Wednesday, 20 May 2015

महंगाई के एक और तगड़े झटके के लिए तैयार रहें

दाल-चावल, खाना बनाने का तेल और फल-सब्जियों में महंगाई की मार झेल रहे लोगों को अब महंगाई का एक और झटका खाने के लिए तैयार रहना होगा। बीते 15 दिनों में दूसरी बार पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई और  बढ़ेगी। शुक्रवार को पेट्रोल के दाम में 3.13 रुपए और डीजल के दाम में 2.71 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई। इससे पहले एक मई को पेट्रोल की कीमतों में 3.96 तथा डीजल के दाम में 2.37 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई थी। नई कीमतें शुक्रवार आधी रात से प्रभावी हो गईं। बढ़े  दामों के  बाद वर्तमान में 63.16 रुपए प्रति लीटर के मुकाबले दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 66.29 रुपए प्रति लीटर हो गई है। वहीं 49.57 के मुकाबले दिल्ली में अब डीजल 52.28 रुपए प्रति लीटर हो गया है। इस वजह से महंगाई और बढ़ेगी। ट्रकों के किराये सात-आठ फीसदी बढ़ने का अनुमान किया जा रहा है। तेल कंपनियों ने बीते 30 अप्रैल को पेट्रोल में प्रति लीटर 3.96 रुपए जबकि डीजल में प्रति लीटर 2.37 रुपए की बढ़ोत्तरी की थी। शुक्रवार को कीमत में 3.13 रुपए और डीजल में 2.71 रुपए की  बढ़ोत्तरी की है। दोनों को मिला दें तो महज 16 दिनों में पेट्रोल 7.09 रुपए प्रति लीटर जबकि डीजल 5.08 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है। उधर रुपए की कमजोरी ने अब देश के सामने नई चुनौती पैदा कर दी है। डॉलर के मुकाबले रुपए का भाव 20 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अब एक डॉलर की कीमत 64 रुपए तक हो गई है। रुपए की गिरावट से कच्चे तेल का आयात महंगा होगा। अगर रुपए में गिरावट जारी रही तो आम आदमी, विशेष तौर पर मिडिल क्लास का पूरा बजट बिगड़ जाएगा। मौजूदा समय में भारत फर्टिलाइजर, आयरन और खाद्य तेल और दालों का काफी इम्पोर्ट करता है। दालों का इम्पोर्ट कुल डिमांड का 40 फीसदी तक होता है। खाद्य तेलों का आयात कुल डिमांड का 60-70 फीसदी तक जाता है। रुपए में गिरावट से इन सबका इम्पोर्ट प्राइज बढ़ेगा। इससे किसान और आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। इंडस्ट्री चैम्बर एसोचैम के डायरेक्टर जनरल डीएस रावत का कहना है कि फर्टिलाइजर के दाम बढ़ने से किसानों की खेती महंगी होगी। इसका असर कृषि सेक्टर और खाद्य वस्तुओं पर पड़ेगा। सरकार एक सीमा तक ही सब्सिडी दे सकती है। डीजल महंगे होने से यदि ट्रक ऑपरेटरों ने भाड़े में बढ़ोत्तरी कर दी तो आश्चर्य नहीं होगा। सभी चीजों के दाम बढ़ने की संभावना इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि डीजल का उपयोग किसानों से लेकर ट्रक ऑपरेटर, फैक्टरी चलाने वाले और रेलवे भी करती है। रेलवे इस समय करीब 270 करोड़ लीटर डीजल का उपयोग करता है। उस पर भी बोझ बढ़ा है तो जाहिर है कि वह अपने वस्तु एवं सेवाओं का मूल भाड़ा बढ़ाएगा। सरकार दावा करती है कि मुद्रास्फीति निचले स्तर पर है पर इससे रोजमर्रा की वस्तुओं के मार्केट में बिकने के रेट में कोई खास कमी नहीं आई है। आज गरीब आदमी, मजदूर यहां तक कि मिडिल क्लास भी महंगाई से परेशान है और सरकार को इसकी कोई चिन्ता तक नहीं है।

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