एक और ताजा सर्वेक्षण में एनडीए को सबसे बड़े गठबंधन
के तौर पर दिखाया गया है। जी मीडिया और तालीम रिसर्च फाउंडेशन के इस सर्वे के मुताबिक
एनडीए को 2014 लोकसभा चुनाव में
217 से 231 सीटें मिल सकती हैं। वहीं कांग्रेस
की अगुवाई वाली यूपीए को 120 से 133 सीटें
मिल सकती हैं। थर्ड पंट को 85 से 115 सीटें
मिलने की संभावना जताई गई है। वहीं पीएम पोस्ट के लिए नरेंद्र मोदी को सर्वे में शामिल
46 फीसदी लोगों की पहली पसंद बताया गया है। आगामी चुनाव में अगर मुद्दों
की बात करें तो अधिकतर के लिए अहम चुनावी मुद्दे वही हैं जो उनकी रोजाना की जिंदगी
पर असर डालते हैं। देश की जनता के लिए पमुख मुद्दे हैः अधिकतर लोगों की शिकायत है कि
बीते सालों में जिस तेजी से महंगाई बढ़ी उसके मुताबिक कमाई बढ़ने की बजाय घटने लगी।
हिंदी पट्टी के कई युवकों का कहना था कि पांच साल पहले उन्हें जितनी पगार मिलती थी
आज भी उनका वेतन उतना ही या उससे भी कम हो गया है। हालांकि घर चलाने का खर्च तीन गुना
बढ़ गया है। महंगाई की वजह से आम लोगों की केंद्र सरकार को लेकर नाराजगी काफी बढ़ गई
है। पूरे देश में एंटी इनकम्बेंसी का जबरदस्त पभाव है और एंटी कांग्रेस फैक्टर में
तब्दील होता नजर आ रहा है। पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ इस फैक्मटर का लाभ उन्हीं
दलों को मिल रहा है जो कांग्रेस के खिलाफ हैं। जिस तेलंगाना के लिए कांग्रेस ने इतना
जोर लगाया वहां भी उसे सपोर्ट मिलता नहीं दिख रहा। युवाओं के बीच रोजगार के घटते मौकों
को लेकर काफी नाराजगी है। आम लोगें का मानना है कि पिछले पांच साल में नौकरी के मौके
और घट गए हैं और उनको अपने भविष्य को ले कर चिंता सता रही है। उनका यह भी मानना है
कि सरकार उनके लिए नए मौके उपलब्ध कराने में नाकाम रही है। लोगों का यह भी कहना है
कि वे वोट देने से पहले बड़े राष्ट्रीय नेताओं के अलावा अपने इलाके के लोकल उम्मीदवारों
को भी देखते हैं। बहुत सारे लोगों का कहना कि नरेंद्र मोदी हिंदुओं के नए उभरते नेता
के तौर पर नजर आ रहे हैं और इसी आधार पर उन्हें वोट देने की बात कर रहे हैं। हालांकि
मोदी की कट्टर छवि के कारण कुछ लोग खास तौर पर मुस्लिम उनका विरोध भी कर रहे हैं। माने
या न माने आज पूरे देश में नरेंद्र मोदी की हवा चल रही है और उनका बढ़ता कद भी इस बार
चुनावी मुद्दा बन गया है। उत्तर पदेश, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों में तो कई लोगों ने यह भी राय दी कि अगर नरेंद्र मोदी
को हटा दिया जाए तो भाजपा 2009 के चुनाव से भी अधिक कमजोर नजर
आती है। देश में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक नरेंद्र मोदी की लोकपियता हर जगह नजर आई। मोदी फैक्मटर चुनाव
में भाजपा के लिए काम कर रहा है। इस आम चुनाव में क्षेत्रीय दलों की ताकत भी चुनावी
मुद्दों के तौर पर सामने है। तमिलनाडु में जयललिता, पश्चिम बंगाल
में ममता बनजी, यूपी में मायावती, उड़ीसा
में नवीन पटनायक द्वारा जनता से अपील की गई कि उन्हें दिल्ली में मजबूत किया जाए,
चुनावी मुद्दा बन सकता है और नमो को भारी चुनौती दे सकता है। स्थानीय
लोगों को इससे अपने राज्य को फायदा होने का सपना दिखाया गया है। अंत में सोलहवीं लोकसभा
के लिए होने जा रहे आम चुनाव दुनिया के सबसे खचीले चुनावों में से होंगे। उम्मीदवारों
की ओर से इस बार चुनाव पचार में करीब 30500 करोड़ रुपए खर्च किए
जाने का अनुमान है जो अमेरिका के बाद सबसे महंगा चुनाव होगा।
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