Thursday, 4 July 2019

बेटा किसी का भी हो, अहंकार, दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं है

पिछले कुछ दिनों के भीतर अलग-अलग राज्यों में पुलिस-प्रशासन व विधायकी से जुड़े अधिकारियों पर हमले जैसी घटनाएं सामने आई हैं, उन्हें महज किसी तत्कालिक प्रतिक्रिया मानकर दरकिनार कर देना शायद सही नहीं होगा। ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक पुत्र आकाश विजयवर्गीय का है जिन्होंने बीते दिनों इंदौर में नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट के बैट से पीट दिया था। दुखद बात यह है कि वह ऐसा करने के बाद यह उसे सही ठहराने में लग गया। चूंकि इस घटना की वीडियो सार्वजनिक हो गया, इसलिए देशभर में इसकी तीखी आलोचना हुई। दूसरी ओर इन आलोचनाओं की फिक्र करने के बजाय हमला करने वाले इस विधायक को जमानत मिलने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उलटा जश्न मनाया, मानों वह बहुत महान कार्य करके जेल से रिहा हो। ठीक इसी तरह की दूसरी घटना मध्यप्रदेश के सतना जिले में रामनगर में हुई और वहां भी भाजपा के एक नेता ने मुख्य कार्यपाल अधिकारी को बुरी तरह से पीटा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा तेलंगाना में भी सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति के एक विधायक के भाई की अगुवाई में भीड़ ने एक महिला वन सेवा अधिकारी पर जानलेवा हमला कर दिया। इन सभी घटनाओं में पीड़ित अफसर महज अपने पद के दायरे में आने वाले दायित्व का निर्वाहन कर रहे थे, लेकिन नेताओं या उनके रिश्तेदारों ने अपने रसूख की धौंस दिखाकर उन पर हमला किया। सवाल यह है कि किस बात का अहंकार इन नेताओं के सिर चढ़कर बोल रहा था कि किसी बात की शिकायत करने पर कानून का सहारा लेने के बजाय इन्होंने अफसरों पर हमला करना जरूरी समझा? क्या यह महज समझते हैं कि उनका रसूख व उनकी पार्टी उनकी रक्षा करेगी? यह अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैट से पीटने वाले भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अहंकार और दुर्व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं होगा। भाजपा संसदीय दल की बैठक में मंगलवार को पीएम ने आकाश का नाम लिए बिना कहाöबेटा किसी का भी हो, मनमानी नहीं चलेगी। पार्टी नेताओं की पीढ़ियों को कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिली है, इस घटना से पार्टी की छवि बिगड़ी है। मोदी बोलेöपार्टी के नाम पर ऐसा दुर्व्यवहार अस्वीकार्य है। ऐसे नेता और उनका समर्थन करने वालों को पार्टी से निकाला जाना चाहिए। मोदी के इस संबोधन के दौरान कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे। आकाश विजयवर्गीय की हरकत से खफा पीएम ने ऐसे नेताओं पर अंकुश की जरूरत बताकर बैठक में साफ-साफ कहाöएक विधायक कम हो जाने से पार्टी पर आखिर क्या फर्प पड़ेगा। उन्होंने कहाöनिवेदन और दनादन..., ये कौन-सी भाषा है। जाहिर है कि ऐसी समस्या को खत्म करना आसान नहीं होगा। फिर भी इस समस्या को खत्म करने की सबसे बड़ी उम्मीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही बांधी जा सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मोदी को सीधे जनता के विशाल बहुमत का समर्थन हासिल है। अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी अपने इन दोषी नेताओं पर क्या कार्रवाई करती है? एक बार अगर सख्त कार्रवाई हो जाए तो शायद यह अहंकारी नेता लाइन पर आ जाएं।

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