डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक उत्तर कोरिया पहुंचकर
सारी दुनिया को चौंका दिया। पिछले दो साल से अमेरिका और उत्तर कोरिया के संबंधों में
बहुत फर्प आया है। कोई लंबा वक्त नहीं बीता जब दोनों के बीच तनाव चरम पर था और एक समय
तो बीच में ऐसा भी आया जब यह लगने लगा कि दोनों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ने वाला है
और दोनों तरफ से परमाणु हथियार इस्तेमाल होंगे और तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा। लेकिन
संतोषजनक यह रहा कि ऐसी किसी अनहोनी का खतरा टल गया। शायद राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर
कोरिया के शासक किम जोंग उन के समझ में आ गया कि बातचीत से कोई रास्ता निकल सकता है।
एक ओर उत्तर कोरिया के तानाशाह राष्ट्राध्यक्ष किम जोंग उन थे तो दूसरी तरफ अमेरिकी
राष्ट्रवाद और श्रेष्ठता से पेरित डोनाल्ड ट्रंप। दोनों ही मुखर मिजाज नेताओं ने दुनिया
के दिलो-दिमाग को एक नए युद्ध की आशंका से भर
रखा था। अब ट्रंप और किम की जो तीसरी मुलाकात हुई है और इसके फलस्वरूप कोरियाई लोगों
(दोनों तरफ के) की आंखों में जो आंसू आए हैं,
वो दरअसल राहत के आंसू हैं। युद्ध की विनाशकारी आशंका जब टलती महसूस
होती है तो अनायास आंसू निकल ही पड़ते हैं। डोनाल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया पहुंचने वाले
पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं। उत्तर कोरिया के असैन्य इलाके डिमिलिट्राइज्ड जोन
में उनकी किम जोंग उन से मुलाकात हुई। किम ने ट्रंप से कहा-मैंने
कभी सोचा नहीं था कि राष्ट्रपति से इस जगह मिलेंगे। इस पर ट्रंप ने कहा-यह बड़ा पल है। दक्षिण कोfिरया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने इनकी मुलाकात का स्वागत करते हुए कहा कि यह मुलाकात शांति के लिए है।
हालांकि वे इस मुलाकात में शामिल नहीं थे। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, मुझे दोनों कोरिया को बांटने वाली रेखा को पार करने पर गर्व है। मैं किम को
व्हाइट हाउस आने का न्यौता देता हूं। इस पर किम ने कहा कि हमारे और ट्रंप के बीच शानदार
रिश्ते हैं। बता दें कि पिछले साल सिंगापुर में ट्रंप और किम जोंग उन पहली बार दोनों
नेता मिले थे। फिर दोनों नेताओं ने इसी साल फरवरी में हनोई में मुलाकात की थी। पर तब
वार्ता नाकाम रही। अब बातचीत फिर से बहाल होने की उम्मीद लगी है। ट्रंप और किम दोनों
में भले ही कितनी असमानताएं हों लेकिन एक समानता जरूर है। दोनों कुछ न कुछ ऐसा जरूर
करते हैं जिससे दुनिया चौंके। रविवार को ट्रंप ने वही किया। इस यात्रा को अचानक हुए
दौरे के रूप में नहीं देखा जा सकता। इसके पीछे निश्चित ही कुछ खास रणनीतियां हैं। ट्रंप
इस बात को अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि उन्होंने एक साथ कई मोर्चे खोल दिए हैं। ईरान
से टकराव चल रहा है, उत्तर कोरिया का संकट पहले से है,
रूस-चीन और हिंद महासागर में चीन के दबदबे से अमेरिका
की नींद उड़ी हुई है, दुनिया के कई देशों के साथ व्यापार युद्ध
के हालात अलग बन हुए हैं। ऐसे में ट्रंप कहां-कहां और किससे उलझेंगे?
हम इस बदलते घटना कम का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह शांति
वार्ता आगे बढ़ेगी और अमेरिका और उत्तर कोरिया अपने मतभेदों को टेबल पर बैठकर सुलझा
लेंगे और दुनिया तीसरे महायुद्ध की स्थिति से बचेगी।
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