Wednesday, 24 July 2019

भाई की बेनामी संपत्ति पर मायावती को गुस्सा क्यों आया?

आयकर विभाग द्वारा नोएडा में 400 करोड़ रुपए की बेनामी व्यवसायिक भूखंड जब्त करना कोई अपत्याशित घटना नहीं है, लेकिन जिस व्यक्ति के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है, वह किंचित चौकाने वाला जरूर है। आधिकारिक आदेश के मुताबिक जब्त की गई संपत्ति बसपा सुपीमो मायावती के भाई आनंद कुमार और भाभी विचित्र लता की है। उपाध्यक्ष आनंद कुमार के पास गैर कानूनी तरीके से कथित बनाई गई अकूत संपत्ति का जो खुलासा हो रहा है वह इस बात का स्पष्ट पमाण लगता है कि सत्ता की मदद से कैसे कोई व्यक्ति धनकुबेर बन सकता है। यह भारत के भ्रष्ट तंत्र की जीती-जागती मिसाल है। आनंद कुमार बसपा पमुख मायावती के भाई और पार्टी के दूसरे नंबर के नेता की हैसियत वाले हैं। जाहिर है कि उन्होंने मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए कथित रूप से जमकर भ्रष्टाचार किया और खुद को सारे नियम-कायदों से ऊपर रखते हुए बेनामी संपत्ति का कथित पहाड़ खड़ा कर डाला। आयकर विभाग ने फिलहाल जो बड़ी कार्रवाई की है उसमें नोएडा में चार सौ करोड़ रुपए की कीमत वाली जमीन को जब्त किया है। इस जमीन पर मालिकाना हक आनंद कुमार और उनकी पत्नी का बताया गया है। यहां एक पांच सितारा होटल और आलीशान इमारते बनाने की योजना थी। बसपा पमुख और उनका परिवार लंबे समय से आयकर विभाग के निशाने पर है। आयकर विभाग ने कुछ समय पहले ही आनंद कुमार के ठिकानों पर छापे मारे थे और साढ़े तेरह अरब रुपए से ज्यादा की संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए थे। इन संपत्तियों की फिलहाल जांच चल रही है। अपने भाई की बेनामी संपत्ति जब्त किए जाने से नाराज बसपा पमुख मायावती ने केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर बेहद तल्ख आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी ने पिछला लोकसभा चुनाव बेनामी संपत्ति के जरिए ही तो जीता है और उसे सबसे पहले इसका खुलासा करना चाहिए। मायावती ने लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जब दलित और वंचित वर्ग का कोई व्यक्ति तरक्की हासिल करता है तो भाजपा के लोगों को बहुत परेशानी होती है और फिर वह सत्ता और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके अपनी ओर से जातिवादी द्वेष निकालते हैं। मायावती ने दावा किया कि हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खाते में दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जमा हुई जिसका खुलासा आज तक नहीं किया गया। क्या वह बेनामी संपत्ति नहीं है? बसपा अध्यक्ष ने कहा, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को छोड़ दें। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह एंड कंपनी की जो सरकार है उनसे मैं पूछना चाहती हूं कि उनके सत्ता में आने के बाद अरबों-खरबों की संपत्ति उनकी पार्टी दफ्तरों के लिए कहां से आई उसका भी तो खुलासा होना चाहिए? क्या यह बेनामी पैसे से खरीदी गई संपत्ति नहीं है? पर मोदी सरकार की मौजूदा कार्रवाई जनता में इस धारणा को पुख्ता करेगी कि कानून की नजर में हर कोई बराबर है। मगर कानून के शासन को मजबूती पदान करने के लिए यह भी आवश्यक है कि कार्रवाई निष्पक्ष भाव से हो। कोई न उसे विपक्षियों को परेशान करने की कार्रवाई बता सके। इसलिए जरूरी है कि कानून के हिसाब से ही इस दिशा में कार्रवाई हो, ताकि इस मुहिम की गंभीरता और विश्वसनीयता बनी रहे। जब यह मामला अदालत में जाएगा तभी इसकी असल स्थिति पता चलेगी।

-अनिल नरेन्द्र

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