Thursday 11 July 2019

हादसों का हाई-वे बना यमुना एक्सप्रेस-वे

आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं मानवीय भूल का नतीजा होती हैं, पर सच यह भी है कि ऐसी घटनाएं हमारी कई व्यवस्थाओं की पोल भी खोलती हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे पर सोमवार तड़के हुए बस हादसे ने पुलिस व प्रशासन की पोल खोल दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार रोड सेफ्टी की बैठकें कर यमुना एक्सप्रेस-वे की सुरक्षा तथा हादसों पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश देते रहते हैं लेकिन हादसे हैं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। एक्सप्रेस-वे पर हो रहे हादसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी नाराजगी व्यक्त कर चुका है। उत्तर प्रदेश के आगरा में सोमवार को बस सवार 29 लोगों की मौत का गवाह बना यमुना एक्सप्रेस-वे दरअसल हादसों का हाई-वे बन गया है। एक्सप्रेस-वे पर इस साल ही अब तक हुए विभिन्न हादसों में 77 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2011 में इस पर यातायात शुरू होने के बाद से अब तक हुई 4895 दुर्घटनाओं में 780 लोगों की मौत हो चुकी है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा आरटीआई आवेदन के जवाब में सेव लाइफ फाउंडेशन को दी गई जानकारी के मुताबिक आगरा और ग्रेटर नोएडा को जोड़ने वाले लगभग 165 किलोमीटर लंबी इस एक्सप्रेस-वे पर नौ अगस्त 2012 को इस पर यातायात शुरू होने से लेकर 31 जनवरी 2018 के बीच अलग-अलग कारणों से 4880 हादसे हुए, जिनमें 703 लोगों की मौत हुई और 7488 लोग घायल हुए। विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस साल अब तक यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए 15 हादसों में कुल 77 लोगों की मौत हुई और 114 अन्य घायल हुए हैं। सोमवार के हादसे की वजह फिलहाल बस के चालक को आई झपकी बताई जा रही है। अगर अंतिम तौर पर यही कारण बताया जाता है तो आखिर क्या वजह है कि तेज रफ्तार वाली सड़कों पर ऐसी व्यवस्था और निगरानी नहीं सुनिश्चित की जाती कि वाहन चलाते समय झपकी जैसी स्थिति में चालक किसी तरह की मामूली चूक भी नहीं करें। निर्धारित गति और दूसरे तमाम नियम-कायदों को पूरी तरह अमल में लाने की जिम्मेदारी किसकी है? अच्छी और निर्बाध सड़क देखकर ऐसे तमाम चालक होते हैं जो रफ्तार की सीमा तोड़कर वाहन तेज चलाने से संकोच नहीं करते। उन्हें न तो दूसरों की जान की फिक्र होती है, न अपनी। कुछ समय पहले यमुना एक्सप्रेस-वे उस समय सुर्खियों में आया था, जब भारतीय वायुसेना ने मिशन-2000 बमवर्षक को यहां उतारा था। काश! युद्धस्तर की गुणवत्ता वाले एक्सप्रेस-वे की सुरक्षा व्यवस्थाएं भी युद्धस्तर की होतीं। इस समय जब पूरे देश में आधुनिक सड़कों और एक्सप्रेस-वे के निर्माण काफी तेजी से हो रहे है। तो जरूरी है कि सुरक्षा के भी आधुनिकतम उपाय अपनाए जाएं। तेज गति से ऐसी सड़कों पर चलने को रोकना होगा। गति ही हादसे का सबसे बड़ा कारण है।

-अनिल नरेन्द्र

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