Monday 29 July 2019

आईएसआई और सेना प्रमुख को इमरान अपने साथ क्यों ले गए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का अमेरिका के दौरे से लौटने पर बुधवार रात इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत हुआ। उनकी पार्टी पाकिस्तान--तहरीक--इंसाफ के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे और ढोल-नगाड़े बजा रहे थे। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के सफल दौरे से लौटे प्रधानमंत्री का जिस तरह जोरदार स्वागत हुआ उस पर खुद इमरान ने कहाöउन्हें ऐसा लग रहा है कि वह किसी विदेशी दौरे से नहीं लौटे हैं बल्कि वर्ल्ड कप जीतकर आए हैं। इस मौके पर पार्टी कार्यकर्ता नाच-गा रहे थे और इमरान के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इमरान ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि हमें पाकिस्तान को महान बनाना है। कवि उलेमा इकबाल के सपनों के अनुरूप पाकिस्तान का महान मुल्क बनना तय है। अमेरिकी दौरे की कामयाबी को एक बड़ी राहत जरूर समझा जा रहा है। एक अमेरिकी थिंक टैंक ने भी इमरान खान के दौरे को खुशगवार तब्दीली कहा है। मसलन अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी ने इस दौरे को सराहा है। दुनिया के कई अखबारों और टीवी चैनलों, जो दक्षिण एशिया पर गहरी नजर रखते हैं, उन्होंने भी इस दौरे को इमरान की एक बड़ी कामयाबी करार दिया है। साफ नजर आता है कि इमरान खान ने और उनकी समर्थक आर्मी एस्टेबलिशमेंट ने राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात से पहले अच्छा होमवर्प किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान पहली बार अमेरिका गए। ऐसा माना जा रहा था कि इमरान के अमेरिकी दौरे में सेना की अहम भूमिका रहेगी, क्योंकि उनके साथ सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी मौजूद रहे। इमरान आखिर सेना और आईएसआई प्रमुखों को अमेरिका लेकर क्यों गए? क्या इमरान को व्हाइट हाउस आने का न्यौता देकर अमेरिका, पाकिस्तान को यह संदेश देना चाहता है कि अगर पाकिस्तान चरमपंथ के संबंध में अपनी नीतियां बदलता है तो अमेरिका से उसके संबंधों में सुधार आएगा? पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त शरत सभरवाल कहते हैं कि वो पैसा मांगने नहीं जा रहा है। कहा गया कि व्यापार और निवेश सबसे प्रमुख एजेंडे में होगा। लेकिन अफगानिस्तान में शांति बनाने का मुद्दा सबसे अहम रहेगा? अमेरिका के लिए सबसे अहम तालिबान है, जो अमेरिकी सेना के खिलाफ अफगानिस्तान में तबाही मचा रहा है। तालिबान पर पाकिस्तान का कुछ प्रभाव है, लिहाजा वह चाहता है कि तालिबान के मुद्दे पर अमेरिका को सहयोग करे। ट्रंप प्रशासन यह जानता है कि सेना के समर्थन के बिना पाकिस्तान में किसी भी बड़े फैसले को लागू नहीं किया जा सकता है। इमरान के साथ अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत के दौरान उनके सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख मौजूद रहे। अमेरिका का प्रयास है कि जनरल बाजवा और आईएसआई प्रमुख हमीद को साथ बिठाकर अमेरिका उसे ठोस आश्वासन दे ताकि भविष्य में सरकार और सेना दोनों को जवाबदेही ठहराया जा सके। पाकिस्तान के लिए उसकी आर्थिक और सामरिक रणनीति के  लिए अमेरिका बहुत अहम है। चूंकि मुख्य मुद्दा अफगानिस्तान होगा, इस पर पाक सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख अहम भूमिका निभा सकते हैं। अमेरिका के रुख में बदलाव तो हुआ है। आईएमएफ ने पाक को जो बेलआउट दिया है उसे अमेरिका रोक सकता था लेकिन उसने रोका नहीं। कुल मिलाकर इमरान खान का यह दौरा पाकिस्तान के लिए बहुत अहम था। पाकिस्तान चाहता है कि आपसी रिश्तों को फिर पटरी पर लाया जा सके। चूंकि इसमें पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की प्रमुख भूमिका होगी इसलिए इमरान खान जनरल बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को अपने साथ अमेरिका ले गए।

-अनिल नरेन्द्र

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