Tuesday, 14 April 2015

सवाल कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का

कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है। वह हर हालत में कश्मीरी पंडितों की घर वापसी चाहती है। भाजपा का प्रस्ताव है कि कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में जमीन देकर फिर से उनको अलग कॉलोनी में बसाया जाए। पर भाजपा का प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी पार्टी को मंजूर नहीं है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्र सरकार के इस वादे को हर कीमत पर पूरा करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने अपने फैसले में कोई बदलाव नहीं किया है। मुफ्ती ने इसके जवाब में कहा कि हमारे पास विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कॉलोनी बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम उन्हें घरों में वापसी कराना चाहते हैं और उन्हें उनके मुस्लिम पड़ोसियों के बीच इज्जत के साथ रखना चाहते हैं। गलत सूचना की वजह से यह सोच बन रही है कि कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से जगह बनाई जाएगी। मुफ्ती ने कहा कि पूर्व की नेकां और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में विस्थापित पंडितों को पांच हजार से आठ हजार नौकरियां दी गई थीं। वह नौकरियां उन्हें इस शर्त के साथ दी गई थीं कि वह घाटी में ही सेवारत रहेंगे। उनके वापस आने का सम्मानजनक रास्ता यही है कि विस्थापित होने से पहले जहां वह रहते थे उसी स्थान पर वापस जाएं। सईद ने उन खबरों को भी खारिज किया, जिनके मुताबिक घाटी में पंडितों के लिए टाउनशिप बनाने के उद्देश्य से सरकार 500 कनाल जगह का अधिग्रहण करने का विचार कर रही है। वहीं राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि कश्मीरी पंडितों को घाटी में दोबारा बसाने के अपने वादे को केंद्र सरकार जरूर पूरा करेगी। राजनाथ ने कहा कि मैं इस संबंध में विस्तार से बात नहीं करना चाहता। केंद्र सरकार द्वारा कश्मीरी पंडितों को दोबारा से बसाने के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बीते मंगलवार को राजनाथ-मुफ्ती के बीच हुई बातचीत में कश्मीरी पंडितों के लिए अलग टाउनशिप बनाने पर सहमति बनी थी। केंद्र पहले भी इसके लिए राज्य सरकार से जमीन उपलब्ध कराने की मांग कर चुकी है। बाद में अलगाववादियों और नेशनल कांफ्रेंस के तीखे विरोध के बाद मुफ्ती ने टाउनशिप संबंधी प्रस्ताव के होने से इंकार कर दिया। उन्होंने अलगाववादियों और नेशनल कांफ्रेंस के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों का उनकी पुरानी जगह पर पुनर्वास करने की कोशिश करेगी। हम केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हैं। कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में भेजने का फैसला सही है। दर-दर की ठोकरें खा रहे कश्मीरी पंडितों को अपने घरों में लौटने का पूरा अधिकार है। अलग टाउनशिप का प्रस्ताव उनकी सुरक्षा को लेकर है। अगर उनकी सुरक्षा पर कोई भी खतरा होगा तो यह अलगाववादी, जेहादी संगठन उन्हें चैन से जीने नहीं देंगे। मुफ्ती प्रस्ताव टालने का प्रयास कर रहे हैं। उनका अपने पुराने घरों में जाने का अब कोई मतलब नहीं क्योंकि घाटी में माहौल बदल चुका है। हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित तभी वापस जा सकते हैं जब उनकी सुरक्षा की पूरी गारंटी हो।

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