Thursday 30 April 2015

उम्र नहीं, मेनटेनेंस हो फिटनेस का पैमाना

केंद्र सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित पाधिकरण का रुख कर 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के दिल्ली-एनसीआर में चलाए जाने पर पतिबंध लगाने वाले उसके आदेश पर स्थगन की मांग की है। इसके पीछे यह आधार दिया कि यह सार्वजनिक एवं अनिवार्य सेवाओं को पभावित करेगा। सरकार ने अपनी अजी में ट्रिब्यूनल को इस संबंध में उसकी ओर से उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी और उन्हें लागू करने के लिए छह महीने का वक्त मांगा है। ग्रीन बैंच ने रिपोर्ट को एनालिसिस के लिए अपने पास रख लिया है। मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी। केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने दलील देते हुए एनजीटी को बताया कि दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भारी मांग होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग निजी गा]िड़यों का इस्तेमाल करते हैं। सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ज्यादा अफोर्डेबल और यूजर फैंडली बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। लेकिन इसके लिए हर साल बड़े पैमाने पर इन्वेसटमेंट की जरूरत पड़ती है। इस बीच लोगों ने गाड़ियां खरीदने में अपना काफी पैसा लगा दिया, लोन ले लिया, इस उम्मीद से कि उनकी गाड़ियां सालों साल सड़कों पर दौड़ती रहेंगी। सरकार की ओर से दलील दी गई कि कई सरकारी विभागों की ओर से लोगों को जरूरी सेवाएं दी जा रही हैं। जिनमें हास्पिटल, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन, पोस्टल डिपार्टमेंट आदि शामिल है और इनके पास मौजूद गाड़ियों में अधिकांश 10 से 15 साल पुरानी है। पाइवेट ट्रांसपोर्ट कैरिज में भी 10 से 15 साल पुरानी गाड़ियों की अच्छी खासी संख्या है और उनकी हालत भी अच्छी है। श्री पिंकी आनंद ने बताया कि 10 साल से पुराने सिर्फ सात पतिशत वाहन है जबकि 10 साल से कम पुराने 92 पतिशत वाहन है। सरकार की ओर से दलील दी गई कि उम्र नहीं मेनटेनेंस हो फिटनेस का पैमाना। मोटर व्हीकल एक्ट 1998 के तहत गाड़ियों के लिए कोई विशेष एज लिमिट तय नहीं की गई है। गाड़ी की उम्र तभी खत्म होती है या मानी जाती है जब मेनटेनेंस के बावजूद फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलता। लोगों ने लोन लेकर खरीदी है गाड़िया ताकि वे कई सालों तक चलें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने पर हो रहा है काम, पर चाहिए भारी इन्वेस्टमेंट। एक्सपर्ट टीम की रिसर्च के मुताबिक पुरानी गाड़ियों से फैलने वाले पाल्यूशन की मात्रा कम है। एडवोकेट बलेंद्र शेखर और राजेश रंजन की ओर से दाखिल याचिका में आईआईटी दिल्ली के पोफेसर दिनेश मोहन के 12 अपैल 2015 को छापे रिसर्च आर्टिकल और बेंचमॉकिंग व्हीकल एंड पैसेंजर ट्रेवल करेक्टस्टिबल इन दिल्ली फार ऑन रोड एकिशन एनालासिस पर आईआईटी दिल्ली के चार पतिशत पोफेस्टर्स के जॉइंट आर्टिकल का जिक किया गया है। इसके आधार पर केंद्र की ओर से कहा गया है कि एज (उम्र) के आधार पर गाड़ियों पर बैन लगाने जैसे सख्त कदमों से पॉल्युशन की समस्याओं का पूरी तरह समाधान नहीं होगा। पॉल्यूशन के कई और कारण भी हैं जिन पर ध्यान देना होगा।
-अनिल नरेन्द्र


No comments:

Post a Comment