Monday 22 July 2019

उत्तर प्रदेश में अपराधियों को अब सरकार का कोई खौफ नहीं रहा

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के उम्मा गांव में बुधवार को जो हुआ, उससे एक बार फिर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर किसी का नियंत्रण रहा भी है या इन अपराधियों को बेलगाम होकर मारकाट करने वाले कोई नहीं है? फेरावाल इलाके के उम्मा गांव में दर्जनों ट्रैक्टरों पर सवार खतरनाक हथियारों से लैस कई सौ लोग जमीन पर कब्जा करने पहुंचे और जब गांव वालों ने विरोध जताया तो निहत्थे ग्रामीणों पर इन हथियारबंद लोगों ने खौफनाक तरीके से हमला कर दिया। इस जमीनी विवाद को लेकर 10 आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया। गौरतलब है कि उस इलाके में बसे आदिवासियों के समुदाय के लोग लंबे समय से सरकारी जमीन पर खेती करते आ रहे थे। यहां की ज्यादातर जमीन वनभूमि है और इस पर कब्जे को लेकर अकसर विवाद सामने आते रहे हैं। जमीन के जिस मामले में ताजा कत्लेआम को अंजाम दिया गया, उस पर भी काफी समय से विवाद चल रहा था। गांव के प्रधान और आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच किस तरह के टकराव की स्थिति बनी हुई थी। यह भी कोई गोपनीय जानकारी नहीं थी बल्कि खबरें यहां तक आई हैं कि इस कत्लेआम को जमीनी विवाद का नतीजा बताकर आदिवासियों को बेदखल करने का मामला है। फिर इन विवादों को जिन वजहों से इस हद तक पहुंचने के लिए छोड़ दिया गया, जिसमें एक पक्ष को सैकड़ों लोगों के साथ गांव पर हमला और लोगों की हत्या कर देने का मौका मिला? खतरनाक हथियारों से लैस इतनी बड़ी तादाद में लोगों के भीतर वहां बिना किसी बाधा के पहुंचने और कत्लेआम करने की हिम्मत इन लोगों में कहां से आई? क्या स्थानीय पुलिस-प्रशासन भी गुप्त रूप से इनकी मदद कर रहा था? उनके भीतर इस भरोसे का क्या आधार था कि ऐसी हिंसा और अराजकता फैलाने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता? यूपी सरकार का यह हाल है कि चंदौसी जिला न्यायालय में पेशी के बाद बुधवार की शाम 24 बंदियों को चार्ली वैन से मुरादाबाद जेल लाया जा रहा था। बनियाढेर थाने क्षेत्र में इंजीनियर हत्याकांड के आरोपी तीन बंदियों के पास बैठे सिपाही ब्रजपाल सिंह (28) और हरेंद्र सिरोही (58) की पहले तो आंखों में मिर्च झोंक दी गई, इसके बाद बंदी वाहन के गेट के चैनल को टेढ़ा करके फरार होने लगे। पकड़ने की कोशिश करने पर बंदियों ने सिपाहियों की गोली मारकर हत्या कर दी। सोनभद्र में भूमि विवाद के चलते मारे गए आदिवासियों के परिवारों से मिलने जा रही थीं तो प्रियंका गांधी वाड्रा को रास्ते में ही रोक दिया गया। प्रियंका सुबह वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर में घायलों से मिलने पहुंचीं। वहां से सोनभद्र जाते वक्त मिर्जापुर जिले के नारायणपुर में उन्हें रोका गया। प्रियंका वहीं धरने पर बैठ गईं। थोड़ी देर बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और चुनार गेस्ट हाउस ले गईं। प्रियंका वहां भी धरने पर बैठ गईं। उसके बाद गेस्ट हाउस की बिजली गुल हो गई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने बिजली तो काटी ही, पानी भी नहीं दिया। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने राज्य में अपराध, कानून-व्यवस्था को मुख्य मुद्दा बनाया था। सच यह है कि राज्य में पिछले काफी समय से अपराधों में वृद्धि ही हुई है। ऐसा लगता है कि अपराधी तत्वों में अब कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment