Saturday, 1 March 2014

राजनीतिक मर्यादाओं को तार-तार करते सलमान खुशीद

हमें समझ नहीं आ रहा कि यह कांग्रेसी नेताओं को आखिर क्या हो रहा है? जबान पर अनुशासन लगाना कुछ नेताओं को समझ ही नहीं आ रहा। राहुल गांधी भले ही पाटी नेताओं को शालीनता से अपनी बात कहने की हिदायत दे रहे हों, लेकिन चुनावी बढ़त लेने की फिक में या यूं कहें कि चुनावी बौखलाहट में सलमान खुशीद सरीखे के नेता अपने उपाध्यक्ष की भी नहीं सुन रहे हैं। पढ़े-लिखे, पेशे से वकील, देश के विदेश मंत्री के पद पर आसीन सलमान खुशीद ने सभी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार और मौजूदा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर राजनीतिक मर्यादा की सारी हदें पार करते हुए उन्हें नपुंसक बता डाला। यही नहीं उन्होंने अपनी टिप्पणी पर अफसोस जाहिर करने से भी साफ इंकार कर दिया। मंगलवार को सलमान ने मोदी का नाम लिए बिना कहाः कुछ लोग आते हैं और आप रक्षा नहीं कर सकते। आप एक मजबूत इंसान नहीं हैं। हमारा आरोप है कि तुम नपुंसक हो। अगले दिन बुधवार को फिर सलमान ने जोर देते हुए कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा क्योंकि 2002 के गुजरात दंगों के लिए मोदी की व्याख्या करने के लिए उनके पास कोई दूसरा शब्द नहीं था। खुशीद ने कहा कि अपने रोष को जताने के लिए उनके पास कोई अन्य शब्द नहीं है। उन्होंने मोदी से कहा कि वह सच्चाई स्वीकार करें। नपुंसक शब्द का उपयोग राजनीतिक शब्दावली में यह दिखाने के लिए किया गया है कि कोई व्यक्ति कुछ करने में असमर्थ है। मोदी पर सलमान का यह हमला नया नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने मोदी को कुएं का मेढक बताया था। खुशीद उत्तर पदेश के विधानसभा चुनाव से पहले बटला हाउस मुठभेड़ पर कांग्रेस अध्यक्ष के फूट-फूटकर रोने की बात कहकर पाटी को मुश्किल में डाल चुके हैं। वैसे वोटों के धुवीकरण पर चिंतित कांग्रेस ने अपने अल्पसंख्यक पवक्ताओं को मोदी पर नहीं बोलने की हिदायत दे रखी है। इसके बावजूद अपने वरिष्ठ पवक्ता के इस बयान से पाटी पशोपेश में है। सलमान के बयान पर दिल्ली से गांधीनगर तक आकामक हुई भाजपा ने इसे दिमागी दिवालियापन बताया है। शाहनवाज हुसैन ने कहा कि सलमान खुशीद भले ही विदेश पढ़कर आए हों, लेकिन हमें उम्मीद नहीं कि वह भारतीय तहजीब को इस कदर भूल जाएंगे। भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले खुशीद का बयान कांग्रेसी नेताओं की नई स्तरहीनता है। यह बयान अभद्र है और लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेसी नेताओं की हताशा को दर्शाता है। संजीदा छवि और जिम्मेदार पदों पर बैठे नेता भी अगर राजनीतिक मर्यादाओं को यूं ठेंगा दिखाने पर उतारू हो गए तो यह सिलसिला कहां जाकर थमेगा? वे सड़क छाप मवालियों जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं जब उन्हें गलती की याद दिलाई जाती है तो वे सत्ता की अकड़ दिखाने लगते हैं। हमें नहीं लगता कि सलमान का यह बयान कांग्रेस को चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट ज्यादा दिलाने में मदद करेगा? उल्टा बेवजह पाटी को नए विवाद में घुसेड़ेगा। कांग्रेसी नेताओं को ज्यादा ध्यान जनता से जुड़ी समस्याओं, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था इत्यादि पर देना चाहिए जिससे उनके खिलाफ माहौल सुधरे। इस पकार के ऊटपटांग बयानों से कांग्रेस की छवि और गिरेगी।

-अनिल नरेन्द्र

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