Sunday 12 April 2015

इन छद्म धर्मनिरपेक्षों के लिए एक और सबक

भारत की पांच हजार साल पुरानी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक परंपरा योग के महत्व पर मुहर लगाकर अमेरिका की शीर्ष अदालत ने घोषित किया है कि इसका हिन्दुत्व के प्रसार से कोई वास्ता नहीं है और स्कूलों में इसके सिखाए जाने से किसी की धार्मिक स्वतंत्रता का कोई उल्लंघन नहीं होता है। अमेरिका की एक अदालत ने कहा कि कैलीफोर्निया के प्राथमिक विद्यालय में योग सिखाए जाने से हिन्दुत्व का समर्थन नहीं हो रहा है और न ही छात्रों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होता है। सैन डियागो की तीन सदस्यीय अपीलीय अदालत ने छात्रों के माता-पिता की ओर से दायर एक मुकदमे पर सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। उन्होंने शिकायत की थी कि अष्टांग योग की शिक्षा देकर एनसिनिटाम जिले के एक स्कूल में हिन्दू और बौद्ध मत को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अष्टांग योग को प्रोत्साहन देने वाले एक गैर लाभकारी समूह से तीन साल का अनुदान मिला है। इसके तहत जिले के 5600 छात्रों को 30 मिनट तक सप्ताह में दो बार योग सिखाया जाता है। छात्रों के माता-पिता ने दलील दी थी कि स्कूल का योग कार्यक्रम आध्यात्मिक है और इसलिए असंवैधानिक है। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार अदालत को यह निर्धारित करना है कि स्कूल का योग कार्यक्रम शारीरिक शिक्षा पाठ्यक्रम का घटक है या कैलिफोर्निया के संविधान का उल्लंघन करके धर्म की अस्वीकार्य स्थापना करता है? अदालत ने योग कक्षाओं के वीडियो का अंश देखा जिन्हें पारंपरिक जिम कक्षाओं के विकल्प के तौर पर सिखाया जाता रहा है। न्यायमूर्ति सिंथिया एरॉन ने कहाöहमारा मानना है कि कार्यक्रम के उद्देश्य में धर्मनिरपेक्ष है। इसका धर्म को आगे बढ़ाने या रोकने पर प्राथमिक प्रभाव नहीं है और जिला स्कूल धर्म में अधिक नहीं उलझाता है। इसलिए हमारा निष्कर्ष है कि निचली अदालत ने सही निर्धारण किया कि जिले का योग कार्यक्रम हमारे राज्य के संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। भारत अपनी जिन तमाम विशिष्टताओं के साथ पुन विश्व का नेतृत्व करने की डगर पर अग्रसर है, उसमें योग के रूप में दुनिया को उसका योगदान बहुत प्रमुख कारक है। आज अमेरिका और यूरोप के अनेक देशों के स्कूलों और समाजों में परंपरागत जिमिंग के ज्यादा लाभकारी विकल्प के रूप में योग का प्रशिक्षण और प्रचलन बढ़ रहा है लेकिन भारत के कथित सेक्यूलर विचार रखने वालों का दृष्टिकोण इतना गंभीर है कि उनकी आंख से सांप्रदायिकता का चश्मा हटता ही नहीं है। आज का चिकित्सा विज्ञान इलाज के साथ योग की उपयोगिता को स्थापित करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक अपील पर दुनिया के 175 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की सहमति अनायास ही नहीं दे दी, किन्तु यह सब देख और समझ पाने के लिए संकीर्णता का चश्मा उतारना पहली शर्त है।
-अनिल नरेन्द्र

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