Wednesday, 17 July 2019

वर्ल्ड कप फाइनल जैसा न पहले देखा न सुना, छोड़ गया कई सवाल

इंग्लैंड को किकेट का जनक माना जाता है और विश्व कप  किकेट की शुरुआत भी यहीं से 1975 में हुई थी। पर विश्व कप का खिताब जीतने में इंग्लैंड को 44 साल लग गए। पर गत रविवार को जो इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच फाइनल मैच खेला गया वैसा रोमांच इससे पहले कभी भी किसी फाइनल में देखने को नहीं मिला। पहली गेंद से 612वीं गेंद  तक तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले। बावजूद इसके दोनों टीमों के एक बराबर रन थे। एक को विजेता तो घोषित करना था इसलिए आईसीसी के उस रूल का सहारा लिया गया जो कहता है कि वर्ल्ड कप फाइनल अगर टाई होता है तो सुपर ओवर खेला जाएगा। शायद यह किकेट इतिहास का पहला ऐसा मौका था जब सुपर ओवर भी टाई हो गया और वर्ल्ड कप किसे दिया जाए यह एक खास नियम से तय हुआ। अगर सुपर ओवर भी बराबरी पर छूटा तो फिर यह देखा गया कि किस टीम ने ज्यादा बाउंड्रीज (चौके और छक्के) लगाए हैं। पहले 50 ओवर के अलावा सुपर ओवर में लगाई गई बाउंड्रीज भी जोड़ी जाएंगी। इस रूल से इंग्लैंड 17 के मुकाबले 26 बाउंड्री से वर्ल्ड कप तो जीत गया लेकिन टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार इस्तेमाल हुए इस रूल पर सवाल खड़े होने श्gारू हो गए हैं। विश्व कप विजेता की घोषणा के बाद दोनों टीमों के पशंसक दो धड़ों में बंट गए। विजेता टीम का समर्थन करने वाले पशंसक ``नियम तो नियम होता है'' का तर्प दे रहे हैं तो हारने वाली टीम के पशंसक उस नियम को गलत ठहरा रहे हैं जिसके तहत सबसे ज्यादा बाउंड्री लगाने वाली टीम को विजेता घोषित किया गया। आईसीसी के  नियम की वजह से इंग्लैंड की किकेट टीम पहली बार विश्व विजेता बन गई है। हालांकि फाइनल मुकाबले में एक रन भी खूब विवाद में रहा। यह विवाद इंग्लैंड की पारी के 50वें ओवर की चौथी गेंद से जुड़ा हुआ है। न्यूजीलैंड की ओर से ट्रेंट बोल्ट आखिरी ओवर की गेंदबाजी कर रहे थे। अंतिम ओवर में इंग्लैंड को 15 रन बनाने थे। पहली दो गेंदों पर बेन स्टोक्स से कोई रन नहीं बना। तीसरी गेंद पर बेन स्टोक्स ने छक्का जड़ दिया। इसके बाद बोल्ट ने चौथी गेंद फुलटॉस डाली। स्टोक्स ने उसे डीप मिड विकेट की ओर खेल दिया। मार्टिन गुप्टिल ने बाल पकड़ते ही उसे थ्रो किया। गुप्टिल के थ्रो के वक्त स्टोक्स दूसरे रन के लिए भाग रहे थे। गुप्टिल का थ्रो स्टोक्स के बल्ले से टकराया और गेंद बाउंड्री के पार चली गई। अपने साथी अम्पायर से सलाह के बाद अम्पायर कुमार धर्म सेना (श्रीलंका) ने बल्लेबाजों को छह रन दे दिए। इस फैसले ने इंग्लैंड की राह आसान कर दी। तीन गेंद पर नौ रन बनाने की चुनौती के सामने अब दो गेंद पर तीन रन रह गई। इस चौथी गेंद पर मिले छह रन के बारे में ही कहा जा रहा है कि इसे पांच रन होना चाहिए