Sunday 14 July 2019

अमेरिकी प्रतिबंधों से ईरान बर्बादी की कगार पर

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते एक समृद्ध देश (ईरान) बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है। ईरान की अर्थव्यवस्था इतनी खस्ता हाल हो चुकी है कि यहां लोगों को पेट भरने और पीने के पानी के लिए भी जूझना पड़ रहा है। यहां 25 हजार की एक रोटी बिक रही है। अर्थव्यवस्था के मामले में इस देश की स्थिति भी वेनेजुएला जैसी होने को है। बस अंतर इतना है कि इस देश के लोग अमेरिका के खिलाफ एकजुट हैं और सरकार देशवासियों को राहत पहुंचाने के लिए हर संभव मदद कर रही है। यहां हम बात कर रहे हैं अकूत तेल भंडार वाले देश ईरान की। इस देश की कुल राष्ट्रीय आय का आधा हिस्सा कच्चे तेल के निर्यात से हुआ करता था। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान की तेल निर्यात से होने वाली आय लगभग बंद हो चुकी है। अपने परमाणु कार्यक्रमों की वजह से ईरान को लगभग 40 साल से लगातार विभिन्न तरह से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। 12 जून इसी साल में अमेरिकी ड्रोन को मार गिराने के बाद ईरान पर प्रतिबंध और कड़े कर दिए गए हैं। दरअसल अमेरिका नहीं चाहता कि ईरान परमाणु शक्ति बने। अमेरिका के अनुसार ईरान का परमाणु शक्ति बनना पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इन प्रतिबंधों के बावजूद ईरान अमेरिका को उकसाने में कमी नहीं छोड़ रहा है। अब ईरान द्वारा नाभिकीय समझौते के तहत उत्पादन की तय सीमा को तोड़ने की घोषणा कर दी गई है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी पहले से यह चेतावनी दे रहे थे कि वह अपनी प्रतिबद्धता से हटने वाले नहीं हैं। भारी दबाव के बाद ईरान ने अमेरिका सहित सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों, जर्मनी और यूरोपीय संघ के साथ अपना परमाणु कार्यक्रम सीमित करने से संबंधित समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा फैसला लेते हुए एक साल पहले इससे खुद को अलग कर लिया था और ईरान पर नए आर्थिक प्रतिबंध लाद दिए थे। दरअल ईरान हमेशा से दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम उसकी अपनी ऊर्जी जरूरतों को पूरा करने के लिए है, लेकिन उसकी गतिविधियां संदिग्ध जरूर रही हैं। वास्तव में उसने यूरेनियम को 20 प्रतिशत तक संवर्धित करने की क्षमता हासिल कर ली है, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि उसके पास परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता है। ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी चाहते हैं कि उनके देश की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों तेल और धातु को अमेरिकी दबाव से मुक्त किया जाए, मगर यह जो तारीका अपना रहे हैं, उसे भयादोहन ही कहा जाएगा। मौजूदा संकट को दूर करने की दिशा में फ्रांस आगे आया है। उसने ईरान के राष्ट्रपति से बात की है और जल्द पश्चिमी देशों का एक प्रतिनिधिमंडल ईरान जाएगा। ईरान संकट का शांतिपूर्ण समाधान जरूरी है। ईरान और अमेरिका के बीच मौजूदा तनाव पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। ईरान के समर्थन और विरोध में खड़े देशों के बीच लकीर साफ है। रूस, चीन जैसे देश अमेरिकी कार्रवाई का खुलकर विरोध कर रहे हैं जबकि यूरोपीय देश भी ज्यादातर अमेरिकी कार्रवाई से सहमत नहीं हैं। मामला शायद इतना बिगड़ता नहीं अगर सभी देश 2015 के समझौते का ईमानदारी से पालन करते। लेकिन अमेरिका का मकसद शायद कुछ और है। वह किसी न किसी बहाने ईरान पर हमला कर उसके तेल भंडार पर कब्जा करना चाहता है। उसकी हठधर्मिता इसी का संकेत है।

-अनिल नरेन्द्र

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