Tuesday, 25 March 2014

श्रीपकाश जायसवाल और डा. मुरली मनोहर जोशी की भिड़ंत

उत्तर पदेश का सबसे बड़ा शहर है कानपुर। कानपुर इस बार वाराणसी, आजमगढ़ के बाद सबसे पतिष्ठित सियासी लड़ाई का चुनावी क्षेत्र बन गया है। वाराणसी से भाजपा के दिग्गज नेता डा. मुरली मनोहर जोशी के वाराणसी से अपनी पाटी के पीएम पत्याशी नरेंद्र मोदी के लिए हटने पर मजबूर होने के बाद कानपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीति में कानपुर का अपना ही मिजाज है। कानपुर के मिजाज में है सांसदों की हैट्रिक बनाना और अब तक तीन सांसदों ने बनाई है तिकड़ी। चार बार निर्दलीय सांसद चुनने वाला कानपुर शायद पूरे देश में अकेला शहर होगा। उत्तर पदेश के सबसे बड़े शहर की तकलीफें भी ब़ढ़ी हैं। गंदगी, बदहाल सड़कें, उद्योग, ट्रैफिक जाम, रोजगार के कम होते अवसर और बिजली संकट। लेकिन इनसे जूझते हुए भी शहर बार-बार अपने नेताओं को मौका देता  रहा है। तीन बार से कानपुर कांग्रेस के श्रीपकाश जायसवाल को चुन रहा है। इस बार बीजेपी के डा. मुरली मनोहर जोशी के यहां से उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 1857 की आजादी की पहली लड़ाई के रणबांकुरे रानी झांसी, तात्या टोपे और पेशवा का यह शहर आजादी की लड़ाई के लिए पसिद्ध है। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे कांतिकारियों ने कानपुर के डीएवी हास्टल में रह कर अपनी कांतिकारी गतिविधियां संचालित कीं। गणेश शंकर विद्याथी और हसरत मोहानी इस शहर की पखर पहचान रहे हैं। कभी एशिया के मैनचेस्टर कहे जाने वाले इस शहर के उद्योगें की दयनीय हालत हो गई है। 2009 के लोकसभा चुनाव में श्रीपकाश जायसवाल को 2,14,988 (41.92 फीसदी) वोट मिले और भाजपा के सतीश महाना को 1,96,082 (38.23 फीसदी) वोट ही मिल पाए। इस तरह कुल 18,906 वोटों से ही जायसवाल चुनाव जीत पाए थे जायसवाल लोकल हैं, इनका जन्म 25 सितंबर 1944 को कानपुर में ही हुआ। 2011 में केंद्र सरकार में कोयला विभाग के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद वह कोयला ब्लाक आवंटन मामले में लगातार विवादों में रहे हैं। पत्याशी बनने के बाद पहली बार शहर आए डा. मुरली मनोहर जोशी ने पहली ही अपनी सभा में श्रीपकाश जायसवाल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि लोक लेखा समिति का अध्यक्ष रहते जिनके घोटाले की जांच की, सोचा न था कि उसके खिलाफ चुनाव लड़ना पड़ेगा। नगर संसदीय सीट से पत्याशी बनने के बाद पहली बार शहर आए डा. जोशी का जाजमऊ, गंगापुल पर कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। डा. जोशी ने स्थानीय दिग्गजों व भाजपा नेताओं से अपने मित्रवत रिश्तों का जिक करते हुए कहा कि वह सैकड़ों बार इस शहर में आए और इन्हीं लोगों के घर को अपना मान सकते थे। बसपा और सपा उम्मीदवारों के उतरने से चुनाव तकड़ा बन गया है। पर मुख्य मुकाबला डा. साहिब और जायसवाल के बीच है। डा. साहिब अपनी शख्सियत और मोदी लहर पर सवार हैं। दूसरी तरफ श्रीपकाश जायसवाल को एक तरफ कोयला घोटाले और कांग्रेस विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है

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