Thursday 16 April 2015

कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा

एक बार फिर पुराने जनता परिवार को जोड़ने की चर्चा जोरों पर है। राजद सुपीमो लालू पसाद यादव ने पटना में हुए एक सम्मेलन में विलय का जिक करके इसे नए सिरे से चर्चाओं में ला दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जनता परिवार पर सबका मन बन गया है। जिस दिन भी सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव बैठक बुलाएंगे, विलय की औपचारिक घोषणा भी हो जाएगी। सब कुछ तय हो चुका है। उन्होंने विलय और नई पाटी को लेकर तमाम मुद्दों को अंतिम रूप दे दिया है। पाटी का झंडा, चुनाव चिन्ह और मेनिफेस्टो को लेकर कोई समस्या नहीं है। नीतीश ने कहा दिल्ली में मुलायम सिंह यादव और शरद यादव के साथ विलय पर बात हुई। राजद ने विलय को स्वीकृति दे दी है। जानकारों का कहना है कि जनता परिवार के विलय में सबसे बड़े बाधक खुद मुलायम सिंह यादव साबित हो रहे हैं। उनके रवैए के कारण ही बार-बार नए दल के गठन की औपचारिकता को टाला जा रहा है। पिछले साल चार दिसंबर को नीतीश कुमार के जनता परिवार के छह दलों के साथ आने व मुलायम सिंह यादव को नए दल का अध्यक्ष घोषित कर दिए जाने के बाद भी इसका औपचारिक ऐलान नहीं हो सका।  इससे ज्यादा हास्यास्पद स्थिति और क्या होगी कि नए दल का नाम, अध्यक्ष, चुनाव चिन्ह सब कुछ  घोषित होने के बाद भी यह अस्तित्व में नहीं आ पा रहा है। दरअसल सपा के नेताओं का मानना है कि यदि पाटी का विलय कर दिया गया तो उनके सामने उत्तर पदेश में ही पहचान का संकट पैदा हो जाएगा। मुलायम सिंह यादव के परिवार वाले ही इस पस्तावित विलय के विरोध में खड़े हो गए हैं। उनकी दलील है कि राजनीति के इन पिटे हुए मोहरों को साथ लेने से क्या हासिल होगा? न उनका उत्तर पदेश में कोई जनाधार है और न ही सपा का उत्तर पदेश से बाहर। ऐसे में विलय से कुछ फायदा नहीं होगा बल्कि सहयोगियों को कुछ विधानसभा सीटें उल्टी देनी प़ड़ेंगी। इसलिए विलय के मसले को वे लगातार यह कह कर टालते आ रहे हैं कि जल्दी क्या है? जबकि दूसरे दलों को लगता है कि जल्दी है। ऐसा नहीं हुआ तो कुछ महीने बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। सपा फिलहाल साइकल चुनाव चिन्ह को पाटी का चुनाव चिन्ह बनाए रखने के पक्ष में है। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं कि बिहार विधानसभा के चुनाव में पाटी का चुनाव चिन्ह क्या होगा। राजद का चुनाव चिन्ह लालटेन है लेकिन जद-यू इसे लेकर चुनाव मैदान में जाने से हिचकिचा रही है। भीतरी असंतोष व उठापटक के बीच एक होने की कोशिश कर रहे समाजवादियों का मिलन फिल्मों की तरह कई पार्ट में हो सकता है। इस बात की पूरी संभावना है कि कभी टूटा जनता परिवार टुकड़ों में जुड़ेगा। यानी जनता परिवार मजबूरी के चलते एक होने का नाटक कर सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार में जनता परिवार के विलय पर व्यंग्य करते हुए शनिवार को कहा कि जनता परिवार के इस विलय में जनता तो गायब है सिर्फ परिवार ही परिवार शेष है। जैसा मैंने कहा-कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा।

-अनिल नरेन्द्र

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