Tuesday, 26 May 2015

नीतीश कुमार बनाम लालू यादव ः महाविलय में अटका रोड़ा

जनता परिवार के महाविलय की कोशिशों को लालू प्रसाद यादव ने पलीता लगा दिया है। वह नहीं चाहते कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजद और जद (यू) का विलय हो। विलय का मामला पहले भी अधर में लटक जाने के बाद अब जद (यू) और राजद के बीच बिहार विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन पर एक बार फिर पेंच फंस गया है। शुक्रवार को सीटों के बंटवारे पर विवाद टालने के लिए बुलाई गई बैठक में गतिरोध और बढ़ गया है। बैठक में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने न केवल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर विरोध किया बल्कि मोर्चा बनाकर उसमें नीतीश के कट्टर दुश्मन जीतन राम मांझी को भी शामिल करने की मांग कर डाली। नतीजा यह हुआ कि श्री मुलायम सिंह यादव के आवास पर हुई यह बैठक महज आधे घंटे में ही बिना किसी निर्णय के निपट गई। भाजपा से लड़ने के लिए गठबंधन करने के प्रयास पर पानी फिर गया। खास बात यह भी रही कि विलय के लिए सबसे अधिक प्रयत्न कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसमें शामिल नहीं हुए। वह आंख का इलाज करा रहे हैं और डाक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी है। इस दौरान उपस्थित रहे एक नेता के मुताबिक बैठक शुरू होते ही राजद प्रमुख लालू यादव ने विलय को टालने और बिहार विधानसभा से पहले मोर्चा खड़ा करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने चुनाव से पहले किसी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश न करने, मोर्चा में वाम दलों, कांग्रेस के साथ-साथ नीतीश के धुर विरोधी जीतन राम मांझी को भी शामिल करने की मांग कर डाली। इतना ही नहीं, लालू ने जद (यू) के उलट लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर सीट बंटवारे का प्रस्ताव रखा। इसके बाद बैठक महज आधे घंटे में ही बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार को बैठक में लालू की ओर से रखे जाने वाले प्रस्ताव की जानकारी थी इसीलिए उन्होंने पहले ही इस बैठक से दूरी बना ली। बैठक में मुलायम सिंह का स्टैंड भी रामगोपाल यादव जैसा ही था। मसलन दलों का विलय बिहार विधानसभा चुनाव के बाद होगा। फिलहाल तालमेल के आधार पर विधानसभा चुनाव लड़ा जाए। हालांकि मुलायम चाहते थे कि फिलहाल राजद और जद (यू) का विलय हो जाए और वे एक पार्टी के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव लड़े। पर लालू यादव के अड़े रहने से फैसला नहीं हो सका। इससे नीतीश कुमार को करारा झटका लगा है। यदि बिहार में राजद और जद (यू) ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया तो इसका फायदा भाजपा को होगा। हाल ही में एक टीवी चैनल के सर्वे में भी इस बात का खुलासा हुआ था कि यदि बिहार में राजद, जद (यू) और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो भाजपा को स्पष्ट बहुमत आसानी से मिल जाएगा। बताया जाता है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद लालू नहीं चाहते कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहें। उनकी कोशिश है कि चुनाव के बाद यदि राजद-जद (यू) की साझा सरकार बने तो मुख्यमंत्री उनकी पार्टी का ही नेता हो।

-अनिल नरेन्द्र

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