Thursday 16 April 2015

क्या नेताजी की हत्या की गई, उनके परिवार की जासूसी कराई?

इतिहास पर अगर हम नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि सरकारें हमेशा जासूसी कराती रही हैं। भारत में तो खुफिया व्यवस्था पाचीन काल से ही अस्तित्व में रही है। देश में आज जासूसी की व्यवस्था है, ढांचा है, यह अंग्रेजों द्वारा विकसित किया गया है। खासकर 1857 के बाद उन्हें राष्ट्रवादियों पर नजर रखने की आवश्यकता थी। आजादी के बाद इन खुफिया एजेंसियों का नियंत्रण केंद सरकार के हाथ में आ गया। समय-समय पर यह आरोप लगते रहे कि सरकार अपने पतिद्वंद्वियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनकी जासूसी कराती रही हैं। अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करवाने का आरोप लग रहा है। नेताजी की मौत पर लिखी किताब `इंडियाज दि गेस्टेट कवर अप' के लेखक अनुज धर ने एक पत्र के हवाले से आरोप लगाया है कि तत्कालीन पधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू स्वयं नेताजी की जासूसी की निगरानी कर रहे थे और निर्देश दे रहे थे। यह पत्र उन्होंने हाल में सार्वजनिक की गई दो फाइलों से हासिल किया है। इस पत्र के मुताबिक 25 नवंबर 1957 को नेहरू ने तत्कालीन विदेश सचिव सुबिमल दत्त को पत्र लिखकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे अमिय बोस के जापान दौरे के बारे में जानकारी मांगी थी। पत्र में उन्होंने लिखाः मैं टोक्यो स्थित रेनकोजी मंदिर के अपने दौरे की कुछ तस्वीरें भेज रहा हूं। इस यात्रा के बाद मुझे जानकारी मिली है कि शरत चंद्र बोस(नेताजी के भाई) के बेटे अमिय बोस भी टोक्यो गए थे। इसलिए मैं आपको निर्देश देता हूं कि आप टोक्यो में नियुक्त राजदूत को पत्र लिखकर यह जानकारी हासिल करें कि अमिय वहां क्या करने गए थे? क्या उन्होंने दूतावास से संपर्क किया था या रेनकोजी मंदिर गए थे? इस पत्र का जवाब देते हुए जापान में तत्कालीन भारतीय राजदूत सीएस झा ने कहा था कि अमिय बोस की जापान में कोई संदिग्ध गतिविधि की सूचना नहीं है। अभी यह विवाद थमा नहीं। आरोप-पत्यारोप चल ही रहे हैं कि नेता जी के गनर रहे जगराम ने एक और विवाद खड़ा कर दिया है। जंग--आजादी के महानायक रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निजी गनर रहे वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जगराम ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि नेताजी की विमान दुर्घटना से मौत नहीं हुई थी, उनकी हत्या कराई गई होगी। उनका कहना है कि यदि विमान हादसे में उनकी मौत होती तो कर्नल हबीबुर्रहमान जिंदा कैसे बचते? वह दिन रात साए की तरह नेताजी के साथ रहते थे। आजादी के बाद कर्नल पाकिस्तान चला गया था। सौ फीसदी आशंका है कि नेताजी को रूस में फांसी दी गई थी। ऐसा नेहरू के कहने पर रूस के तानाशाह स्टालिन ने किया होगा। 93 वषीय जगराम ने बताया कि हिरोशिमा एवं नागासाकी पर बमबारी के चार साल बाद चार नेताओं को युद्ध अपराधी घोषित किया गया था। इनमें जापान के तोजो, इटली के मुसोलिनी, जर्मनी के हिटलर एवं भारत के नेताजी सुभाष चंद्र बोस शामिल थे। तोजो ने छत से कूदकर अपनी जान दे दी थी। मुसोलिनी को पकड़कर मार दिया गया था और हिटलर ने गोली मारकर  आत्महत्या कर ली थी। केवल नेताजी ही बच गए थे। उन्हें जापान ने रूस भेज दिया था। लगातार 13 महीने तक नेताजी के गनर रहे जगराम ने बताया कि देश की आजादी में नेताजी के मुकाबले पंडित नेहरू की भूमिका कुछ भी नहीं थी। गांधी ही नहीं, बल्कि दुनिया के बड़े तानाशाह और शासक नेताजी के सामने बौने दिखते थे। उनके परिजनों की जासूसी की खबर से इस बात पर मुहर लग गई कि नेहरू किस कदर नेताजी से खौफ खाते थे। नेहरू को हमेशा यही लगता था कि यदि नेताजी सामने आ गए तो फिर उन्हें कोई पूछने वाला नहीं। इधर कांग्रेस के पवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भूतपूर्व पधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने का आरोप दुर्भावना से पेरित है। देश को मजबूत व महान देश बनाने वाले महापुरुषों को बदनाम करने के लिए मौजूदा सरकार अधूरे सच का पचार कर रही है।

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