Thursday, 21 May 2015

दिल्ली में करारी हार के बाद बिहार में अग्निपरीक्षा

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने घोषणा की है कि बिहार विधानसभा चुनाव सितम्बर-अक्तूबर में कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि राज्य में चुनाव प्रक्रिया के दौरान बाहुबल और धनबल पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक पैमाने पर केंद्रीय बल तैनात किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का कार्यकाल 23 नवम्बर को खत्म हो रहा है। वर्ष 2015 के इस दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा और जनता परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। साल की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार झेल चुकी भाजपा बिहार में हार का चेहरा शायद नहीं देखना चाहेगी। राज्य में हर हाल में जीत हासिल करने के लिए पार्टी अभी से जोड़-तोड़ व जीतोड़ कोशिशों में जुटी है। वहीं सत्ता बचाए रखने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता परिवार को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। वह राजद, जद (यू), कांग्रेस और वामदलों के महागठबंधन को तैयार करने में जुटे हुए हैं। हालांकि फिलहाल तो जनता परिवार के छह दलों के विलय की जोर-शोर से शुरू हुई मुहिम अचानक खटाई में पड़ती दिख रही है। विलय की घोषणा होने और मुलायम सिंह यादव को परिवार का नया मुखिया तय करने के बावजूद सपा बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व जद (यू) और राजद के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर उत्पन्न विवाद में हस्तक्षेप के लिए तैयार नहीं है। हालांकि दोनों ही दल चाहते हैं कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह बीच-बचाव कर सीट बंटवारे का कोई  फार्मूला तय करें। दूसरी ओर बिहार में राजद-जद (यू) के गठजोड़ की संभावनाओं पर संशय के बादल गहराते जा रहे हैं। अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार की सरकार पर निशाना साध रहे हैं। लालू तो इस बात की फिक्र भी नहीं कर रहे कि नीतीश सरकार पर उनके इस हमले का असर राज्य विधानसभा चुनावों से पहले होने वाले दोनों पार्टियों के गठबंधन पर पड़ेगा। लालू ने जद (यू) सरकार पर ऐसा हमला बोला है जैसे वह विपक्ष में हों। भूकंप और तेज आंधी से प्रभावित परिवारों तक राहत और मुआवजे की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नीतीश कुमार सरकार की आलोचना कर रहे हैं। लालू का अंदाज अचानक बदल गया है और वह नीतीश सरकार पर आक्रामक दिख रहे हैं। हो सकता है कि लालू के हमले के पीछे कारण यह हो कि वह विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग डील में ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हों। पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्य वृद्धि को लेकर बिहार के दो दिन दौरे पर गए वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से ही नरेंद्र मोदी का काउंट डाउन शुरू होगा। उन्होंने तेल की कीमतों में वृद्धि के विरोध में एयरपोर्ट से स्टेट  गेस्ट हाउस तक जाने के लिए कार की बजाय रिक्शे पर सफर किया। कहा कि दिल्ली की तरह बिहार में भी भाजपा को शिकस्त मिलेगी और यहां से देशभर में संदेश जाएगा। बिहार का विधानसभा चुनाव भाजपा के सदस्यता अभियान की सफलता का पहला चुनावी परीक्षण होगा। पार्टी ने दावा किया है कि बिहार में उसके सदस्यों की संख्या 75 लाख से ज्यादा है। भाजपा और मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर है।

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