Tuesday 26 May 2015

आईएस द्वारा पाकिस्तान से एटम बम खरीदने की योजना

सउदी अरब में एक शिया मस्जिद पर जुमे की नमाज के दौरान एक आतंकी फिदायीन हमले ने चौंका दिया है। आम तौर पर सउदी अरब एक सुरक्षित देश माना जाता था जहां कम ही आतंकी हमले होते हैं। ताजा वाकया में सउदी अरब के पूर्वी कातिक प्रांत में शुक्रवार को हुए इस फिदायीन हमले में 21 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए। घायलों में कई की हालत गंभीर है। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है। एक चश्मदीद ने बताया कि अल क्वादिल गांव स्थित इमाम अली मस्जिद में एक फिदायीन हमलावर ने खुद को विस्फोटकों से उड़ा दिया। इसकी वजह से मस्जिद में एक बड़ा धमाका हुआ। घटना के समय करीब 150 लोग मस्जिद में मौजूद थे। सउदी अरब सरकार भी इस्लामिक स्टेट (आईएस) सहित तमाम सुन्नी चरमपंथी संगठनों के इरादों से वाकिफ है। सरकार को पहले से ही आशंका थी कि सउदी अरब में शियाओं पर हमले कर जातीय संघर्ष को बढ़ाने की कोशिश की जा सकती है। सरकार ने बताया कि उसने आईएस से संबंध रखने वाले करीब 65 ताकतवर आतंकियों के सेल का पता लगाया है और उन्हें नाकाम किया है। सउदी अरब में 10 से 15 फीसदी कुल आबादी में शियाओं की हिस्सेदारी है। कातिक प्रांत के दो नखलिस्तान जिलों खाड़ी तट और अल अहसा में अधिकतर शिया आबादी रहती है। आईएस संबंधी एक बहुत चिन्ताजनक खबर आई है। इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने दावा किया है कि वह पाकिस्तान से एटम बम खरीदने के काफी करीब पहुंच गया है और इसका प्रहार वह अमेरिका पर करेगा। आईएस द्वारा बंधक बना लिए गए फोटो पत्रकार जॉन कैटली ने उस संगठन की पत्रिका के लिए लिखे लेख में कहा है कि पिछले साल की तुलना में एटम बम हासिल करने के हालात अभी काफी अनुकूल हैं। कैटली को आईएस ने दो साल पहले बंधक बना लिया था और उसका इस्तेमाल वह अपनी धमकियों को दुनियाभर में प्रचारित करने में करता है। कैटली ने `द परफैक्ट स्टोर्म' नामक एक लेख में लिखा है कि इस्लामिक स्टेट के पास बैंकों में अरबों डॉलर जमा हैं और वह जल्द ही पाकिस्तान के भ्रष्ट अफसरों को पैसा खिलाकर एटम बम हासिल कर लेगा। लेकिन सबसे खतरनाक बात यह है कि इस लेख में कहा गया है कि इस एटम बम को तस्करी के जरिये अमेरिका भेज दिया जाएगा। इराक-सीरिया से शुरू हुआ आईएस आज पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। इसकी तपिश यूरोप, अमेरिका सहित पश्चिम एशिया के देश भी महसूस कर रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों ने अगर कार्रवाई नहीं की तो स्थिति बेकाबू हो जाएगी। आईएस की मंशा इतिहास में कभी इस्लामिक शासकों के अधीन रहे पूरे क्षेत्र को खिलाफत के अंतर्गत लाना है। इसके अलावा यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में भी इस्लामिक सत्ता स्थापित करने की योजना पर आगे बढ़ता यह संगठन पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अपने परमाणु अस्त्राsं की सुरक्षा करेगा और किसी भी सूरत में इन्हें इस्लामिक स्टेट के हाथ न लगने देगा। अमेरिका को भी पाकिस्तान पर दबाव डालना होगा।

No comments:

Post a Comment