Saturday, 30 May 2015

बिहार और पश्चिम बंगाल में अगर आज चुनाव हों तो...

भाजपा के अच्छे दिन का नारा मोदी सरकार आने के एक साल बाद भी बिहार और पश्चिम बंगाल की जनता को रास नहीं आ रहा। कम से कम एबीपी न्यूज-नीलसन के ताजा सर्वे के मुताबिक। पहले बात करते हैं बिहार की। सर्वे के अनुसार बिहार में जहां इस वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं अगर आज चुनाव हो जाएं तो जेडीयू 127 सीटें लेकर सरकार बना लेगी। भाजपा को 112 तथा अन्य को चार सीटें मिलेंगी। एबीपी-नीलसन के सर्वे में यह  बात उभर कर आई है कि जेडीयू गठबंधन जिसमें आरजेडी और कांग्रेस शामिल हैं को भारी लाभ मिलता दिख रहा है। जबकि भाजपा के गठबंधन में आरएलपी और लोक जनशक्ति पार्टी शामिल हैं को नुकसान हो सकता है। चुनावी सर्वेक्षणकारों ने यह भी कहा कि दोनों गठबंधनों का अंतर काफी कम है तो अंतिम क्षणों में कुछ भी हो सकता है। इसके साथ ही कई गठबंधन बनने और टूटने की संभावनाओं पर भी चुनावी पंडितों ने गणित बैठाया है। राज्य में ज्यादातर लोगों ने नीतीश कुमार के काम को सराहा है और उन्हें सबसे लोकप्रिय नेता कहा है। जबकि लोकप्रियता के मामले में सुशील मोदी, लालू प्रसाद यादव, जीतन राम मांझी, रामविलास पासवान, शत्रुघ्न सिन्हा के मुकाबले नीतीश कुमार 52 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं। वहीं नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार दोनों की लोकप्रियता के मामले में पीएम सब पर भारी पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो उसे नुकसान होगा और यही स्थिति भाजपा के साथ है अर्थात अकेले लड़ने पर उसे भी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल अकेले नीतीश कुमार को फायदा हो रहा है और भाजपा को मौजूदा हालात में नुकसान हो रहा है। उधर पश्चिम बंगाल में सर्वे के अनुसार अगर अभी विधानसभा चुनाव हुए तो ममता की आंधी में कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां पहले से ज्यादा हाशिये पर चली जाएंगी। जबकि भाजपा महज अपना खाता खोलने में कामयाब हो पाएगी। अगर आज चुनाव हुए तो 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में सत्ताधारी ममता 198 सीटों के साथ वापसी करेंगी। कांग्रेस दूसरे सबसे बड़े दल के तौर पर उभरेगी और वह 40 सीटें जीत सकती है। तीन दशक से ज्यादा समय तक शासन करके बीते विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने वाली वामपंथी पार्टियों का प्रदर्शन इस बार और ज्यादा खराब रहने के आसार हैं और उन्हें महज 36 सीटें ही मिलने का अनुमान है। केंद्र में सत्तासीन भाजपा का कमल सिर्प 12 सीटों पर खिल सकता है। निर्दलीय और अन्य के खाते में आठ सीटें जा सकती हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले ममता को अभी 14 सीटों का इजाफा हो रहा है। यह ठीक है कि यह महज एक सर्वे है और इसके निष्कर्षों से असहमति हो सकती है। फिर चुनाव अभी दूर हैं पर इससे इन दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टियों और उनके नेताओं की जनता में लोकप्रियता का तो पता लगता है। भाजपा और खासतौर पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लिए चुनौती है।

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