सभी नाम पार्टी की वेबसाइट पर देर रात तक मौजूद थे। इस बारे में पार्टी की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई। उधर टीम योगेंद्र की कोशिश है कि 14 अप्रैल की  बैठक में परिषद के सदस्यों का बहुमत रहे। इससे आगे की रणनीति उनके हक में होगी। दूसरी ओर टीम केजरीवाल की कोशिश है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए टीम यादव को पार्टी से बाहर कर दिया जाए। सूत्रों की मानें तो 14 से पहले इस पर फैसला संभव है। लगता है कि अब आर-पार की लड़ाई है और केजरीवाल हर हाल में पार्टी पर अपना कब्जा करने पर तुले हैं।

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