खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की कहावत तो आपने सुनी ही
होगी। आजकल आम आदमी पाटी के पमुख व दिल्ली के
49 दिन के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर यह फिट बैठती है। आए दिन वह
उस बंदर की तरह बन गए हैं जिसके हाथ में उस्तरा दे दो तो वह सबका गला काटता फिरेगा।
अब बौखलाए केजरीवाल के निशाने पर है मीडिया। सुनिए नेता जी क्या कहिन नागपुर के एक
फाइव स्टार होटल में चुनावी फंड इकट्ठा करने के लिए केजरीवाल के लिए डिनर का आयोजन
किया गया था। इसमें केजरीवाल के साथ डिनर करने वाले मेहमानों के लिए एक डिनर शुल्क
(दस हजार रुपए) पति व्यक्ति निर्धारित किया
गया था। इस चंदा उगाही में रात्रि भोज में मीडिया के लिए नो इंट्री थी। लेकिन केजरीवाल
ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि मीडिया वाले रिपोर्टर दस हजार रुपए की एंट्री पास लेकर
भी आ सकते हैं, हुआ भी यही। कुछ टीवी चैनलों ने अपने रिपोर्टरों
को उक्त राशि का भुगतान करके मेहमान के रूप में इस भोज में दाखिल करा दिया। अंदर अरविंद
केजरीवाल इस बात के लिए बेखबर थे कि मेहमानों में कुछ रिपोर्टर अपने मोबाइल फोन से
उनका भाषण रिकार्ड कर सकते हैं। अपने चिर-परिचित फी स्टाइल में
मीडिया को धमकी दे रहे थे। केजरीवाल ने कुछ यूं कहाः ``पिछले
एक साल में आप लोगों के दिमाग में मोदी-मोदी भर दिया गया है।
कुछ चैनल वाले कह रहे हैं कि करप्शन खत्म हो गया है। राम राज आ गया है। गुजरात में
यह हुआ, वह हुआ। जानते हैं क्यों? पैसे
दिए गए हैं। मीडिया घरानों और इनके पत्रकारों को बहुत मोटी रकम दी गई है। इसी वजह से
तमाम बड़े मीडिया घराने भी मोदी की हवा बनाने में लगे हैं। तरह-तरह के चुनावी सर्वेक्षणों से भी वह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे
पूरे देश में मोदी के पक्ष में चुनावी आंधी चलने लगी है, जबकि
हकीकत यह नहीं है। पिछले दस साल में गुजरात में 800 किसानें ने
आत्महत्या कर ली पर इसे कोई नहीं बताएगा। अडाणी को एक रुपए में जमीन दे दी गई,
ये भी किसी चैनल ने नहीं दिखाया गया। अरविंद ने सिक्यूरिटी ले ली है।
उसने सिक्यूरिटी नहीं ली है। जेड सिक्यूरिटी ले ली........ वाई
सिवयूरिटी ले ली। अरे भाई भाड़ में गई तेरी सिक्यूरिटी, मोदी
के बारे में कोई सच नहीं बताएगा। इस बार पूरा मीडिया बिक गया है। यह बहुत बड़ी साजिश
है। अगर हमारी सरकार बनी तो हम इसकी जांच कराएंगे। मीडिया वालों के साथ सभी दोषियों
को जेल भेजेंगे। आज वही केजरीवाल मीडिया को बिकाऊ कह रहे हैं जिस मीडिया ने उन्हें
पिछले दो सालों में सर पर बिठा रखा है। नवंबर-दिसंबर के वह दिन
भूल गए जब वह मीडिया चाहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो, चाहे पिंट
मीडिया हो, वह छाए रहे थे। आज चूंकि मीडिया आपके दोहरे चरित्र
थूक कर चाटने की आदत को एक्सपोज करता है तो आप उन्हें बिकाऊ कह देते हैं। आज भी बनिस्पत
इसके कि आप एक भगोड़े-असफल मुख्यमंत्री हैं, आपको पधानमंत्री पद के उम्मीदवार की रेस में तीसरे नंबर पर दिखा रहा है और आप कहते हैं कि मीडिया
बिका हुआ है। अरविंदर साहब आप सिर्फ आरोप लगाते हैं। आज तक आपने और किया ही क्या है?
अगर मीडिया या कुछ मीडिया हाउस पत्रकार बिके हुए हैं तो आप उनका ठोस
सबूत दें ताकि देश को भी पता चले कि कौन-कौन से मीडिया हाउस व
पत्रकार बिके हुए हैं? क्या इस श्रेणी में आप आईबीएन-7
में हाल तक काम करने वाले पत्रकार और अब आपके सिपहसालार आशुतोष को भी
शामिल करते हैं? आप कहते हैं कि हमने अगर सरकार बनाई तो हम जांच
कराएंगे। बड़े शौक से जांच कराएं। यह मीडिया वाले किसी भी तरह की, किसी भी एजेंसी से जांच कराने के लिए तैयार हैं, पर साथ-साथ यह भी तय करे लें कि अगर आप सबूत न दे पाएं तो आप को क्या सजा मिलेगी?
टाइम्स नाऊ, इंडिया टीवी, जी न्यूज व इंडिया न्यूज के नाम आपके सिपहसालारों ने गिनाए हैं। अर्णव गोस्वामी,
रजत शर्मा, दीपक चौरसिया पर आज तक किसी ने इस पकार
के घिनौने आरोप नहीं लगाए। उनको आप बोल्ड अड़ने वाले संपादक तो कह सकते हैं पर वह भ्रष्ट
कतई नहीं, पर आपका कोई दोष नहीं, यह आपकी
आदत में शामिल हो गई है। ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जब आपने आरोप लगाए, किसी का कोई सबूत नहीं दिया और बाद में माफी मांगी। आप हमेशा मीडिया में छाए
रहने की कोशिश करते हैं। संविधान का मजाक उड़ाते हैं। पुलिस से टकराते हैं,
कानून और परंपराओं को तोड़ते हैं और किसलिए? सिर्फ
मीडिया में बने रहने के लिए। मीडिया वालों के लिए बेहतर होगा कि ऐसे नेता को दिखाना
बंद कर दे, छापना बंद कर दे। अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी
पाटी को सही जवाब यही होगा कि उनको यह बिका हुआ मीडिया बनके आउट कर दे। केजरीवाल को
दिन में तारे नजर आ जाएंगे। अंत में केजरीवाल आप जब डिनर के लिए दस हजार रुपए पति व्यक्ति
की टिकट बेचते हैं तो यह भ्रष्टाचार नहीं?
No comments:
Post a Comment