पश्चिम बंगाल में ममता की सुनामी के आगे भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह
उड़ गए। पश्चिम बंगाल के निकाय चुनाव के परिणामों ने पूर्वी राज्यों में अपना आधार
बढ़ाने का लगातार दावा कर रहे अमित शाह को तगड़ा सियासी झटका लगा है। पार्टी निकाय
चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर देना तो दूर वामदलों और कांग्रेस
से भी बहुत पीछे छूट गई। राज्य के 91 नगर
निगमों में से भाजपा एक पर भी कब्जा करने में नाकाम रही है। दूसरी ओर शारदा चिट फंड
घोटाले सहित भ्रष्टाचार के कई मोर्चों पर जूझ रही टीएमसी ने राज्य के करीब
80 फीसदी नगर निगमों पर कब्जा कर सूबे के मतदाताओं में अपना जादू बरकरार
रखने का साफ संदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि निकाय चुनाव से पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित
शाह ने राज्य का तूफानी दौरा किया था। लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा
ने पूर्वी राज्यों में भी भविष्य में जीत हासिल करने के बड़े-बड़े दावे किए थे। इन दावों की पोल पश्चिम बंगाल के निकाय चुनाव के परिणामों
ने बुरी तरह खोल दी है। हालांकि भाजपा को कोलकाता नगर निगम में वर्ष 2010 की तुलना में इस बार चार सीटें ज्यादा मिली हैं। इसके बावजूद पार्टी इस सबसे
महत्वपूर्ण निगम में चौथे स्थान पर है। चुनावों में भारी हिंसा और धांधली के आरोपों
के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता नगर निगम की 144 में से
114 सीटों पर अपना कब्जा किया है। यहां सीपीएम की अगुवाई वाले लेफ्ट
फ्रंट को 15, कांग्रेस को पांच और भाजपा को सात सीटों से ही संतोष
करना पड़ा है। बाकी तीन सीटें अन्य दलों को मिली हैं। कोलकाता नगर निगम के लिए
18 अप्रैल को मतदान हुआ था। पिछले साल लोकसभा चुनाव में कोलकाता नगर
निगम के करीब 23 वार्डों पर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को पीछे
छोड़ा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में भी भाजपा ने बढ़त
बनाई थी। कोलकाता नगर निगम में तृणमूल कांग्रेस ने भले ही शानदार जीत हासिल की हो लेकिन
उसके कई दिग्गज इस बार हार गए। केंद्रीय राजनीति में आने के दो वर्ष के अंदर ही भाजपा
के सबसे सफल अध्यक्षों में शुमार हुए अमित शाह हर उस हिस्से पर भाजपा की छाप छोड़ना
चाहते हैं जो अछूता रहा है। उत्तर-पूर्व राज्य प्राथमिकता की
सूची में है। 10 करोड़ से ज्यादा सदस्यों के साथ भाजपा दुनिया
की सबसे बड़ी पार्टी बनने का दावा कर रही है। अमित शाह की महत्वाकांक्षी स्कीमों पर
कोलकाता के यह चुनाव जरूर थोड़ा धक्का लगाएंगे। बेशक अमित शाह नए-नए शहरों,
राज्यों में पार्टी का बेस बनाएं पर यह भी अत्यंत जरूरी है कि वह जीते
हुए राज्यों में कंसॉलिडेट करें। पश्चिम बंगाल की इस हार का अमित शाह को पोस्टमार्टम
करना होगा। सारे आरोपों के बावजूद ममता का जादू आज भी बरकरार है।
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