Tuesday, 23 July 2019

आखिर साल दर साल बिहार बाढ़ की चपेट में क्यों आता है?

लगभग एक महीने पहले बिहार भीषण गर्मी की वजह से चमकी बुखार का प्रकोप झेल रहा था तो अब भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार में बारिश की वजह से अब तक मरने वालों की संख्या 92 तक पहुंच गई है। तमाम उत्तर भारत बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हुआ है। उत्तर बिहार के गांवों में तबाही मचा रही बाढ़ का रुख अब शहरों की ओर है। शुक्रवार को मुजफ्फरपुर, दरभंगा व समस्तीपुर के शहरी क्षेत्रों के कई मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस गया। अफरातफरी के माहौल के बीच बाढ़ग्रस्त मोहल्लों के लोग लगातार बाढ़ग्रस्त एनएच, सड़क व अन्य स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में बयान देते हुए भारी बारिश को बाढ़ का जिम्मेदार बताया और इसे प्राकृतिक आपदा कहा। कुछ लोग नेपाल को भी दोषी ठहरा रहे हैं कि उसने पानी छोड़ दिया। नदियों को मोड़ने के लिए बनाए गए तटबंधों और सुरक्षा बांधों को भी लोग बाढ़ के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। बीबीसी के नीरज प्रियदर्शी ने इस विषय पर एक विस्तृत जानकारी भरा लेख लिखा है। मैं पाठकों के समक्ष इस लेख के कुछ प्रमुख भाग पेश कर रहा हूं। बिहार में बाढ़ जैसे हालात लगभग हर साल बनते हैं लेकिन तबाही तब मचती है, जब कोई बांध टूट जाता है। 2008 की कुसहा त्रासदी को भला कौन भुला सकता है। उससे पहले भी जितनी बार बिहार ने बाढ़ की विभीषिका को झेला है उसके कारण बांध टूटना रहा। इस बार की तबाही का एक कारण कई जगहों से तटबंधों का टूटना ही है। जैसे कोई तटबंध टूटता है तो पानी इतनी तेजी से आगे बढ़ता है कि लोगों को संभलने का वक्त भी नहीं मिल पाता। पिछले शनिवार को मधुबनी के झंझारपुर प्रखंड के नरवार गांव के पास कमला बांध टूट गया था। जिस जगह बांध पर तटबंध टूटा है ठीक सामने नरवार गांव है। तटबंध पर शरण लिए लोगों ने कहा कि गांव की शुरुआत में 40 घर थे। 39 गिर गए, बह गए। फंस गए लोगों ने कहा कि रातभर पुलिस और प्रशासन को खबर करते रहे, कोई नहीं आया। जब सुबह एनडीआरएफ की टीम आई, तब तक काफी कुछ बह गया था। बिहार राज्य प्रबंधन विभाग ने बुधवार की शाम तक बाढ़ से अब तक 67 लोगों की मौत की पुष्टि की थी जो इस लेख लिखने तक 92 तक पहुंच गई है। सबसे अधिक 17 लोग सीतामढ़ी में मारे गए हैं। लगातार टूट रहे तटबंधों और सुरक्षा बांधों के कारण बाढ़ की विभीषिका बढ़ती जा रही है। पूरे बिहार में 47 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। करीब एक लाख लोगों ने राहत शिविरों में शरण ले रखी है। आपदा विभाग के अपडेट में एक आंकड़ा चौंकाने वाला था। मंगलवार की शाम को अपडेट में लिखा गया कि 125 मोटरबोटों को बचाव कार्यों में लगाया गया है। लेकिन अगले दिन जब प्रभावितों की संख्या दोगुनी के करीब पहुंच गई, तब भी अपडेट यही कर रहा था कि 125 मोटरबोटों को रेस्क्यू में लगाया गया है, क्या एनडीआरएफ के पास और मोटरबोट नहीं हैं? इंस्पेक्टर सुधीर कुमार कहते हैं कि हमारे पास जितने मोटरबोट थे, सभी रेस्क्यू ही कर रहे हैं, अगर और मोटरबोटों की जरूरत पड़ी तो मंगानी पड़ेंगी। इतनी तबाही हर साल मचती है फिर भी कोई स्थायी प्रबंध नहीं किया जाता। लेकिन जब सरकार से जवाब मांगा जाता है तो एक ही जवाब मिलता है, जैसा कि मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैंöबिहार में आई बाढ़ प्राकृतिक आपदा है।

-अनिल नरेन्द्र

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