था। ऐसा क्यों होना चाहिए, इससे पहले ऐसे मामलों में आईसीसी के नियम 19.8 के अनुसार अगर ओवर थ्रो या किसी फील्डर के चलते बाउंड्री हो तब बल्लेबाजों द्वारा पूरे किए गए रन को भी जोड़ दिया जाना चाहिए। पूरे किए रन के साथ अगर बल्लेबाज थ्रो या एक्ट के वक्त कोई रन पूरा करने के लिए एक-दूसरे को कास कर चुके हों तो वो भी रन पूरा माना जाएगा। नियम का दूसरा हिस्सा इस मैच के लिहाज से बेहद अहम है। क्येंकि मैच के वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि गुप्टिल ने जब डायरेक्ट थ्रो किया तब बेन स्टोक्स और आदिल रशीद ने दूसरे रन के लिए एक-दूसरे को कास नहीं किया था। हालांकि मूल नियम में थ्रो के साथ एक्ट भी लिखा है, जिससे इस बात की संभावना भी बनती है कि एक्ट का मतलब गेंद के बल्ले से टकराना या फील्डर से टकराना हो, यह भी हो सकता है। लेकिन नियम में बल्लेबाज के एक्शन का कोई जिक नहीं है। वहीं 50वें ओवर की चौथी गेंद पर बने छह रन में जो अतिरिक्त रन था वो वजह रहा जिसके चलते न्यूजीलैंड वर्ल्ड कप गवां बैठा। इससे सहमत नहीं होने वाले भी इस बात से तो सहमत होंगे कि उस ओवर थ्रो के चौके के चलते न्यूजीलैंड के हाथों से वर्ल्ड कप फिसल गया। पूर्व आईसीसी अम्पायर साइमन टोफेल ने भी वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में अम्पायर की इस गलती पर कहा कि उन्हें (अम्पायरों) यहां 5 रन देने चाहिए थे 6 नहीं। उन्होंने कहा कि ओवर थ्रो के इस चौके के बाद अगली गेंद (ओवर पांचवी गेंद) का सामना रशीद को करना था। लेकिन यहां अम्पायर ने इसे 2 प्लस 4 रन दिया और स्टोक्स ने यह गेंद फेस की। टोफेल ने कहा कि दुर्भाग्य से समय-समय पर इस तरह की चीजें होती रहती है, जो खेल हम खेल रहे हैं वह इसका हिस्सा है। विश्व कप जीतने का सपना पूरा करने के लिए इंग्लैंड की टीम को 44 साल गुजर गए। इस बीच 11 विश्व कप का सफर अंग्रेजों ने तय किया। 1979, 1989 और 1992 में इंग्लैंड फाइनल तक पहुंचा, लेकिन किसी भी इंग्लिश कप्तान को विश्व कप की ट्राफी चूमने का सौभाग्य पाप्त नहीं हुआ। किकेट के जन्म दाता इंग्लैंड का सपना पूरा हुआ भी तो एक ऐसी टीम से जिसका कप्तान, मुख्य आलराउंडर, मुख्य ओपनर, यहां तक कि मुख्य गेंदबाज तक विदेशी मूल के थे। कप्तान इयोन मोर्गन इस देश के नहीं हैं। उनका जन्म आयरलैंड में हुआ था, यहां तक कि वह वर्ल्ड कप के लिए खेलने से पहले आयरलैंड के लिए अंतर्राष्ट्रीय किकेट तक खेल चुके हैं। इंग्लैंड के पास आज विश्व कप खिताब है तो उसमें अहम भूमिका ओपनर जैसन रॉय की है। लीग मैच में जैसन रॉय चोटिल हुए तो इंग्लैंड का सेमीफाइनल में पहुंचना मुश्किल हो गया था। तब रॉय ने ही वापसी कर टीम को भारत-न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत दिलाई। जैसन रॉय का जन्म दक्षिण अफीका के डरबन शहर में हुआ था, लेकिन उसके माता-पिता के इंग्लैंड में बसने के बाद उन्होंने इंग्लैंड के लिए वनडे में 2015 में पदार्पण किया था। यह तो बेन स्टोक्स ने भी नहीं सोचा होगा कि वह इंग्लैंड के लिए विश्व कप जीतेंगे और उस देश को हराकर जीतेंगे जहां उनका जन्म हुआ था। 28 वर्षीय बेन स्टोक्स का जन्म न्यूजीलैंड के काइस्ट चर्च शहर में हुआ था। उनके माता-पिता न्यूजीलैंड से इंग्लैंड आकर बस गए थे, लेकिन अब वह दोनों न्यूजीलैंड में ही रह रहे हैं। स्टोक्स इंग्लैंड में ही पले-बढ़े और यहीं किकेट शुरू की। स्टोक्स ने 25 अगस्त 2015 को आयरलैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे खेला था। इंग्लैंड को चैंपियन बनाने में किसी खिलाड़ी की सबसे अहम भूमिका रही तो वह हैं बेन स्टोक्स। अगर उसने विकेट पर टिकने का जज्बा नहीं दिखाया होता तो न्यूजीलैंड ने एक समय उनका काम कर दिया था। जब युवा आलराउंडर जोफा आर्चर को सुपर ओवर डालने की जिम्मेदारी दी तो उन्होंने स्वीकारा कि वह बहुत नर्वस थे। तभी स्टोक्स ने उनके कंधे पर हाथ रखा और ऐसा मंत्र दिया कि उनके ओवर का सारा  डर काफूर हो गया। इंग्लैंड टीम के मुख्य तेज गेंदबाज जोफा आर्चर जिन्हेंने सुपर ओवर में अपनी टीम को जिताया। मुख्य रूप से कैरिबियाई देश बारबेडोस से हैं। वह किकेट का सपना लेकर ही 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ ससेक्स की ओर से अपना पहला पथम श्रेणी का मैच खेला था। विश्व कप शुरू होने से कुछ महीने पहले उन्हें नियम के मुताबिक इंग्लैंड में पांच वर्ष पूरे करने थे तभी इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम में उनका चयन हो सकता था, वह उन्होंने पूरे कर लिए और विश्व कप टीम का हिस्सा बने। किस्मत भी उनके साथ रही पहली बार टीम में चुने जाने पर ही विश्व विजेता टीम का हिस्सा बन गए। पाकिस्तान का विश्व कप जीतने का सपना जरूर अधूरा रह गया, लेकिन इस देश से ताल्लुक रखने वाले इंग्लैंड के दो खिलाड़ियों ने यह कर दिखाया। आदिल रशीद का जन्म भले ही इंग्लैंड के यार्कशायर में हुआ, लेकिन उनके पिता पाकिस्तान से हैं। ऐसी ही कहानी मोइन अली की भी है। मोइन के दादा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मीरपुर जिले से थे। वह इंग्लैंड आकर बस गए थे। मोइन के पिता टैक्सी ड्राइवर थे जबकि मां नहीं थीं। खैर, वर्ल्ड कप किकेट के इतिहास में पहले कभी ऐसा फाइनल मैच नहीं देखा। अगर इंग्लैंड ने कप जीता तो न्यूजीलैंड ने दिल जीता। यह मैच कई दिनों तक विवाद में रहेगा और इस पर चर्चा होती ही रहेगी। अंत में तो हम यही कह सकते हैं कि रविवार खेले गए इस वर्ल्ड कप फाइनल में भाग्य इंग्लैंड पर मेहरबान था। उसे वर्ल्ड चैंपियन बनना था। भारत को तो इसी पर संतोष करना पड़ा कि हमने पाकिस्तान को वर्ल्ड कप में फिर हरा दिया।

-अनिल नरेन्द्र

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